Wednesday, 27 August 2008

नुस्खे और सलाह

गांगुली जी हमारे बहुत खास यार

एक बार हो गए गंभीर बीमार

फटाफट अस्पताल में दाखिल

कराया सुरक्षा कारणों से मुझे भी बुलाया

शुरू हो गया जांचो का सिलसिला

निदान के रूप में मधुमेह का रोग मिला

गांगुली जी थे लोकप्रिय और मिलनसार

मिलने आने लगे रोज दोस्त और रिश्तेदार

मुफ्त सलाह और नुस्खों का बह चला

सैलाब गुठली पत्ती काढा झाढा भिन्डी व कंडे की

राख गांगुली ने भी न देखा आव और ताव

नुस्खों की आजमाइश छोडा डाक्टर का इलाज़

दो चार महीने भी घर पर न रह पाये

दुबारा लादकर अस्पताल पहुंचाए

अबकी बीमारी ऐसी ज़ोर से बिगड़ी

कि गांगुली की जेब पर बहुत भारी

पडी अब मित्र महोदय हो गए हैं सावधान

नुस्खे टोटकों से पकड़े अपने कान

ये जो सारी आजमाइश है

उसकी रोशनी में ये गुजारिश है

यदि आपको अपना जीवन लगता है अमूल्य

तो कुशल चिकित्सक को समझो महत्वपूर्ण

नुसखों से दूर रहकर ही सफल होगा ये जीवन

चिकित्सक की सलाह पे अमल हो बस इतना ही है मेरा निवेदन

= प्रदीप मानोरिया अशोकनगर

3 comments:

Udan Tashtari said...

बेहतरीन..आभार.

कृपा वर्ड वेरिफिकेशन हटा लेवे.. टिप्पणी देने में सुविधा होगी.

राज भाटिय़ा said...

लेकिन लोग कहा मानते हे, आप ने कविता के मध्यम से बहुत कुछ कह दिया.
धन्यवाद
भाई समीर जी सही कह रहे हे,आप यह कृपा वर्ड वेरिफिकेशन हटा लेवे.. टिप्पणी देने में सुविधा होगी.

amit said...

आप सहजता से उम्दा शब्दों में पिरोकर कठिन यथार्थ को भी कह लेते हैं . मैं तो आपका मुरीद हो गया