Friday 28 November, 2008

मुम्बई २६/११ दहशतगर्दी

पाक तेरी नापाक  निगाहें,  क्या करता इन पर तू नाज़ |
यद्यपि शासन सुप्त हमारा , किंतु जनता जागृत  आज ||
कायर सा ये कदम तुम्हारा , कुत्सित नीयत दिखाई है |
दहशत गर्दी खेल ये खूनी,  मानवता बिसराई है  ||
हिम्मत नहीं सामने आओ , क्यों ना आती तुमको लाज |
पाक तेरी नापाक निगाहें , क्या करता इन पर तू नाज  ||
जो हिस्सा इस तन का ही है , छवि स्वच्छ है दिखलाता |
बाहर से भोंदू बनकर जो , आतंकी हमले करवाता ||
शान हमारी मुम्बई की जो , कहलाता है होटल ताज |
पाक तेरी नापाक  निगाहें,  क्या करता इन पर तू नाज़ |
हम शर्मिन्दा मेहमानों के प्रति , यह संस्कृति हमारी है |
खूनी होली खेलने वाले , क्या ये संस्कृति तुम्हारी है  ||
सीधी अंगुली घी  ना निकले , सीधे सीधे  आओ ना  बाज |
पाक तेरी नापाक  निगाहें,  क्या करता इन पर तू नाज़ |
जो अपनो से विछड गए हैं , ह्रदय चुभी उनकी यह पीर |
दहशत गर्दो ओ आतंकी , तुम लगते संवेदनहीन ||
जिंदा वे  जो हैं संवेदी , तुम पत्त्थर या हो तुम लाश |
पाक तेरी नापाक  निगाहें,  क्या करता इन पर तू नाज़ |
यद्यपि शासन सुप्त हमारा , किंतु जनता जागृत  आज ||
===प्रदीप मानोरिया 

28 comments:

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर said...

यह शोक का दिन नहीं,
यह आक्रोश का दिन भी नहीं है।
यह युद्ध का आरंभ है,
भारत और भारत-वासियों के विरुद्ध
हमला हुआ है।
समूचा भारत और भारत-वासी
हमलावरों के विरुद्ध
युद्ध पर हैं।
तब तक युद्ध पर हैं,
जब तक आतंकवाद के विरुद्ध
हासिल नहीं कर ली जाती
अंतिम विजय ।
जब युद्ध होता है
तब ड्यूटी पर होता है
पूरा देश ।
ड्यूटी में होता है
न कोई शोक और
न ही कोई हर्ष।
बस होता है अहसास
अपने कर्तव्य का।
यह कोई भावनात्मक बात नहीं है,
वास्तविकता है।
देश का एक भूतपूर्व प्रधानमंत्री,
एक कवि, एक चित्रकार,
एक संवेदनशील व्यक्तित्व
विश्वनाथ प्रताप सिंह चला गया
लेकिन कहीं कोई शोक नही,
हम नहीं मना सकते शोक
कोई भी शोक
हम युद्ध पर हैं,
हम ड्यूटी पर हैं।
युद्ध में कोई हिन्दू नहीं है,
कोई मुसलमान नहीं है,
कोई मराठी, राजस्थानी,
बिहारी, तमिल या तेलुगू नहीं है।
हमारे अंदर बसे इन सभी
सज्जनों/दुर्जनों को
कत्ल कर दिया गया है।
हमें वक्त नहीं है
शोक का।
हम सिर्फ भारतीय हैं, और
युद्ध के मोर्चे पर हैं
तब तक हैं जब तक
विजय प्राप्त नहीं कर लेते
आतंकवाद पर।
एक बार जीत लें, युद्ध
विजय प्राप्त कर लें
शत्रु पर।
फिर देखेंगे
कौन बचा है? और
खेत रहा है कौन ?
कौन कौन इस बीच
कभी न आने के लिए चला गया
जीवन यात्रा छोड़ कर।
हम तभी याद करेंगे
हमारे शहीदों को,
हम तभी याद करेंगे
अपने बिछुड़ों को।
तभी मना लेंगे हम शोक,
एक साथ
विजय की खुशी के साथ।
याद रहे एक भी आंसू
छलके नहीं आँख से, तब तक
जब तक जारी है युद्ध।
आंसू जो गिरा एक भी, तो
शत्रु समझेगा, कमजोर हैं हम।
इसे कविता न समझें
यह कविता नहीं,
बयान है युद्ध की घोषणा का
युद्ध में कविता नहीं होती।
चिपकाया जाए इसे
हर चौराहा, नुक्कड़ पर
मोहल्ला और हर खंबे पर
हर ब्लाग पर
हर एक ब्लाग पर।
- कविता वाचक्नवी
साभार इस कविता को इस निवेदन के साथ कि मान्धाता सिंह के इन विचारों को आप भी अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचकर ब्लॉग की एकता को देश की एकता बना दे.

राज भाटिय़ा said...

जो देश बना हि नफ़रत की नींव पर तो उस से प्यार ओर वफ़ा की उम्मीद कया की जा सकती है.
धन्यवाद

समयचक्र said...

दहशत गर्दो ओ आतंकी , तुम लगते संवेदनहीन ||
जिंदा वे जो हैं संवेदी , तुम पत्त्थर या हो तुम लाश |
बहुत बढ़िया रचना

Anonymous said...

पता नहीं, जनता कब तक जागरुक रहेगी. उसका जोश मूत्र-फेन की तरह है, स्मरण शक्ति बहुत ही क्षीण है.

शोभा said...

मैं कुमारेन्दु जी से सहमत हुँ। आज देश के हर नागरिक को जागना होगा।

Ajit Singh said...

अच्छी रचना. उससे भी अच्छी बात ये कि संवेदनाओं से शून्य होते जा रहे समाज में संवेदनाओं को जगाने की कोशिश. क्योंकि यही वो चीज है जो इंसानियत की आत्मा है.
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए...
http://sarjna.blogspot.com/

Smart Indian said...

धन्यवाद, इतनी कुशलता से मन की बात कहने के लिए. अपने आक्रोश को रचनात्मक रूप दे पाना सहज नहीं है.

Alpana Verma said...

अच्छी रचना.
वैसे 'आर या पार' की स्थिति से दूर नहीं हैं.

Dev said...

Pradeep ji
Bahut achchhi rahana ke liye dhanyavad...

Regards

PREETI BARTHWAL said...

जो अपनो से विछड गए हैं , ह्रदय चुभी उनकी यह पीर |
दहशत गर्दो ओ आतंकी , तुम लगते संवेदनहीन ||

बहुत ही सुन्दर और सच्ची रचना है

मुकेश कुमार तिवारी said...

संवेदनाओं से भरपूर रचना के लिये बधाईयाँ. ऐसी संवेदनाओं का ज्वार उठना चाहिये और सुनामी बन ना-पाक इरादों को नेस्तनाबूद करें. अब यह लगता है कि जार्ज बुश का तरीका गलत नही था और इरादा नेक था कि पाक की पाकिजगी लौटे वह ना-पाक नही रहे. यह बात एमेन्स्टी के हिमायतियों के लिये नही है वरना यहाँ भी शोर होगा कि कासब हमारा राजकीय अतिथी है और अतिथी देवो भवः हमारे संस्कार.

मुकेश कुमार तिवारी

Satish Saxena said...

बहुत सुंदर रचना !

Anonymous said...

यद्यपि शासन सुप्त हमारा,किंतु जनता जागृत आज|
बहुत अच्छी रचना|

sandhyagupta said...

Bahut achche.

BrijmohanShrivastava said...

वास्तविक स्थिति का वास्तविक वर्णन

तीसरा कदम said...

बहुत ही शानदार लिखा आपने. मैं रोज़ आपके ब्लॉग पर नही आता क्योंकि आपकी कवितायेँ मुझे अपना आदि न बना दे.
बहुत अच्छे.

Prakash Badal said...

वाह भाई जान वाह आपकी कलम लाजवाब है।

दिगम्बर नासवा said...

प्रदीपजी

पाक के नापाक इरादे तो सब को पता ही हैं, अब हम को भी जागना होगा, फ़िर से याद करना होगा बिस्मिल का वो आह्वान

"वक़्त आने पर बता देंगे तुझे ऐ आसमां"

अब समय आ गया है

रंजना said...

अत्यन्त प्रभावशाली ढंग से आपने जन जन की भावनाओं को शब्दों में अभिव्यक्त किया है.अतिउत्तम,सराहनीय.

योगेन्द्र मौदगिल said...

behtreen....... सामयिक दृष्टि.... आपको बधाई..

Prakash Badal said...

भाई मनोरिया जी मैं तो हूं ही आपके दोहों का कायल्

ज्योत्स्ना पाण्डेय said...

बहुत अच्छा प्रयास ..........लिखते रहिये

आपको मेरी शुभ-कामनाएं

Ravi Prakash said...

बहुत ही अच्छी और सटीक बात कही आपने सर....

Smart Indian said...

पाक तेरी नापाक निगाहें, क्या करता इन पर तू नाज़ |
यद्यपि शासन सुप्त हमारा , किंतु जनता जागृत आज ||

बहुत सटीक अभिव्यक्ति!

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

bahut badhiya ! pakistaan kee jhoth saili par ek kavita abhi-abhi maine bhi likhi hai . Aapa swagat hai mere blog par

Siddharthnagar Bazar said...

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wen said...

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wen said...

TOEFL test details assess how well you can read and understand materials used in an academic environment.

It includes three or four reading passages, each approximately 700 words long, with 10 questions per passage. You have 54 to 72 minutes to answer all the questions in the section.

Reading passages are excerpts from university-level textbooks that would be used in introductions to a topic. The passages cover a variety of subjects. Don't worry if you're not familiar with the topic of a passage. All the information you need to answer the questions will be included in the passage. There is a glossary feature available to define words not commonly used, if you need it.