- गुलशन में र वानी है , और रुत भी सुहानी है |
- नहीं ज़ज्बा -ए-इश्क अगर ,फिर कैसी जवानी है ||
- नहीं चैन कहीं मिलता , आँखे भी उनींदी हैं |
- नज़रों में बसी सूरत ,ये इश्क निशानी है ||
- आह्ट हो जरा कोई , आमद सी लगे उनकी |
- नगमा ये मोहब्बत का, उल्फत की कहानी है ||
- इज़हार मोहब्बत का , लफ्जों से लगे मुश्किल |
- आँखों से ही कह देना , जो बात बतानी है ||
- मिलना ही इश्क नहीं , उल्फत हो बिछड के भी |
- हालात हों कोई भी , तेरी याद तो आनी है ||
- भीगी सी हंसी जुल्फें , लहरा के चले जाना |
- इनका ही सहारा है , खुसबू ही बसानी है ||
- शम्मा ये मोहब्बत की , जो हमने जलाई है |
- ये इश्क रहे ज़िंदा , ज़ज्बा ये रुहानी है ||
- =प्रदीप मनोरिया
- २६-०६-२००९
- 09425132060
Friday, 26 June 2009
मोहब्बत - रूहानी ज़ज्बा
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12 comments:
गुलशन में र वानी है , और रुत भी सुहानी है |
नहीं ज़ज्बा -ए-इश्क अगर ,फिर कैसी जवानी है ||
bahut bhaawpurn likhte hain aap
आह्ट हो जरा कोई , आमद सी लगे उनकी |
नगमा ये मोहब्बत का, उल्फत की कहानी है ||
बेहतरीन प्रस्तुति ।
आपकी गज़ल पसन्द आई ,
अपने ही ब्लॉग पर सबसे नीचे क्यों पड़े हैं जरा ऊपर उठिए :)
bahut hi rangin post hai .......usapar se kyaalat bhi.............khubsoorat
# मिलना ही इश्क नहीं , उल्फत हो बिछड के भी |
# हालात हों कोई भी , तेरी याद तो आनी है...बहुत खूब...मुझे बहुत पसंद आई आपकी रचना
sundar gazal
आपका जज्बा और आपका यह नग्मा दोनों ही बहुत सुंदर है...........
इज़हार मोहब्बत का , लफ्जों से लगे मुश्किल
आँखों से ही कह देना , जो बात बतानी है
vaah mazaa aa hayaa prdeep ji........ lajawaab लिखा है har chhand khoobsoorat
saral bhasha me jaadoo hota hai, aapki rachnaye ise siddh kar rahi hain.
आह्ट हो जरा कोई , आमद सी लगे उनकी |
नगमा ये मोहब्बत का, उल्फत की कहानी है |
बेहतरीन प्रदीप जी वाह...क्या बात है...पूरी ग़ज़ल ही असर दार है...जल्द ही इसी काफिये पर एक ग़ज़ल आप मेरे ब्लॉग पर पढेंगे...इंतज़ार कीजिये ...
नीरज
बहुत ख़ूबसूरत और शानदार ग़ज़ल लिखा है आपने जो काबिले तारीफ है!
Superb 👏👏👏👍👍👍
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