- फिर वही राज वही काज वही मंहगाई है |
 - हिंद में कठपुतली ने फिर से कुर्सी पाई है ||
 - वही मेडम वही गुड्डा वही है डोर हाथों में |
 - फर्क इतना कि कुछ मजबूती हाथ आई है ||
 - हिंद में रेल समझोते से चली है अब तो |
 - या बिहारी या कि बंगाली ने इसे चलाई है ||
 - खुद पे ज्यादा भरोसा नहीं लाजिम मेरे दोस्त |
 - इस अति भरोसे में ही सांई ने मुंह की खाई है ||
 - बिल्ली खिसिया के नोचती है खम्बा |
 - बात ये ही है जिससे छिड़ी लड़ाई है ||
 
=Pradeep Manoria
चित्र vibhutipandya.blogspot.com  से साभार 
