- राह तकत नयना थके, सतत जोहते बाट |
- माह अषाढ़ भी जा रहा , नहीं आई बरसात ||
- तपन नहीं अब सहन है , अब आये मानसून |
- छींटे भी दुर्लभ हुए, बीत चला है जून ||
- चार माह से कृपा बहुत , हे रवि तुमरा तेज़ |
- रात हुए भी चुभत है , गरम गरम यह सेज ||
- नहीं चैन दीखत कहीं , नहीं दीखते मेघ |
- बिन बदरा बैचन सब , असह्य ग्रीष्म का वेग ||
- शासन में भी उलझ रहा , अबकी ऐसा पेंच |
- बिजली पानी की कमी , मानसून की खेंच ||
- मेघ राज सुन लीजिये , हमरी करुण पुकार |
- अब तो दर्शन दीजिये ,सुगम चले सरकार ||
- =Pradeep Manoria
Tuesday, 23 June 2009
कब आओगे मेघ और फिर कब बरसोगे
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15 comments:
ATISUNDAR .........WAAH .......BAHUT KHUB
सुन्दर रचना है............ प्रदीप जी.......मेघ की चाहत, बूंदों की इच्छा तो सबको है........... बहूत गर्मी है सचमुच जल्दी बरसें मेघ अब तो
प्रदीप जी आपने तो वर्त्तमान भारत की चातक निगाह डाली है !
बहुत ही सुंदर रचना.
भई हमारे यहां तो इतनी बरसात हो रही है कि नाक मै दम हो गया, काश अगर हमारे हाथ होता तो यह बरसात भारत भेज देता, चलिये हम भी प्राथाना करते है आप सब के संग.
धन्यवाद
मुंबई में कल से बरसात शुरु हो चुकी है पर झमाझम बारिश का इंतजार है।
sundar, apratim, garmi me baarish ho to chain mile.
अब तो मानसून आ ही जाएगा,
इतना बढ़िया तरीके से आप ने मेध की आमंत्रित किया है.
आप को बहुत बहुत धन्यवाद,
प्रदीप जी आपके इन दोहों की जितनी प्रशंशा की जाये कम है...आपने पूरे भारत वासियों की पुकार को शब्द दे दिए हैं...कामना करता हूँ की इश्वर हम सब की फरियाद शीघ्र सुने...
नीरज
सुन्दर रचना है.बारिश का इंतजार है।.
"हिन्दीकुंज"
बेहतरीन दोहे रचे, वाह!
बहुत ही ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ है!
दोहे बहुत अच्छे लगे....बहुत बहुत बधाई....
एक नई शुरुआत की है-समकालीन ग़ज़ल पत्रिका और बनारस के कवि/शायर के रूप में...जरूर देखें..आप के विचारों का इन्तज़ार रहेगा....
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति................ सचमुच बारिश का इंतजार करते करते थक गए..... लेकिन यह बदरिय बहुत नखरे दिखा रही है..... शायद आपकी कविता के निमंत्रण से मान जाए.............
Bahut khub likha hai.Badhai.
जल्दी से मेघ बरसें.. बहुत गर्मी पड़ रही है..
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