Wednesday, 27 August 2008
एक अजन्मी बेटी की व्यथा
जो छलके नहीं निगाहों से उन आंसू की अभिव्यक्ति है /
हक जन्म का मेरा मत छीनो मुझमें भी आस चहकती है /
नीले अम्बर की छैंया में अब जन्म मुझको भी लेना है /
कुछ उम्मीदें कुछ आशायें दिल में मेरे भी दहकती हैं /
विज्ञानज्ञान से जान लिया है गर्भ में ये कन्या तेरी /
क्या दोष रहा इसमें मेरा मेरी क्या इसमें गलती है /
हक जन्म का मेरा मत छीनो मुझमें भी आस चहकती है /
तूने भी जन्म लिया था फिर मुझको जीवन का बीज दिया /
अब विवेक शूली पर रख हत्या से तू न डरती है /
हक जन्म का मेरा मत छीनो मुझमें भी आस चहकती है /
बेटे की भारी चाहत में मां क्यों तुम ये भी भूल गईं /
बहनों के शव पर पग रख कर भाई ने पाई धरती है /
हक जन्म का मेरा मत छीनो मुझमें भी आस चहकती है /
आंगन मे लाऊंगी खुशियां मैं तीज त्यौहार मनाऊंगी /
भाई को बांधूगी राखी फिर भी क्यों मुझसे जलती है /
हक जन्म का मेरा मत छीनो मुझमें भी आस चहकती है /
मां शब्द मात्र सम्बोधन में ममता का भाव ही गर्भित है /
मुझको मरने का खौफ नहीं तू तेरी ममता को हरती है /
हक जन्म का मेरा मत छीनो मुझमें भी आस चहकती है /
= Pradeep Manoria +919425132060
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3 comments:
बहुत बढिया.लिखते रहें.
रजो छलके नहीं निगाहों से उन आंसू की अभिव्यक्ति है /
हक जन्म का मेरा मत छीनो मुझमें भी आस चहकती है /
बहुत उम्दा लिखा है.......
बेटे की भारी चाहत में मां क्यों तुम ये भी भूल गईं /
बहनों के शव पर पग रख कर भाई ने पाई धरती है /
हक जन्म का मेरा मत छीनो मुझमें भी आस चहकती है /
सटीक मार्मिक और हृदयस्पर्शी
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