Friday 26 June, 2009

मोहब्बत - रूहानी ज़ज्बा

  • गुलशन में र वानी है , और रुत भी सुहानी है |
  • नहीं ज़ज्बा -ए-इश्क अगर ,फिर कैसी जवानी है ||
  • नहीं चैन कहीं मिलता , आँखे भी उनींदी हैं |
  • नज़रों में बसी सूरत ,ये इश्क निशानी है ||
  • आह्ट हो जरा कोई , आमद सी लगे उनकी |
  • नगमा ये मोहब्बत का, उल्फत की कहानी है ||
  • इज़हार मोहब्बत का , लफ्जों से लगे मुश्किल |
  • आँखों से ही कह देना , जो बात बतानी है ||
  • मिलना ही इश्क नहीं , उल्फत हो बिछड के भी |
  • हालात हों कोई भी , तेरी याद तो आनी है ||
  • भीगी सी हंसी जुल्फें , लहरा के चले जाना |
  • इनका ही सहारा है , खुसबू ही बसानी है ||
  • शम्मा ये मोहब्बत की , जो हमने जलाई है |
  • ये इश्क रहे ज़िंदा , ज़ज्बा ये रुहानी है ||
  • =प्रदीप मनोरिया
  • २६-०६-२००९
  • 09425132060

11 comments:

MANVINDER BHIMBER said...

गुलशन में र वानी है , और रुत भी सुहानी है |
नहीं ज़ज्बा -ए-इश्क अगर ,फिर कैसी जवानी है ||
bahut bhaawpurn likhte hain aap

सदा said...

आह्ट हो जरा कोई , आमद सी लगे उनकी |
नगमा ये मोहब्बत का, उल्फत की कहानी है ||

बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

विवेक सिंह said...

आपकी गज़ल पसन्द आई ,

अपने ही ब्लॉग पर सबसे नीचे क्यों पड़े हैं जरा ऊपर उठिए :)

ओम आर्य said...

bahut hi rangin post hai .......usapar se kyaalat bhi.............khubsoorat

satish kundan said...

# मिलना ही इश्क नहीं , उल्फत हो बिछड के भी |
# हालात हों कोई भी , तेरी याद तो आनी है...बहुत खूब...मुझे बहुत पसंद आई आपकी रचना

उम्मीद said...

sundar gazal

Jayshree varma said...

आपका जज्बा और आपका यह नग्मा दोनों ही बहुत सुंदर है...........

दिगम्बर नासवा said...

इज़हार मोहब्बत का , लफ्जों से लगे मुश्किल
आँखों से ही कह देना , जो बात बतानी है

vaah mazaa aa hayaa prdeep ji........ lajawaab लिखा है har chhand khoobsoorat

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

saral bhasha me jaadoo hota hai, aapki rachnaye ise siddh kar rahi hain.

नीरज गोस्वामी said...

आह्ट हो जरा कोई , आमद सी लगे उनकी |
नगमा ये मोहब्बत का, उल्फत की कहानी है |

बेहतरीन प्रदीप जी वाह...क्या बात है...पूरी ग़ज़ल ही असर दार है...जल्द ही इसी काफिये पर एक ग़ज़ल आप मेरे ब्लॉग पर पढेंगे...इंतज़ार कीजिये ...
नीरज

Urmi said...

बहुत ख़ूबसूरत और शानदार ग़ज़ल लिखा है आपने जो काबिले तारीफ है!