दिल्ली :-
देत दुहाई जो रहे , मानव के अधिकार |
निरस्त पोटा कर दिया ,मनमोहन सरकार ||
नीर समान बहता रहा,निर्दोषों का खून |
बस वोटों के लोभ में ,टांग दिया क़ानून ||
हमले आतंकी हुए ,बढ़ने लगा दबाब |
तब जाके जागे कहीं, टूटे लोभ के ख्वाव ||
नए नाम नई जिल्द में ,प्रस्तुत वही किताब |
पुन: वही क़ानून अब , वाह मनमोहन साब ||
राजस्थान :-
लोकतंत्र का हो रहा , कैसा ये उपहास |
अनपढ़ भी मंत्री बनी ,वाह कुर्सी की प्यास ||
पाकिस्तान :-
ये कसाब है पाक का , कहने लगे नवाज़ |
जो सबूत थे मांगते , उनकी यह आवाज़ ||
= प्रदीप मानोरिया
09425132060
15 comments:
प्रदीप जी नमस्कार !
हर दोहा बहुमूल्य ...........
किसकी तारीफ करूँ किसकी न करूँ ......
दुविधाग्रस्त हूँ
मेरी शुभ कामनाएं
धारदार दोहे हैं जी !
दोहे हैं जो लिख दिए, जनता की आवाज़
सत्ता तक पहुंचा इन्हें,हे गरीब नवाज़
सटीक ।
लोकतंत्र का हो रहा , कैसा ये उपहास |
अनपढ़ भी मंत्री बनी ,वाह कुर्सी की प्यास
वह बहुत सटीक लिखा है--देश का दुर्भाग्य नहीं तो क्या है?
लोकतंत्र कहाँ ले जा रहा है मालूम नहीं.
सभी दोहे बहुत ही अच्छे लगे.सामयिक विषयों पर लिखना आप की विशेषता है.
लोकतंत्र का हो रहा , कैसा ये उपहास |
अनपढ़ भी मंत्री बनी ,वाह कुर्सी की प्यास ||
एक कड़वी सच्चाई बयाँ करता दोहा।
pradip ji har dohe aapke bahumulay hai!bahut-bahut dhanyvad!
आपका अंदाज निराला है, ताजा प्रसंग पैर लिखना आप कि फितरत है, बहुत सटीक रचना अपने देश के प्रजातंत्र पर
बधाई
लोकतंत्र का हो रहा , कैसा ये उपहास |
अनपढ़ भी मंत्री बनी ,वाह कुर्सी की प्यास
माफ़ी चाहता हुं
लोकतंत्र का हो रहा , कैसा ये उपहास |
गुंडे मवाली मंत्री बने ,वाह कुर्सी की प्यास
बहुत सुंदर लगे आप के यह दोहे
धन्यवाद
जहां तक सवाल किसी अनपढ़े के मंत्री बनने का है तो उस पर कोई रोक नहीं। संविधान ने इनके लिए मार्ग प्रशस्त कर रखा है, लेकिन हकीकत यही है कि सड़ांध मारती राजनीतिक गलियों को आज ऐसे नेताओं की जरूरत है जो रॉल मॉडल बन सकें। कुछ राधाकृष्णन और कलाम चाहिएं। बात कहें पोटा की तो नए आतंकवाद निरोधी कानून में कई क्लॉज वहीं हैं। पोटा पर ही गैरकानूनी गतिविधियां निरोधक कानून का जामा चढ़ा दिया गया। समसामयिक गतिविधियों पर लिखना रोचक लगा। अच्छे दोहे और स्वस्थ व्यंग्य उपलब्ध कराने के लिए धन्यवाद
जहां तक सवाल किसी अनपढ़े के मंत्री बनने का है तो उस पर कोई रोक नहीं। संविधान ने इनके लिए मार्ग प्रशस्त कर रखा है, लेकिन हकीकत यही है कि सड़ांध मारती राजनीतिक गलियों को आज ऐसे नेताओं की जरूरत है जो रॉल मॉडल बन सकें। कुछ राधाकृष्णन और कलाम चाहिएं। बात कहें पोटा की तो नए आतंकवाद निरोधी कानून में कई क्लॉज वहीं हैं। पोटा पर ही गैरकानूनी गतिविधियां निरोधक कानून का जामा चढ़ा दिया गया। समसामयिक गतिविधियों पर लिखना रोचक लगा। अच्छे दोहे और स्वस्थ व्यंग्य उपलब्ध कराने के लिए धन्यवाद
प्रदीप जी,
हमेशा की तरह बेबाक, शानदार, धारदार प्रस्तुति.
यदि सरकार की जवाबदेहिता तय होती या हो सकती तो शायद यह दिन ना देखने पड़्ते.
मुकेश कुमार तिवारी
एक बार फिर से सत्य लिखा है.
सर प्रणाम ,
सादर आमंत्रण एक बार आप सभी मेरे ब्लॉग पर पधारे।
sateek dohe
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