Wednesday, 27 August 2008

पार्लियामेंट हंगामा

सब्जी मंडी का शोर संक्रमण बा- रास्ता शेयर बाजार /
संसद में भी जा पहुंचा है वाह रे हिन्दुस्तान /
रूप चन्द की चमक देख संग साथ हुए सरकार /
वही घटक हंगामा करते वाह रे हिन्दुस्तान /
दुश्मन के दुश्मन से दोस्ती ये इनका आधार /
टांग खींचते ऐसे दोस्त की वाह रे हिन्दुस्तान /
अपनी जेब की पहले पूजा कैसे चले सरकार /
नहीं देश की कोई चिन्ता वाह रे हिन्दुस्तान /
नीति की हदें पार कर राजनीति अब बनी बजार /
निज नीति ही राजनीति है वाह रे हिन्दुस्तान /
क्या है शराफत, क्या इसकी हद, कोई नहीं विचार /
चौपाये सम लडते रहते वाह रे हिन्दुस्तान /
क्या है जरूरत अब विपक्ष की साथी जो सरकार /
वही पक्ष है अरू विपक्ष वो वाह रे हिन्दुस्तान /
== प्रदीप मानोरिया

7 comments:

seema gupta said...

नीति की हदें पार कर राजनीति अब बनी बजार /
निज नीति ही राजनीति है वाह रे हिन्दुस्तान /
"what a tragedy , great p[ost and very well said"

Regards

शोभा said...

नीति की हदें पार कर राजनीति अब बनी बजार /
निज नीति ही राजनीति है वाह रे हिन्दुस्तान /


क्या है शराफत, क्या इसकी हद, कोई नहीं विचार /
चौपाये सम लडते रहते वाह रे हिन्दुस्तान /
क्या है जरूरत अब विपक्ष की साथी जो सरकार /
वही पक्ष है अरू विपक्ष वो वाह रे हिन्दुस्तान /
बहुत सुन्दर और सशक्त बात कही है। बधाई।

Udan Tashtari said...

सटीक..वाह!

Jaidev Jonwal said...

bas jo tha dil mein likh
diya or ye hakikat bhi hai
aapka bhi swagat hai mere blog
par jaidev jonwal

विक्रांत बेशर्मा said...

नीति की हदें पार कर राजनीति अब बनी बजार /
निज नीति ही राजनीति है वाह रे हिन्दुस्तान /

बहुत अच्छी पोस्ट है !!!!!!

pawan singhal said...

Pradeep Ji, your think tank is too exceptionally well, but why are you think in these areas because politics & poetry in our society ,used for only time pass no body thinks about soul of poet.BUT you are think so brilliant .Please KEEP IT UP.

amit said...

क्या है जरूरत अब विपक्ष की साथी जो सरकार /
वही पक्ष है अरू विपक्ष वो वाह रे हिन्दुस्तान /
भारी सच्चाई के साथ सरल शब्द रचना धन्यबाद