Friday, 3 October 2008

१२३ परमाणु करार

  • आज हमारे पडौसी श्री राम अवतार
  • भोर ही पधारे लेकर गरमागरम अखवार
  • बोले भाई साहेब बहुत बहुत बधाई
  • कहकर जलेबी की पुडिया आगे बढाई
  • मैंने प्रश्नवाचक भंगिमा बनाई
  • तब उन्होंने ख़बर सुनाई
  • जिसके लिए प्रधानमंत्री जी थे बेकरार
  • आख़िर हो ही गया वो परमाणु करार
  • राम अवतार ने अपना मुंह फ़िर खोला
  • और बड़े विश्वास से बोला
  • कि देश की जनता अब लाभ उठाएगी
  • बिजली की कटौती कम हो जायेगी
  • पूरी बिजली और पानी की समस्या सुलझेगी
  • परेशान जनता भी अब चैन से रह लेगी
  • मंहगाई जो छु रही थी आसमान
  • उस पर भी कसेगी अब कमान
  • मैंने तब राम अवतार के सपनो को विराम दिया
  • जैसे तैसे मिथ्या आशावादी रामअवतार को चुप किया
  • मैंने कहा अरे राम अवतार ज़रा मेरी भी सुनो
  • सुबह सुबह से ही शेखचिल्ली मत बनो
  • जो बिजली पानी की समस्या और मंहगाई का बुखार है
  • उसका कारण अराजकता और भ्रष्टाचार है
  • यह परमाणु करार तुम्हारे काम का नहीं है
  • इससे हम तुम को कोई आराम नहीं है
  • यह तो मुद्दे की जड़ से उत्पन्न दंभ का परिणाम है
  • हम तो उतने ही मजबूर है इससे हमारा क्या काम है रचना प्रदीप मानोरिया

19 comments:

Anonymous said...

सुन्दर । मैंने जैसा कहा था, एक लेख है indiaversusbharat.wordpress.com पर । नया ब्ला़ग और प्रथम प्रविष्टि । - योगेन्द्र

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

परमाणु करार के आगे क्या होगा ये भी हमीं को देखना होगा ..

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

satyabachan

राज भाटिय़ा said...

परमाणु करार ओर इस से होने वाला क्या है यह भी तो देखना बाकी हे जो हम सब को भुगतना पडेगा, हमारे ईमानदार जी इतने बेकरार थे इस करार के लिये कि ...ससंद मे कुर्सी बचाने के लिये ....
धन्यवाद

Rajeev gupta said...

वाह सर छा गए

BrijmohanShrivastava said...

उन्होंने जलेबी की पुडिया आगे बडाई = तो फिर आपने जलेबी क्यों नहीं खाई =प्रदीप जी आपका दूसरा ब्लॉग क्यों नहीं खुल रहा

हिन्दीवाणी said...

बहुत अच्छी कविताएं लिखते हैं आप। आज पहली बार आपके ब्लॉग से रूबरू हुआ। बधाई।

प्रवीण त्रिवेदी said...

वाह भाई वाह !

प्रभाष कुमार झा said...

ताज़ातरीन घटनाओं पर छंदों के ज़रिए आपकी त्वरित टिप्पणी लाजवाब है.

makrand said...

यह परमाणु करार तुम्हारे काम का नहीं है
इससे हम तुम को कोई आराम नहीं है

u r great sir
simple words door tak jate he
regards

तीसरा कदम said...

sir khoob likha
ek gujarish karta hon hamare mukhya mantri ji ne apne aap ko mahilaon ka bhai aur ladkiyon ka mama bola es par kuchh likhiye ... nivedan swikaar kare. :-)

Sumit Pratap Singh said...

waaaaaahhhhhh.....

योगेन्द्र मौदगिल said...

वाहवा
सामयिक व सटीक व्यंग्य
आपको बधाई

Anil Pusadkar said...

छा गये प्रदीप जी छा गये। आपका दूसरा ब्लोग नही खुल रहा है,क्या कारण है देखिये।

BrijmohanShrivastava said...

इस रचना पर मैं पहले टिप्पणी दे चुका हूँ पर मेरा मन नहीं भरता =बार बार इस रचना को पढ़ना जारी है /साथ ही दूसरी रचना का इंतज़ार है

डॅा. व्योम said...

प्रदीप जी बहुत अच्छा लिख रहे हो..... बधाई़।

डा० जगदीश व्योम

Pushpendra Paliwal said...

सटीक लेख

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

नैनो की विदाई और मौजूदा हालात की अच्छी तस्वीर उभरी है आपकी कविता मेँ - सामयिक विशय से रोचक रही !
लिखते रहीये ..
बहुत शुभकामना सह:
- लावण्या

makrand said...

मंहगाई जो छु रही थी आसमान
sir upna naziria dekiye
arthic mandi
regards