- रणभेरी की गूँज उठी अब निर्वाचन आयोग से
- पाँच राज्य में मचेगा दंगल, जीतें भाग्य संयोग से
- नेता व्यस्त अब हर स्तर के कोई न कोई काम से
- जाग पड़े हैं उठ बैठे हैं , सोते थे आराम से
- कोई मांगे कोई देता कोई टिकिट दिलाता है
- सबको मिलता टिकिट कहाँ कोई कोई ही पाता है
- जो न पाता टिकिट वही फ़िर जुड़ता सेबोटेज से
- रणभेरी की गूँज उठी अब निर्वाचन आयोग से
- पाँच राज्य में मचेगा दंगल, जीतें भाग्य संयोग से
- झंडे डंडे चर्चा पर्चा मंच कहीं या माइक है
- जुटे पड़े हैं सब ही देखो यद्यपि नहीं वे लायक है
- घूमे घर घर दर दर प्रत्याशी याचें सबसे वोट है
- नत मस्तक कर जोर भंगिमा मानो गर्दन में चोट है
- झूठे आश्वासन लेकर घूमे . उपजे स्वारथ की कोख से
- रणभेरी की गूँज उठी अब निर्वाचन आयोग से
- पाँच राज्य में मचेगा दंगल, जीतें भाग्य संयोग से
- लोक तंत्र को टांग खूंटी पर चलते चाल दुधारी हैं
- साम दाम और दंड भेद , डंडे गुंडे तैयारी है
- वोटर देखे टुकुर टुकुर सब , वो ही एक बेचारा है
- विजय पराजय कोई की हो वोटर सदा ही हारा है
- यह दंगल नेता को प्यारा, वोटर पीड़ित इस रोग से
- रणभेरी की गूँज उठी अब निर्वाचन आयोग से
- पाँच राज्य में मचेगा दंगल, जीतें भाग्य संयोग से
- रचना == प्रदीप मानोरिया १७ अक्टूबर २००८
Thursday, 16 October 2008
चुनावी दंगल - प्रदीप मानोरिया
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35 comments:
आदरणीय मनोरिया जी
लिखे बिना रह न सका आपकी रचना पढ़कर
लिखते रहो दिनो-दिन आपका जीवन हो जाये फिर मधुकर।
आपका हितकारी
शिशु
bhai sahab, voter hamesha haarta hi hai, sahi kaha
प्रदीप जी,बढिया लिखा आपने हम भी आपके ब्लोग से पीडित हो गये हैं। आते रहेंगे इधर। बधाई आपको।
बहुत खूब सुन्दर रचना
very nice very timely delivery
बहुत बढ़िया आनंददायक सत्य
अद्भुत आपका सम्पूर्ण चिठ्ठा व्यंग का ग्रन्थ लगता है अब प्रतिदिन आना ही पडेगा
रणभेरी की गूँज उठी अब निर्वाचन आयोग से
पाँच राज्य में मचेगा दंगल, जीतें भाग्य संयोग से
bahut khub
hamre darwaje padhare
regards
शानदार रचना जानदार रचना प्रदीप जी कम्माल किया है आपने आपका observation बहुत बारीक और सुंदर है
वोटर देखे टुकुर टुकुर सब , वो ही एक बेचारा है
विजय पराजय कोई की हो वोटर सदा ही हारा है
चुनावों का असली परिणाम
बहुत ही अच्छा कहा है
रणभेरी के बज़ते ही होने लगी सुनवाई है
कुर्सी पर झूल रहे लोगो ने ली अंगड़ाई है
वोटर के दिन फ़िरने लगे दे रहे लोग बधाई है
वाह प्रदीप क्या खूब लिखा, क्या खूब धूम मचाई है
मुकेश कुमार तिवारी
लोक तंत्र को टांग खूंटी पर चलते चाल दुधारी हैं
साम दाम और दंड भेद , डंडे गुंडे तैयारी है
लाजवाव मानोरिया जी आपने तो शब्दों से रेखा चित्र खींच दिया
रास बिहारी पटना
प्रदीप जी
शानदार टिप्पणी राजनीति और नेताओं पैर
बहुत ही अच्छा कहा है .
रणभेरी की गूँज उठी अब निर्वाचन आयोग से
पाँच राज्य में मचेगा दंगल, जीतें भाग्य संयोग से
नेता व्यस्त अब हर स्तर के कोई न कोई काम से
जाग पड़े हैं उठ बैठे हैं , सोते थे आराम से
कोई मांगे कोई देता कोई टिकिट दिलाता है
सबको मिलता टिकिट कहाँ कोई कोई ही पाता है
वाह! बहुत खूब.
सही है आने वाले चुनावों का चित्र. बेहतरीन लगी रचना!!
andaaje byan khoob hai.
dhnyabad, ek or behtarin prastuti ke liye.....
चलिये, शायद ये चुनाव अगले संसदीय चुनाव को जल्दी लायें! लोग वोट डालने को बेताब होंगे!
बहुत सुंदर प्रदीप जी /बहुत सुंदर खाखा खींचा है आपने आगामी चुनाव का सच में मज़ा आगया /ये इनती और अच्छी बातें आपके दिमाग में आ कहाँ से जाती है मै तो हैरान रह जाता हूँ
बहुत ही बेहतरीन ढंग से आप ने आने वाले समय का चिंत्रण किया.
धन्यवाद
भाई प्रदीप जी,
आपकी प्रस्तुति ने हमें भी उत्साहित कर एक लाइन जोड़ने को बाध्य कर दिया....
झंडे, डंडे,चर्चा,पर्चा, मंच कहीं या माइक है
बांटे जो कम्बल,पौव्वा उसे करे सब लाइक हैं
अच्छी प्रस्तुति के लिए धन्यवाद.
चन्द्र मोहन गुप्त
सुंदर लिखा है, आनंद आ गया पढकर।
अछ्ची रचना है आपकी
लोक तंत्र को टांग खूंटी पर चलते चाल दुधारी हैं
साम दाम और दंड भेद , डंडे गुंडे तैयारी है
सत्य वचन! भारतीय परिस्थितियों का बिल्कुल सटीक वर्णन.
दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएं /दीवाली आपको मंगलमय हो /सुख समृद्धि की बृद्धि हो /आपके साहित्य सृजन को देश -विदेश के साहित्यकारों द्वारा सराहा जावे /आप साहित्य सृजन की तपश्चर्या कर सरस्वत्याराधन करते रहें /आपकी रचनाएं जन मानस के अन्तकरण को झंकृत करती रहे और उनके अंतर्मन में स्थान बनाती रहें /आपकी काव्य संरचना बहुजन हिताय ,बहुजन सुखाय हो ,लोक कल्याण व राष्ट्रहित में हो यही प्रार्थना में ईश्वर से करता हूँ ""पढने लायक कुछ लिख जाओ या लिखने लायक कुछ कर जाओ "" कृपा बनाए रखें /
Chunavon ki taiyari aapke manch par bhi shuru ho gayi. shubhkamnayein aur swagat.
हमारे क्षेत्र मे भी नेताओ का आगमन होना शुरू हो गया है। बेहतरीन रचना के लिये बधाई...
बेहतरीन रचना ...
aapki kavita kafi achchhi hai.
http://therajniti.blogspot.com/
झंडे डंडे चर्चा पर्चा मंच कहीं या माइक है
जुटे पड़े हैं सब ही देखो यद्यपि नहीं वे लायक है
घूमे घर घर दर दर प्रत्याशी याचें सबसे वोट है
नत मस्तक कर जोर भंगिमा मानो गर्दन में चोट है
वाह सर मैं भी नत मस्तक हो प्रणाम करता हूँ.
झंडे डंडे चर्चा पर्चा मंच कहीं या माइक है
जुटे पड़े हैं सब ही देखो यद्यपि नहीं वे लायक है
घूमे घर घर दर दर प्रत्याशी याचें सबसे वोट है
नत मस्तक कर जोर भंगिमा मानो गर्दन में चोट है
वाह सर मैं भी नत मस्तक हो प्रणाम करता हूँ.
लोक तंत्र को टांग खूंटी पर चलते चाल दुधारी हैं
साम दाम और दंड भेद , डंडे गुंडे तैयारी है
वोटर देखे टुकुर टुकुर सब , वो ही एक बेचारा है
विजय पराजय कोई की हो वोटर सदा ही हारा है
यह दंगल नेता को प्यारा, वोटर पीड़ित इस रोग से
बहुत सटीक, समकालीन टिप्पणी
दिपावली की शुभकामनाये आप ओर आप के परिवार कॊ
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