Thursday 5 August, 2010

हरियाली

गहरे और घने मेघों की सौगात धरा पर आई है
वन उपवन आँगन के गमले सब हरियाली छाई है
जहाँ अवनि पर कण माटी के बिछी पूर हरियाली है
और गगन पर रवि लोप है घटा खूब ही काली है
प्रदीप मानोरिया
चित्र साभार श्रीमति किरन नितिला राज पुरोहित

Wednesday 4 August, 2010

अथ पान महिमा

पान सो पदारथ सब जहान को सुधारत,
दिमाग को बढावत जामें चूना चौकसाई है ।
सुपारिन के साथ साथ मसाला मिले भांत भांत,
जामे कत्थे की रत्ती भर थोडी सी ललाई है ॥
बैठे हैं सभा मांहि बात करे भांत भांत,
थूकन जात बार बार जाने की बडाई है ।
कहें कवि किशोर दास चतुरन चतुराई साथ,
पान में तमाखू काऊ मूरख ने चलाई है ॥
रचयिता : किशोर दास खण्डवा वाले
प्रस्तुति : प्रदीप मानोरिया
साभार ; नई दुनिया इन्दौर