Monday 8 December, 2008

दंगल के बाद --- प्रदीप मानोरिया

कोई खुश तो कोई खीजा और कोई खामोश है |
मतगणना के परिणामों  से कहीं रोष या जोश है ||
शिव शीला और रमन सिंह ने सत्ता पाई दोबारा है |
जीत गए नेता खुश होते , वोटर फ़िर भी हारा है  ||
राजस्थान में मौजूदा पर नहीं किया विश्वास है  |
वसुंधरा मायूस हुईं क्या,क्या टूटी अब आस है ||
वादों का धर भार कंधे पर पहुंचे सत्ता के पास हैं |
वे वादों को भले ही भूलें , वोटर रखता आस है ||
आस धरे वोटर बैठा है , होता सदा निराश है |
नेता को सता सुख प्यारा, नोट अरु वोट चटास है ||
बड़े बड़े दिग्गज भी  हारे , जो आशा पर जीते हैं |
आज हुआ माहौल जो ऐसा, भरी दुपहरी पीते हैं || 
नये नए चेहरे भी जीते ,दंगल इसी चुनावी में |
कुछ की नैया पार लगी है, चलती लहर प्रभावी में ||
नए विधायक खुशी  असीमित, दिखता भारी जोश है |
मतगणना के परिणामों ने फैलाया आगोश है  || 
कोई खुश तो कोई खीजा और कोई खामोश है |
मतगणना के परिणामों  से कहीं रोष या जोश है ||
=प्रदीप मानोरिया  09425132060 

27 comments:

Smart Indian said...

कमाल है मनोरिया जी, परिणाम आते ही कविता तय्यार! बधाई!

हर्ष प्रसाद said...

बहुत दिनों के बाद ब्लॉग जगत में दाखिल हुआ और रोचक कविता का सामना हुआ. मुबारक हो.

seema gupta said...

" wah, good creation on electiona nd results"

Regards

Vinay said...

हार्दिक बधाई!

डॉ .अनुराग said...

आपके अंदाज में ,अच्छा है

रंजना said...

sahi aaklan aur sundar prastuti ke liye aabhaar.

Anonymous said...

wah, ji, bilkul sateek rachna.

समयचक्र said...

वाह कोई जीतने पर खुशी मन रहा है तो कोई हार जाने के बाद अपने बालो को नौंच रहा है परिणाम आने के बाद

दिगम्बर नासवा said...

प्रदीप जी
चुनाव परिणाम आपके अनोखे अंजाद मैं पड़ कर मजा आ गया
छ गए गुरु, बहुत अच्छे

makrand said...

कोई खुश तो कोई खीजा और कोई खामोश है |
मतगणना के परिणामों ने फैलाया आगोश है ||

bhaut khub sir

BrijmohanShrivastava said...

मत गणना के परिणामों पर बहुत सटीक रचना /समाचारों में परिणामों की रुझान देख कर ही रचना लिखना शुरू कर दिया था या द्रश्य और लेखन एक साथ चल रहा था

hindustani said...

परिणाम आते ही आप की कविता भी आ गई आप की सोच की गति की कल्पना करना.............

Anonymous said...

Hamesha ki tarah chutila.

guptasandhya.blogspot.com

मुकेश कुमार तिवारी said...

भईया,

थो्ड़ा सा लेट हुआ हूँ. वाकई अच्छी प्रतिक्रिया है चुनावों के एकदम बाद स्फूर्त और त्वरित.

मुकेश कुमार तिवारी

Unknown said...

क्या बात है!बहुत सुंदर धन्यवाद! लेकिन ये क्या प्रदीप जी आजकल मै थोड़ा बीजी हो गया हूँ जिसके कारन मुझे थोड़ा समय कम मिलता है तो क्या आप भी मुझसे संपर्क बनाना छोड़ दिए!

Manuj Mehta said...

माफ़ी चाहूँगा, काफी समय से कुछ न तो लिख सका न ही ब्लॉग पर आ ही सका.

आज कुछ कलम घसीटी है.

आपको पढ़ना तो हमेशा ही एक नए अध्याय से जुड़ना लगता है. आपकी लेखनी की तहे दिल से प्रणाम.

ज्योत्स्ना पाण्डेय said...

aap apne kshetr tak hi seemit kyon rah gaye pradeep ji ,
dilli bhi ghoom lete to aur maza aata ,......ha ha ha
bahut sahi kaha aapne ,satta ke bhookhe neta apni jeben to bhar len .....
janataa kee fikr kise ?

dhanyawaad

Alpana Verma said...

मतगणना के परिणामों ने फैलाया आगोश है ||
कोई खुश तो कोई खीजा और कोई खामोश है |
मतगणना के परिणामों से कहीं रोष या जोश है
-wah! bahut badiya aur rochak kavita hai.
ek dum samayik..aur sara lekha jokha bhi.


[sorry for late comment]

"MIRACLE" said...
This comment has been removed by the author.
"MIRACLE" said...

प्रदीप जी आपको मेरा नमस्कार! आप ने मेरे ब्लॉग पर दस्तक दी थी उसके लिए धन्यवाद! पुनः दस्तक दे मैंने कुछ नया लिखने का प्रयास किया है!

Anonymous said...

नेताओं की हमेशा ही चांदी होती है और वोटर हमेशा ही खामोश रह जाता है। आपकी रचना बहुत अच्छी लगी।

Unknown said...

bhaut he bhadiya likha hai sir...aapne yathaarth ko kavita ke maadhyam se kaafi khubsurti se darsaaya hai....

Jayshree varma said...

क्या कविता लिखी है आपने .... मजा आ गया पठाने में

Harshvardhan said...

bahut achchi kavita lagi aapki
aapko badhayi

योगेन्द्र मौदगिल said...

Jai ho
Twarit kavita
badhaiiiiiiiiiiiii.......

Mumukshh Ki Rachanain said...

भाई प्रदीप जी,

आपने सच ही कहा है ........

आस धरे वोटर बैठा है , होता सदा निराश है |

चन्द्र मोहन गुप्त

Prakash Badal said...

मनोरिया जी क्या खूब लिखा है आपने कई बार पढ़ लिया सीधी भाषा में बात करना और तीखी बात करना वाह !!