tag:blogger.com,1999:blog-26851004469133585092024-02-06T20:12:12.440-08:00हिन्दी काव्य मंचगीत गज़ल कविता का गुलदस्ताप्रदीप मानोरियाhttp://www.blogger.com/profile/07696747698463381865noreply@blogger.comBlogger99125tag:blogger.com,1999:blog-2685100446913358509.post-75195579216703904862013-03-15T08:40:00.002-07:002013-03-15T08:40:34.773-07:00पूज्य माँ प्रदीप मानोरियाhttp://www.blogger.com/profile/07696747698463381865noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-2685100446913358509.post-4334303078812603912011-05-04T06:27:00.001-07:002011-05-04T06:27:38.164-07:00Dedicated to Respected JIJAJIप्रदीप मानोरियाhttp://www.blogger.com/profile/07696747698463381865noreply@blogger.com12tag:blogger.com,1999:blog-2685100446913358509.post-30140318291699996532011-03-31T00:02:00.001-07:002011-03-31T00:02:48.003-07:00प्रदीप मानोरियाhttp://www.blogger.com/profile/07696747698463381865noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-2685100446913358509.post-65192658293960250722011-03-29T06:20:00.001-07:002011-03-29T06:20:43.619-07:00प्रदीप मानोरियाhttp://www.blogger.com/profile/07696747698463381865noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-2685100446913358509.post-85629716183059702452011-03-18T03:42:00.001-07:002011-03-18T21:25:31.091-07:00होली की धूम
रंग की फुहार है , गीत की बहार है / बॉंटता जो प्यार है , होली का त्यौहार है / धूम ही मचायेंगे , होली यूं मनायेंगे / यारों की टोली में , गॉंव की होलीमें / हाथों में रंग लिये , पिचकारी संग लिये / झूमझूम गायेंगे . होली यूं मनायेंगे / गॉंव की जो गोरियॉं , भाभी और छोरियां / देख रंग हाथों में , घुस गई अहातों में / दरवज्जा तुडवायेंगे , होली यूं मनायेंगे / रंग लगा प्रदीप मानोरियाhttp://www.blogger.com/profile/07696747698463381865noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-2685100446913358509.post-11346452358572468732011-02-17T00:13:00.000-08:002011-02-17T00:13:37.969-08:00manmohan singh : 21st century's Dhritrashtra
राष्ट्र का गौरव बडा है या कि यह दुर्भाग्य है ।
ताज पहने आज भी बैठा हुआ धृतराष्ट्र है ॥
इटेलियन संजय हुई या गांधारी कौन है ।
इसके जबाब में जनता रही क्यों मौन है ॥
कृष्ण ने रक्षा करी थी द्रोपदी की लाज की ।कौन अब रक्षा करेगा ये द्रोपदी(*) जो आज की ॥
(*) द्रोपदी= जनता,देश
प्रदीप मानोरिया
प्रदीप मानोरियाhttp://www.blogger.com/profile/07696747698463381865noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-2685100446913358509.post-74244626833060234242011-01-13T22:24:00.000-08:002011-01-13T22:24:47.879-08:00happy makar sakrantiप्रदीप मानोरियाhttp://www.blogger.com/profile/07696747698463381865noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-2685100446913358509.post-47484607035352096492010-11-05T21:31:00.000-07:002010-11-05T21:37:19.877-07:00मंगलमय दीपावली
समर्थ दीपक ज्योति है चिर काल का हर ले तिमिर ।हो उदित अब ज्ञान ज्योति हर सके जग का भंवर ॥निर्वाण श्री प्रभु वीर का यह दे रहा संदेश है ।समृद्ध हो निज ज्ञान वैभव लक्ष्मी बसी निज देश है ॥मंगलमय दीपावली ========== प्रदीप मानोरिया
प्रदीप मानोरियाhttp://www.blogger.com/profile/07696747698463381865noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2685100446913358509.post-31877284513674093292010-10-14T21:28:00.000-07:002010-10-14T21:31:25.502-07:00global handwash day
कोई ना कोई तो ऐसी सूरत है जिससे ये हेंड वाश जरूरत है हाथ धोना सफाई की एक आदत है हाथ धो कर पीछे पढ़ना एक कहावत है भले लोगों में ये हो न हो हाथ धोने की आदत किंतु चरितार्थ खूब होती है हाथ धोकर पीछे पड़ने की कहावत मंदी शेयर बाज़ार के पीछे हाथ धोकर पडी है मंहगाई भी हाथ धोकर आसमान पर जा चढी है टिकिटअर्थी अपने आका के पीछे हाथ धोकर पड़े हैं जिन्हें नही मिलता वे बाहर हाथ मलते हुए खड़े हैं गरीब के पीछे प्रदीप मानोरियाhttp://www.blogger.com/profile/07696747698463381865noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-2685100446913358509.post-14723995359576680852010-10-01T21:32:00.001-07:002010-10-01T21:35:39.680-07:00Blood Donationआपकी रगों में दौडता लहू किसी के जीवन की आस हो सकता है जीवन मृत्यु के इम्तिहान में वह व्यक्ति पास हो सकता है मज़हब दिल औ दिमाग का संकुचन होता है पर लहू तो सब इंसान का अकिंचन होता है आइये हम भी इस अकिंचन लहू का कुछ दान करें मौत के संघर्ष में लडते इंसान के लिये रक्तदान करें
=प्रदीप मानोरिया
प्रदीप मानोरियाhttp://www.blogger.com/profile/07696747698463381865noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-2685100446913358509.post-63217272610791877092010-09-29T21:21:00.000-07:002010-09-29T21:25:42.930-07:00अयोध्या का फ़ैसलामज़हब वतन में कोई मोहब्बत से बडा नहीं है इश्क इंसानी से बढकर इबादत कोई नहीं है सियासत के ठेकेदार लडाते मज़हब के नाम पर है इश्क अगर दिल में बस बात ये सही है क्या फ़ैसला जमीं ये है राम या अल्ला कीदिल को मिला ले उससे जिससे तेरी लगी है बंदा तू राम का या अल्ला का बन्दा तू है सांसे है वही तेरी लहू भी तेरा वही है
=प्रदीप मानोरिया
प्रदीप मानोरियाhttp://www.blogger.com/profile/07696747698463381865noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-2685100446913358509.post-62184024182030203522010-08-05T20:50:00.000-07:002010-08-05T20:58:22.772-07:00हरियाली
गहरे और घने मेघों की सौगात धरा पर आई है
वन उपवन आँगन के गमले सब हरियाली छाई है
जहाँ अवनि पर कण माटी के बिछी पूर हरियाली है
और गगन पर रवि लोप है घटा खूब ही काली है
प्रदीप मानोरिया
चित्र साभार श्रीमति किरन नितिला राज पुरोहित प्रदीप मानोरियाhttp://www.blogger.com/profile/07696747698463381865noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-2685100446913358509.post-32764216195561331692010-08-04T21:21:00.000-07:002010-08-04T21:28:51.658-07:00अथ पान महिमा
पान सो पदारथ सब जहान को सुधारत, दिमाग को बढावत जामें चूना चौकसाई है ।सुपारिन के साथ साथ मसाला मिले भांत भांत, जामे कत्थे की रत्ती भर थोडी सी ललाई है ॥बैठे हैं सभा मांहि बात करे भांत भांत,थूकन जात बार बार जाने की बडाई है ।कहें कवि किशोर दास चतुरन चतुराई साथ, पान में तमाखू काऊ मूरख ने चलाई है ॥
रचयिता : किशोर दास खण्डवा वाले प्रस्तुति : प्रदीप मानोरिया साभार ; नई दुनिया इन्दौर
प्रदीप मानोरियाhttp://www.blogger.com/profile/07696747698463381865noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-2685100446913358509.post-28046580562397544662010-06-27T21:14:00.000-07:002010-06-27T21:23:38.815-07:00षष्ठी पूर्तिप्रदीप मानोरियाhttp://www.blogger.com/profile/07696747698463381865noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-2685100446913358509.post-44668426451028595832010-06-20T23:22:00.000-07:002010-06-20T23:45:25.612-07:00दिल गीत और सुर
अफ़साने कुछ अनजाने से गीत पुराने लाया हूँ |तेरी महफ़िल में बातों से लफ़्ज़ चुराने आया हूँ ||
लव खामोश और बन्द निगाहें स्याह अंधेरा छाया है |तेरी सांसो की आवाज़ें सुर मैं मिलाने आया हूँ ||
खाली सागर फ़ैले पैमाने महफ़िल उजडी उजडी है |बेसुध रिंदो के आलम में दो घूँट मैं पाने आया हूँ ||
रुत बरखा की मेघ दिखें न दिल धरती सा तपता है |आँसू की दो बूँद बहा कर तपन मिटाने आया हूँ ||
दिल की चाहत दिल में प्रदीप मानोरियाhttp://www.blogger.com/profile/07696747698463381865noreply@blogger.com10tag:blogger.com,1999:blog-2685100446913358509.post-86420636259900673202010-06-15T07:05:00.000-07:002010-06-15T10:01:32.239-07:00मौन की पौनआज अर्जुन दिख रहा क्यों कौरवों के वेश में । क्यों दिशा से रहित वायु बह रही इस देश में ॥ श्मसान सा भोपाल को जिनने बनाया था कभी । अब भी उनको पालते अर्जुन हमारे देश में ॥ कौन है जो डस गया और सपेरा कौन है। हर कोई सच जानता अब हमारे देश में ॥ घट गया वह बुरा था सच उजागर आज है। मौन कठपुतला रहा फ़िर भी हमारे देश में ॥ मौन वह है हाथ जिससे चल रही सब डोर है। और बेटा मौन है नायक बना जो देश में ॥ लाशें कुचल करप्रदीप मानोरियाhttp://www.blogger.com/profile/07696747698463381865noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-2685100446913358509.post-43916455111440315742010-05-18T07:34:00.000-07:002010-05-18T09:51:08.435-07:00पानी रे पानी
पानी की कमी जो सर्वत्र ही छाई है ।स्वंयसेवी संस्थायें चिंता से घबराई हैं ॥एक संस्था ने पानी की बचत पर सेमिनार कराया ।भांति भांति के लोगों को सुनने सुनाने बुलाया ॥बहुत लोग माइक पाकर खुशी से फ़ूले ।सुनाये जल बचत के अपने फ़ार्मूले ॥एक बोलेबार बार गिलास धोने में पानी व्यर्थ बहता है ।पानी पीने पूरे घर का गिलास एक रहता है ।दूसरे बोलेहमने पानी बचाने का मस्त आइडिया अपनाया है ।हम तो बोतल से जल पीते हैंप्रदीप मानोरियाhttp://www.blogger.com/profile/07696747698463381865noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-2685100446913358509.post-67214562320322618302010-05-09T23:24:00.000-07:002010-05-10T00:01:52.624-07:00माँ
ज़िन्दगी में जब कोई अवसाद आता है ।माँ तेरी ममता का आँचल याद आता है ॥वक्त है बीता बहुत तेरे बिन रह्ते हुये ।किन्तु सर पे माँ तेरा ही हाथ आता है ॥
रहगुज़र में धूप भारी पर नहीं कुम्हला सका ।साया ममता का सदा ही साथ आता है ।। भूल हो जाये कोई फ़िर बोध हो अपराध का । डाँटना समझाना तेरा माँ याद आता है ॥ मेरे बच्चे खेलते जब उनकी माँ की गोद में । माँ मुझे बचपन मेरा भी याद आता है ॥
प्रदीप मानोरिया
प्रदीप मानोरियाhttp://www.blogger.com/profile/07696747698463381865noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-2685100446913358509.post-85356115866095503802010-02-27T20:02:00.000-08:002010-02-27T20:23:37.724-08:00होली की हार्दिक शुभ कामनायें
पर्व ये होली ऐसी सजायें ।.प्रेम खुशी व प्यार लुटायें॥.जल है अमोलक इसे बचायें।.तिलक लगा त्यौहार मनायें ॥
=Pradeep Manoria09425132060प्रदीप मानोरियाhttp://www.blogger.com/profile/07696747698463381865noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-2685100446913358509.post-63142404960925739252009-10-16T21:25:00.000-07:002009-10-16T21:33:03.478-07:00शुभ दीपावली ..
दीपो की कतार से ,एकता औ प्यार से उर के उल्लास से ,जीवन के प्रकाश से खुशियाँ फैलाई हैं दीवाली आई है ....................राम राज्य शान की , मुक्ति वर्धमान की न्याय और नीति की ,अहिंसा की रीति की याद ये दिलाई है दीवाली आई है ..................इस प्रकाश पर्व पर , मन का सब तिमिर हर हिंसा मन के रावण सब , विजय उन् पर पाकर अब दीवाली मनाई है दीवाली आई है ................
शुभ दीपावली ..(रचना = प्रदीप प्रदीप मानोरियाhttp://www.blogger.com/profile/07696747698463381865noreply@blogger.com8tag:blogger.com,1999:blog-2685100446913358509.post-47872604463815440732009-08-13T21:15:00.000-07:002009-08-13T21:24:39.526-07:00swantrata diwas =pradeep manoria
गली गली में बजते देखे आज़ादी के गीत रे जगह जगह झंडे फहराते यही पर्व की रीत रेसभी मनाते पर्व देश का आज़ादी की वर्षगांठ है वक्त है बीता धीरे धीरे साल द्वय और साठ है बहे पवन परचम फहराता याद जिलाता जीत रे गली गली में बजते देखे आज़ादी के गीत रे जगह जगह झंडे फहराते यही पर्व की रीत रे जनता सोचे किंतु आज भी क्या वाकई आजाद हैंभूले मानस को दिलवाते नेता इसकी याद हैं मंहगाई की मारी जनता भूल गई ये जीत रे गलीप्रदीप मानोरियाhttp://www.blogger.com/profile/07696747698463381865noreply@blogger.com11tag:blogger.com,1999:blog-2685100446913358509.post-73356823421055151172009-07-03T20:47:00.000-07:002009-07-04T20:55:17.450-07:00मिलने की प्यास रहने दे
ये जो गम हैं मेरे, मेरे ही पास रहने दे |जिन्दगी में बाकी ये , जीने की आस रहने दे ||
वो मिले या न मिले , उल्फत की शमा जलती रहे |न रहे साथ भले , यादें ही पास रहने दे ||
कतरा कतरा शराब में जिन्दगी शामिल है |मय मयस्सर नहीं , महकती हुई सांस रहने दे ||
घूँट दो घूँट में साँसे तो महक जाती हैं |जो नशे का है सबब साकी को पास रहने दे ||
स्याह जुल्फों के किनारे से टपकता पानी |बूँद मोती सी ये अश्कों के प्रदीप मानोरियाhttp://www.blogger.com/profile/07696747698463381865noreply@blogger.com25tag:blogger.com,1999:blog-2685100446913358509.post-74938473504449069922009-06-30T09:11:00.001-07:002009-06-30T20:59:42.741-07:00सियासत
फिर वही राज वही काज वही मंहगाई है |हिंद में कठपुतली ने फिर से कुर्सी पाई है ||वही मेडम वही गुड्डा वही है डोर हाथों में |फर्क इतना कि कुछ मजबूती हाथ आई है ||हिंद में रेल समझोते से चली है अब तो |या बिहारी या कि बंगाली ने इसे चलाई है ||खुद पे ज्यादा भरोसा नहीं लाजिम मेरे दोस्त |इस अति भरोसे में ही सांई ने मुंह की खाई है ||बिल्ली खिसिया के नोचती है खम्बा |बात ये ही है जिससे छिड़ी लड़ाई है ||प्रदीप मानोरियाhttp://www.blogger.com/profile/07696747698463381865noreply@blogger.com12tag:blogger.com,1999:blog-2685100446913358509.post-64475186946906252652009-06-26T21:23:00.000-07:002009-06-26T21:34:28.321-07:00मोहब्बत - रूहानी ज़ज्बा
गुलशन में र वानी है , और रुत भी सुहानी है |नहीं ज़ज्बा -ए-इश्क अगर ,फिर कैसी जवानी है ||नहीं चैन कहीं मिलता , आँखे भी उनींदी हैं |नज़रों में बसी सूरत ,ये इश्क निशानी है ||आह्ट हो जरा कोई , आमद सी लगे उनकी |नगमा ये मोहब्बत का, उल्फत की कहानी है ||इज़हार मोहब्बत का , लफ्जों से लगे मुश्किल |आँखों से ही कह देना , जो बात बतानी है ||मिलना ही इश्क नहीं , उल्फत हो बिछड के भी |हालात हों प्रदीप मानोरियाhttp://www.blogger.com/profile/07696747698463381865noreply@blogger.com11tag:blogger.com,1999:blog-2685100446913358509.post-46227708097876564012009-06-23T20:45:00.000-07:002009-06-23T21:25:12.131-07:00कब आओगे मेघ और फिर कब बरसोगेराह तकत नयना थके, सतत जोहते बाट |माह अषाढ़ भी जा रहा , नहीं आई बरसात ||तपन नहीं अब सहन है , अब आये मानसून | छींटे भी दुर्लभ हुए, बीत चला है जून || चार माह से कृपा बहुत , हे रवि तुमरा तेज़ | रात हुए भी चुभत है , गरम गरम यह सेज || नहीं चैन दीखत कहीं , नहीं दीखते मेघ | बिन बदरा बैचन सब , असह्य ग्रीष्म का वेग || शासन में भी उलझ रहा , अबकी ऐसा पेंच | बिजली पानी की कमी , मानसून की खेंच || मेघ राज प्रदीप मानोरियाhttp://www.blogger.com/profile/07696747698463381865noreply@blogger.com15