कोई खुश तो कोई खीजा और कोई खामोश है |
मतगणना के परिणामों से कहीं रोष या जोश है ||
शिव शीला और रमन सिंह ने सत्ता पाई दोबारा है |
जीत गए नेता खुश होते , वोटर फ़िर भी हारा है ||
राजस्थान में मौजूदा पर नहीं किया विश्वास है |
वसुंधरा मायूस हुईं क्या,क्या टूटी अब आस है ||
वादों का धर भार कंधे पर पहुंचे सत्ता के पास हैं |
वे वादों को भले ही भूलें , वोटर रखता आस है ||
आस धरे वोटर बैठा है , होता सदा निराश है |
नेता को सता सुख प्यारा, नोट अरु वोट चटास है ||
बड़े बड़े दिग्गज भी हारे , जो आशा पर जीते हैं |
आज हुआ माहौल जो ऐसा, भरी दुपहरी पीते हैं ||
नये नए चेहरे भी जीते ,दंगल इसी चुनावी में |
कुछ की नैया पार लगी है, चलती लहर प्रभावी में ||
नए विधायक खुशी असीमित, दिखता भारी जोश है |
मतगणना के परिणामों ने फैलाया आगोश है ||
कोई खुश तो कोई खीजा और कोई खामोश है |
मतगणना के परिणामों से कहीं रोष या जोश है ||
=प्रदीप मानोरिया 09425132060
27 comments:
कमाल है मनोरिया जी, परिणाम आते ही कविता तय्यार! बधाई!
बहुत दिनों के बाद ब्लॉग जगत में दाखिल हुआ और रोचक कविता का सामना हुआ. मुबारक हो.
" wah, good creation on electiona nd results"
Regards
हार्दिक बधाई!
आपके अंदाज में ,अच्छा है
sahi aaklan aur sundar prastuti ke liye aabhaar.
wah, ji, bilkul sateek rachna.
वाह कोई जीतने पर खुशी मन रहा है तो कोई हार जाने के बाद अपने बालो को नौंच रहा है परिणाम आने के बाद
प्रदीप जी
चुनाव परिणाम आपके अनोखे अंजाद मैं पड़ कर मजा आ गया
छ गए गुरु, बहुत अच्छे
कोई खुश तो कोई खीजा और कोई खामोश है |
मतगणना के परिणामों ने फैलाया आगोश है ||
bhaut khub sir
मत गणना के परिणामों पर बहुत सटीक रचना /समाचारों में परिणामों की रुझान देख कर ही रचना लिखना शुरू कर दिया था या द्रश्य और लेखन एक साथ चल रहा था
परिणाम आते ही आप की कविता भी आ गई आप की सोच की गति की कल्पना करना.............
Hamesha ki tarah chutila.
guptasandhya.blogspot.com
भईया,
थो्ड़ा सा लेट हुआ हूँ. वाकई अच्छी प्रतिक्रिया है चुनावों के एकदम बाद स्फूर्त और त्वरित.
मुकेश कुमार तिवारी
क्या बात है!बहुत सुंदर धन्यवाद! लेकिन ये क्या प्रदीप जी आजकल मै थोड़ा बीजी हो गया हूँ जिसके कारन मुझे थोड़ा समय कम मिलता है तो क्या आप भी मुझसे संपर्क बनाना छोड़ दिए!
माफ़ी चाहूँगा, काफी समय से कुछ न तो लिख सका न ही ब्लॉग पर आ ही सका.
आज कुछ कलम घसीटी है.
आपको पढ़ना तो हमेशा ही एक नए अध्याय से जुड़ना लगता है. आपकी लेखनी की तहे दिल से प्रणाम.
aap apne kshetr tak hi seemit kyon rah gaye pradeep ji ,
dilli bhi ghoom lete to aur maza aata ,......ha ha ha
bahut sahi kaha aapne ,satta ke bhookhe neta apni jeben to bhar len .....
janataa kee fikr kise ?
dhanyawaad
मतगणना के परिणामों ने फैलाया आगोश है ||
कोई खुश तो कोई खीजा और कोई खामोश है |
मतगणना के परिणामों से कहीं रोष या जोश है
-wah! bahut badiya aur rochak kavita hai.
ek dum samayik..aur sara lekha jokha bhi.
[sorry for late comment]
प्रदीप जी आपको मेरा नमस्कार! आप ने मेरे ब्लॉग पर दस्तक दी थी उसके लिए धन्यवाद! पुनः दस्तक दे मैंने कुछ नया लिखने का प्रयास किया है!
नेताओं की हमेशा ही चांदी होती है और वोटर हमेशा ही खामोश रह जाता है। आपकी रचना बहुत अच्छी लगी।
bhaut he bhadiya likha hai sir...aapne yathaarth ko kavita ke maadhyam se kaafi khubsurti se darsaaya hai....
क्या कविता लिखी है आपने .... मजा आ गया पठाने में
bahut achchi kavita lagi aapki
aapko badhayi
Jai ho
Twarit kavita
badhaiiiiiiiiiiiii.......
भाई प्रदीप जी,
आपने सच ही कहा है ........
आस धरे वोटर बैठा है , होता सदा निराश है |
चन्द्र मोहन गुप्त
मनोरिया जी क्या खूब लिखा है आपने कई बार पढ़ लिया सीधी भाषा में बात करना और तीखी बात करना वाह !!
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