Monday 29 September, 2008

मुख्यमंत्री जी की आशीर्वाद यात्रा (MP) -मेरी नज़र से

  • शुरू हुयी जबसे तथाकथित आशीर्वाद यात्रा
  • अचानक बढ़ गयी शहर में नेताओं की मात्रा
  • सर पर विधानसभा चुनाव लटक रहे हैं
  • हर तरह के नेता टिकिट के लिए भटक रहे हैं
  • योजनाओं का पुलिंदा मुख्यमंत्री जी के पास तैयार है
  • बस में घूम रहे हैं क्योंकि पुलिंदा ढोने को कार तो बेकार है
  • रोज हो रही हैं नई नई योजनाओं की घोषणा
  • रोज हो रही हैं बच्चों की मौत कारण है कुपोषणा
  • हर शहर का पेंटर व्यस्त हो गया है अनायास
  • क्योंकि रोज हो रहे है अनगिनत शिलान्यास
  • एक एक पेंटर मार्बल के पटिये खोद रहे हैं
  • ख़ुद नहीं पाये तो मुख्यमंत्री जी ऐसे ही ठोक रहे हैं
  • यह आशीर्वाद यात्रा नहीं मार्केटिंग का टूर है
  • इनका ग्राहक वोटर आज भी लाचार और मजबूर है
  • रचना प्रदीप मानोरिया

Saturday 27 September, 2008

सरकारी दोहे

  • "28 हजार से अधिक कुपोषित: हरदा जिले में 59 हजार 566 बच्चों का वजन लिया गया। इसमें 28 हजार 532 सामान्य कुपोषित एवं 332 गंभीर कुपोषित पाए गए। (नईदुनिया)
  • मध्य प्रदेश में चल रही, शिव जी की सरकार
  • गेंहू बिकता तीन में , चावल रुपया चार
  • गली गली की भींत पर , लिखके किया प्रचार
  • किंतु जनता आज भी , भूखी और लाचार
  • लाखों रुपए खा रहा , महिला बाल विभाग।
  • कहीं कुपोषण सामने, कहीं भूख की आग।। 
  • बना योजना लाभ की , जारी करते रोज। 
  • लाभ कहीं पहुँचे नहीं, कारण इसका खोज।।
  • शिव जी की सरकार में , बड़े बड़े हैं हुजूर
  • किंतु सब साबित हुए , जैसे पेड़ खजूर
  • ==प्रदीप मानोरिया
  • (Some corrections made by suggetion of respected shyamal suman jee)

Thursday 25 September, 2008

हिन्दी पर प्रश्नवाचक ?

  • श्रीमान अमिताभ जी और जया जी
  • आख़िर आपने ऐसा क्या कहा जी
  • जिससे उग आए अनुत्तरित सवाल
  • हिन्दी और हिन्दुस्तान में मच गया बबाल
  • और आपने तो चुपचाप मांग ली माफी
  • क्या भाषा के प्रति इतना सम्मान है काफी
  • आपकी भी मजबूरी है
  • इसीलिये माफी भी शायद जरूरी है
  • क्यूंकि मुम्बई वासियों पर जो लोग हावी हैं
  • उनके पास बड़ी हस्तियों की चाबी है
  • वो या तो कोई अदंर वर्ल्ड का बोस है
  • अथवा नेता टाईप ओवर वर्ल्ड की धौंस है
  • मुम्बई में तो इनकी ही रंगदारी है
  • चुपचाप साँसे लेते रहना ही यहाँ समझदारी है
  • रचना ==प्रदीप मानोरिया

Sunday 21 September, 2008

टी वी सीरियल में नारी

  • सास भी कभी बहू थी कसक कसौटी आदि आदि 
  • सामाजिक मूल्यो की होती हुई बर्बादी 
  • ईर्ष्या और दम्भ से भरे नारी के चरित्र 
  • कुटिलता की कहानी कहते ये चल चित्र
  • पहले तो थी दो एक मन्थरा व कैकेई 
  • अचानक ये टी वी मै सैकडौ कैसै हो गई 
  • स्वेटर बुनने वाली नारी यहॉ जाल बुनती है
  • दूसरे को मात देने की नई नई चाल चुनती है
  • कुटिल कल्पनाएँ  ये तान्डव ये खेल 
  • हमारी सन्सकृति से खाता नही मेल 
  • बिना बलाऊज की पहनी हुई साडिया 
  • वस्त्र के अभाव से जूझती हुई नारिया 
  • टी वी सिनेमा थे हमारी समाज के आइने 
  • आज किन्तु बदल चुके है इसके मायने 
  • अनेकता मै एकता इस देश की मिसाल है 
  • स्टार की एकता का ही चल रहा कमाल है 
  • रचना == प्रदीप मानोरिया 
  • चित्र स्टार टीवी से साभार

Friday 19 September, 2008

मोबाइल और मचछर

  • मोबाइल और उसके उपयोगकर्तआओं की संख्या का आंकडा नये आयाम जोड रहा है /
  • मच्छरों के उत्पादन की गति को भी पीछे छोड रहा है /
  • मोबाइल और मच्छरों में भी समानता है /
  • शायद ये आप में से कोई जानता है /
  • मोबाइल जेब में घनघनाता है /
  • मच्छर कान पर भनभनाता है /
  • मोबाइल जेब से आकर कान को चाट जाता है /
  • मच्छर भिनभिनाकर कहीं भी काट जाता है /
  • मोबाइल अनेक आकारों प्रकारों में आते हैं /
  • मच्छर भी छोटे बडे सब तरह के पाये जाते हैं /
  • मलेरिया डेंगू चिकनगुनिया जैसे रोग मच्छर फैलाता है /
  • मोबाइल स्वंय रोग है और एसेमसेरिया फैलाता है /
  • एसेमसेरिया भी एक संक्रामक रोग है /
  • इसके शिकार मोबाइल कम्यूनिटी के लोग हैं /
  • कोई भी चुटकुला शायरी या न्यूज हो संक्रमण की तरह तैजी से प्रसार पाती है /
  • देखते ही देखते दुनिया भर में प्रचार बन जाती है /
  • अब तो ये एसएमएस सारी सीमायें मर्यादायें तोडचुके हैं /
  • व्यवसायिकता की चादर को चारों ओर से ओढ़ चुके हैं /
  • देश में घटती हुई अच्छी बुरी घटनाओं से अपने को जोड चुके हैं /
  • कुछ बानगी दिखाते हैं आपको भी समझाते हैं /
  • पाँच अंकोवाले नम्बर पर एसएमएस करने में आपको एक ही मिनिट लगता है /
  • किन्तु ऐसे एक एसएमएस से आपका तीन से छह रूपये कटता है /
  • ऐसे एसएमएस बटोरने की ट्रिक भी क्या कमाल है /
  • देश में घटे कोई भी घटना इनको कमाना माल है /
  • कोई भी है खुशहाल अथवा कोई भी परेशान है /
  • संवेदना से शून्य व्यवसायिकता ही इनका ईमान है /
  • लोकल ट्रेन में बमब्लास्ट से किसी का बेटा या पत्नि लापता या घायल है /
  • एसएमएस मंगवाने के लिये ये तो ऐसी ही घटना के कायल हैं /
  • प्रिंस गढ़्ढे में गिरा हुआ है घबराया है /
  • इन्होंने तो इससे ही माल कमाया है /
  • दिल्ली में भले आग लगी है /
  • इनकी तो चांदी ही कटी है /
  • आपसे राय पूछ पूछ कर जेब तो आपकी ही कटी है /
  • कौन बनेगा करौडपति का ये जबरदस्त खेल /
  • अरबपति बना है शाहरूख स्टार या ऐअरटेल /
  • आपको सावधान करना हमारी जिम्मेदारी है /
  • एसएमसेरिया के संक्रमण से बचना ही समझदारी है /
==प्रदीप मानोरिया 
 (चित्र गूगल छवि  खोज से  साभार प्राप्त)

Wednesday 17 September, 2008

चुनावी मौसम

  • फिजां में सुर्खी लहू में गर्मी मौसम चुनावी फिर आ गया है
  • ऊंचे इरादे फिर झूठे वादे मौसम चुनावी फिर आ गया है
  • चालें सियासी शतरजी बाजी नेता सभी को मनाने लगा है
  • बातें सुहानी फिर वो कहानी मौसम चुनावी फिर आ गया है
  • करते चिरौरी सीधी हैं त्यौरी चरणों में लोटा लगाने लगा है
  • टिकिट की दौडें अब हाथ जोडें मौसम चुनावी फिर आ गया है
  • माया जो जोडी खोली तिजौरी हस्त युगलसे लुटा रहा है
  • अचिंत्य खर्चा प्रचारी पर्चा मौसम चुनावी फिर आ गया है
  • जो छापाखाने पडे पुराने मौका मिला तो भुनाने लगा है
  • चुनावी चर्चा चुनावी पर्चा मौसम चुनावी फिर आ गया है
  • सत्ता में बैठे माया को ऐंठे सपने सुहाने सजाने लगा है
  • सत्ता की गाय हो क्षीरदाय मौसम चुनावी फिर आ गया है
  • टिकिट न पाते जो रूठ जाते भितरघात लगाने लगा है
  • यहां का खाते वहां का गाते मौसम चुनावी फिर आ गया है
  • मंच बनाया जलसा सजाया हथियारी परमिट बांट रहा है
  • कहें अहिंसा प्रबंध हिंसा मौसम चुनावी फिर आ गया है
  • बूथों का केप्चर नया है कल्चर वोटर बिना ही जिता रहा है
  • बदमाश गुण्डे बंदूक डण्डे मौसम चुनावी फिर आ गया है
  • रचना प्रदीप मानोरिया

Saturday 13 September, 2008

रिश्ते

  • दिल में छिपी जो बात ,वो ज़ाहिर न कीजिये
  • राज बे-परदा न हो , रुसबा न कीजिये
  • रिश्ता हो अपना कोई भी, हमराज ही रहो
  • रिश्तों की बात है यही , न बदनाम कीजिये
  • चाहे रहो रकीब पर, रिश्ता तो है सही ,
  • इस दुश्मनी को भी "रिश्ता" नाम दीजिये
  • पाकीज़गी खुसूसियत रिश्तों में ये रहे ,
  • ता-उम्र ज़िंदगी में, निभाया ही कीजिये
  • रूह से बनते हैं ये , सांस में मौजूद हैं ,
  • कहना ज़रूरी हो तो , रिश्ता उसे कह दीजिये
  • हैं मुख्तलिफ से नाम मगर काम दो ही हैं ,
  • रिश्तों में या नफरत करो , या प्यार कीजिये
  • मिट जाए ये नफरत सदा सारे जहान से ,
  • हो प्यार बस चारों तरफ़ बस प्यार कीजिये
  • ==प्रदीप मानोरिया
  • रकीब = दुश्मन , पाकीज़गी =पवित्रता, खुसूसियत = विशेषता , मुख्तलिफ = विभिन्न

Wednesday 10 September, 2008

ज़िंदगी- एक आइना

  • रंजो गम के आईने सी, हो गई है ज़िंदगी
  • दर्द के अहसास की, तस्वीर है ये ज़िंदगी
  • बेरुखी तेरी कहे कि, भूल जाएँ अब तुझे
  • तेरी यादों का अरे, दरिया रही ये ज़िंदगी
  • रुख हसीं की मुस्कराहट, थे उजाले जो कभी
  • दीद उस रुख को तरसते, स्याह है अब ज़िंदगी
  • इम्तिहाँ ये ज़िंदगी का, हो भले कितना कठिन
  • दिल से हूँ मजबूर मैं, कैसे कटेगी ज़िन्दगी
  • राह में मिलकर भी वो, नज़रें घुमा कर चल दिए
  • बा-वफ़ा वो हों सही, पर बेवफा है ज़िंदगी
  • ले के दिल वापिस दिया, टूटा खिलोना रह गया
  • खेल ये आसान सा, मुश्किल हुई ये ज़िंदगी
  • रंजो गम के आईने सी, हो गई है ज़िंदगी
  • दर्द के अहसास की, तस्वीर है ये ज़िंदगी
  • = रचना - प्रदीप मानोरिया - संपर्क ०९४२५१३२०६०

Tuesday 2 September, 2008

ज़िंदगी

सुधी पाठकों के ध्यानाकर्षण के लिए पुन: प्रस्तुत है
  • अफ़साना ज़िंदगी का कैसे तुम्हे सुनाये
  • सूखा है सबका गुलशन कैसे बहारें लायें
  • इस रंजोगम के बिन नहीं, दुनिया में है कोई
  • खुशियों के चंद लम्हे सौगात गम भुलाए
  • ज़िंदगी में गम ही सही इक पल का है फकत
  • वो पल है जाने वाला , इसका मज़ा उठाएं
  • उनको खुशी मिली है हकदार जो थे इसके
  • उनकी खुशी से हम क्यों गम अपने को बढायें
  • हो कितना भी कठिन अरे , जीवन का ये सफर
  • गिर गिर के फ़िर संभलना ,आगे ही बढ़ते जाएँ
  • अफ़साना ज़िंदगी का कैसे तुम्हे सुनाये
  • सूखा है सबका गुलशन कैसे बहारें लायें

== प्रदीप मानोरिया

Monday 1 September, 2008

योग और उपचार

  • एक योग के स्थापित योगीराज /
  • नाम छाया है मीडिया में आज /
  • वास्तव में हैं वे इतने महान /
  • दे दी योग को भी व्यवसायिक पहचान /
  • योग की जीवनशैली बन गई चमत्कार /
  • बाबा नगद और डाक्टर उधार /
  • एक इंसुलिन निर्भर बाल मधुमेही /
  • इंसुलिन जिसके जीवन को जरूरी /
  • मां बाप ने सोचा इंसुलिन छुडवायें /
  • चलो बाबा के शिविर में हो आयें /
  • बाबा ने कहा इतने छोटे बच्चे को इंसुलिन लगाते हैं /
  • आपके डाक्टर विदेशी कंपनी से पैसा खाते हैं/
  • बाबा ने लगाई आवाज /
  • कौन कौन बैठा है आज /
  • जिसकी इंसुलिन छूट गई /
  • जिन्दगी बन गई नागफनी से जूही /
  • फटाफट उठ गये अनेकों हाथ /
  • केमरे और माइक तो थे ही वहां साथ /
  • मां बाप पर पडा भयानक प्रभाव /
  • डाक्टर को कोसा छोडी सब सलाह /
  • बाबा की सलाह पर की इंसुलिन विसर्जित /
  • श्रध्दा के साथ हुए पूर्ण समर्पित /
  • एक पक्षीय ज्ञान से बने ज्ञानधारी /
  • गुमराह करते हुए ये चमत्कारी /
  • खैर मां बाप बेटे को लेकर घर लौट आये /
  • तीन दिन भी चैन से नहीं रह पाये /
  • बेटा हुआ उल्टी दस्त से बेहाल /
  • लेकर पहुंचे फटाफट अस्पताल /
  • खून में बढ़ी शकर कीटोऐसीडोसिस हो गया /
  • कोशिश की बहुत बेटा जिन्दा न रहा /
  • इस घटना से ये आपसे गुजारिश है /
  • आपकी सावधानी मेरी ख्वाहिश है /
  • योग रहे जीवन में इतना तो जरूरी है /
  • बीमारी में डाक्टर की सलाह ही जरूरी है / रचना प्रदीप मानोरिया