धक्का की महिमा बड़ी , करना सोच विचार |
धक्के से ही होत हैं, काम अनेक हज़ार ||
धक्के से ही चल रही हिंद देश सरकार |
मेडम धक्का देत हैं , ड्राइवर है सरदार ||1||
धक्का मंदी का पायकर , औंधा शेयर बाज़ार |
अब तेज़ी का मुंह तके , धक्के का इंतज़ार ||2||
इस मंदी के धक्के से , बचा ना कच्चा तेल |
नित नित नीचे दाम हैं , यह धक्के का खेल ||3||
वोटों का धक्का पायकर, बने विधायक आज |
हर नेता यह चाहता , सबको धक्के की आस ||4||
धक्के से चालू करें , जूनी मोटर कार |
ड्राइवर बैठा सीट पर , मालिक धक्कादार ||5||
सुख स्पर्श की चाह में , दिन भर फिरें बाज़ार |
कोहनी धक्का मुक्की से , लहते सुक्ख अपार ||6||
नव दुल्हन है रूम में , दूल्हा खडा है द्वार |
भाभी धक्का देय तो , पहुंचे सुख संसार ||7||
वर्णन धक्का जो सभी , नहीं यहाँ उपयुक्त |
आप विचारें, जान लें , सोच आपकी मुक्त ||8||
= प्रदीप मानोरिया
0-94-251-32060
18 comments:
चलिए एक टिप्पणी भेज दें . अरे जा नहीं रहीं . कोई धक्का लगवाओ भाई :)
क्या गज़ब लिखते हो प्रदीप भाई!
रचना बड़ी धक्केदार है जी। एक धक्का हमारा भी।
प्रदीप जी
धक्के से दुनिया चले, धक्के से घर बार
धक्के से ही सीट मिले बस मैं बारम्बार
सुंदर व्यंग की तेज़ धार
धक्के से ही चल रही हिंद देश सरकार |
मेडम धक्का देत हैं , ड्राइवर है सरदार |
भाई बहुत सुंदर लिखा आप ने यह शेर तो जरुर सरदार जी को या उन के परिवार को पढना चाहिये. मन मोह लेते है आप के ऎसे सुंदर शेर,
धन्यवाद
bahut khub pradip ji ek dhkka ham bhi laga dete hai!
प्रदीप जी,
आपके बारे में कुछ भी कहते हुये, वो टी. व्ही. विग्यापन ही याद आता " मान गये आपकी पारखी नजर और....." को. क्या बरीक ऑब्जर्वेशन है कि "कोहनी धक्का-मुक्की से, लहते सुक्ख अपार"
बधाई.
मुकेश कुमार तिवारी
क्या गज़ब बात है " धक्का मंदी में चलता हिंद देश हमारा " बहुत बढ़िया सटीक अभिव्यक्ति. धन्यवाद
महेंद्र मिश्रा
जबलपुर.
pradeep ji !
bahut khoob ........aapki soch kahan tak pahunchti hai ?
kayal hoon ,aapke vichar manthan ki ,aur shukrguzar hoon jo aapne itana hansaya .
saty aur vyangy se poorit sundar rachanaa .......
aapke liye shubh kamanaayen
बहुत आकर्षक लगा ब्लॉग आपका !
"धक्कों" के एक सुव्यवस्थित क्रम को ही शायद ऊर्जा -प्रवाह कहते हैं जिससे सृष्टि जन्म लेती है और गतिशील होती है !
मेरे ब्लॉग पर आने के लिए धन्यवाद !
काफी संजीदगी से आप अपने ब्लॉग पर विचारों को रखते हैं.यहाँ पर आकर अच्छा लगा. कभी मेरे ब्लॉग पर भी आयें. ''युवा'' ब्लॉग युवाओं से जुड़े मुद्दों पर अभिव्यक्तियों को सार्थक रूप देने के लिए है. यह ब्लॉग सभी के लिए खुला है. यदि आप भी इस ब्लॉग पर अपनी युवा-अभिव्यक्तियों को प्रकाशित करना चाहते हैं, तो amitky86@rediffmail.com पर ई-मेल कर सकते हैं. आपकी अभिव्यक्तियाँ कविता, कहानी, लेख, लघुकथा, वैचारिकी, चित्र इत्यादि किसी भी रूप में हो सकती हैं......नव-वर्ष-२००९ की शुभकामनाओं सहित !!!!
बड़े मजेदार धक्के हैं.साधुवाद.
aare waah bahut khub bahut pasand aayi dhakke ki mahima:)sundar
bahut achchi kavita lagi
kya batt hai maza aa gaya
बहुत ही गज़ब की कविता है!
इतनी सहजता से आप ने कई गंभीर बातें भी लिख दी हैं..
वैसे धक्का मुक्की की ऐसी 'पहचान ' और रूप पहले नहीं देखे-सुने.
नये साल की हार्दिक शुभकामनाएं
बहुत धक्कायुक्त रचना है, अब लोगों की सोच के ऊपर न छोडें अन्यथा आप तो जानते ही हैं कि.................
मनोरिया भाई को नव वर्ष की शुभकामनएं। मेरी दुआ है की आपकी क़लम में धार बनी रहे और परिवार में आपके परिवार में खुशियों की बौछार बनी रहे।
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