- शेयर बाजारी कारोबारी टूट गयी सब आस
- बनी चवन्नी जो था रुपया रोऊँ किसके पास
- अरे बुश की बलिहारी है चोट ये बड़े करारी है
- संभल न पाया गोता खाया महल बना जो ताश
- बड़ों बड़ों के छक्के छूटे चेहरा हुआ उदास
- अरे बुश की बलिहारी है चोट ये बड़े करारी है
- तीव्र गति से मंद मति से चाहें करें विकास
- ओंधें मुंह बाज़ार पडा है कारण क्या है ख़ास
- अरे बुश की बलिहारी है चोट ये बड़े करारी है
- मंदी हालत भाग्य को लानत हुया ये सत्यानाश
- धंधा ये आराम का जंचता अन्य न आता रास
- अरे बुश की बलिहारी है चोट ये बड़े करारी है
- प्रदीप मानोरिया संपर्क ०९४२५१३२०६०
Wednesday, 8 October 2008
शेयर बाज़ार
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28 comments:
very nice! hahahahaha
very cool.
well its nice to know that you have great hits here.
not bad.
very nice! hahahahaha
वाह!
कमाल की कलम है आपकी.
प्रदीप जी, शेयर बाज़ार की हालत पर बढ़िया कविता लिख डाली..बहुत सामयिक.
संभल न पाया गोता खाया महल बना जो ताश
बड़ों बड़ों के छक्के छूटे चेहरा हुआ उदास
आपी लेखनी बहुत ही शानदार है, बहुत ही सटीक बात कहने में आप सक्षम, एक और बार बधाई स्वीकारें
Kafi saral shabdon mein mahatwapurna baat kahi aapne,dhanyawad aur swagat.
आज ये कौन कौन कमेन्ट दे गए आपकी रचना पर /एक बात और ये जो लिखा रहता है की == पोस्ट हेज बीन रिमूव बाई आथर "==इसका मतलब क्या होता है और ये क्यों होता है/
चोट बडी करारी है में सम्हल न पाया गोता खाया और तीब्र गति से मंदमति बहुत सुंदर बन पड़े हैं
वाह क्या बात है . अति सुन्दर कविता
धन्यवाद
पैसा-पैसा करने की होड़ मची है आज, कैसे दो के दस करें होता यही प्रयास. अति सुंदर दर्शन.... बधाई
samanya logo ke dard ko ubhara gaya hai. achha prayash hai. jari rakhe.
badhai swikar kare.
Bahut achchhe dhang se kaha aapne.
vaah-vaah, hasya ke pravah ke sang halke vyangya se samprikt, samyaik vishay se yukt kavita hetu badhai ke paatr hain aap. Padharen http://hindikechirag.blogspot.com
Bahut khoob likha hai, sawal to abhi bhi sabhi dhoondh rahe hain Akhir is sab ka kaaran kya hai.....kya koi jhari?
mhare blog me padharne ke liye dhanyvaad
बहुत सटीक लिखा है मनोरिया जी!
Badhai
nirantarata banae rakhe
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बढ़िया व्यंग्य
achchha hai, parantu ek bat kahna chahta hu jaisa ki mujhe mahsoos hua,ye rachana aapki pichhali rachnao ke mukable kamtar hai.
----------- Vishal
मंदी हालत भाग्य को लानत हुया ये सत्यानाश
धंधा ये आराम का जंचता अन्य न आता रास
bahut umdaa
bush ka fanda
very nice thoughts smart and timely comments we enjyoed
aap to dhunaadharr likhte ho mazaa gaaya sir ekdum bindaas
ग्लोबलाइजेशन के खतरे भी ग्लबलाइज्ड ही होते हैं । जब तूफान आता है भयंकर ही आता है ।
अच्छा लिखा है । - योगेन्द्र
तीर स्नेह-विश्वास का चलायें,
नफरत-हिंसा को मार गिराएँ।
हर्ष-उमंग के फूटें पटाखे,
विजयादशमी कुछ इस तरह मनाएँ।
बुराई पर अच्छाई की विजय के पावन-पर्व पर हम सब मिल कर अपने भीतर के रावण को मार गिरायें और विजयादशमी को सार्थक बनाएं।
प्रदीप जी, शेयर बाज़ार की हालत पर बढ़िया कविता
www.rashtrapremi.com
PRADEEPJI, SHARE BAZAAR PAR AAPNE BAHUT ACHCHHI KAVITA LIKHI HAI.
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