Thursday 18 December, 2008

अथ- जूता वृत्तांत

इक नए इतिहास का निर्माण हो गया |
दुनिया में जूता भी महान हो गया ||
नज़दीक जब आने लगी विदाई की घड़ी |
आफत ये जूता लिए हाथ में खडी ||
बुश की ओर लक्ष्य से सम्मान हो गया |
दुनिया में जूता भी महान हो गया ||
साध लक्ष्य फ़िर जब जैदी ने जूते मारे |
त्वरित गति से झुककर नीचे बच पाये बेचारे ||
नीच क्रिया से मज़हब का सम्मान हो गया |
दुनिया में जूता भी महान हो गया ||
जैदी का यह जूनून मज़हब में नेक है |
पिट कर हुए बेहाल हाड पसली एक है ||
पिटना भी जैदी का ईमान हो गया |
दुनिया में जूता भी महान हो गया ||
क्लिंटन ने पाई विदा मोनिका को चूम के |
बुश ने तो पाया जूता विदाई में झूम के |
जूते का करोड़ों का दाम हो गया 
दुनिया में जूता भी महान हो गया ||
=प्रदीप मानोरिया  094-251-32060

27 comments:

Smart Indian said...

गज़ब की कविता, मनोरिया जी. वैसे इराकी सरकार ने उन जूतों को नष्ट करा दिया है.

दिनेशराय द्विवेदी said...

नष्ट होने पर भी जूता चल रहा है।

विवेक सिंह said...

जूता जी जिन्दाबाद ! :)

Anonymous said...

बहुत अच्छे भाई जी. आपने तो बुश का सम्मान ही बड़ा दिया!!!!!!!

Vinay said...

सब जूते की महिमा!

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

जूतामय काव्य ,
बुश को देख जूता भी रास्ता बदल गया
जूतों मे बनी रह इज्ज़त इसलिए बिना मारे गिर गया

मुकेश कुमार तिवारी said...

प्रदीप जी,

कभी तो बड़ी देर से आते हो पर जब आते हो तो छा जाते हो.

सामयिक घटनाओं पर बड़ी ही पैनी नज़र रहती है.
इज्जत किसकी बढी / किसकी लुटी या किसकी लूटी गई इन बातों से हमें क्या, कविता का रस लें और मस्त रहें.

मुकेश कुमार तिवारी

ज्योत्स्ना पाण्डेय said...

bahut sateek aur sam-saamyik rachanaa ....

manoranjan ke liye shukriya

BrijmohanShrivastava said...

दस तारीख के बाद नियमित आपके ब्लॉग पर चक्कर लगा रहा था और जिस दिन यह वाक्य हुआ उस दिन मुझे आपकी याद आई थी /मै झूंठ बोलूँ तो मुझे कौआ काटे ,सौ प्रतिशत मेरे दिमाग में यही विचार आरहा था की अब आएगा मज़ा अब ऊँट पहाड़ के नीचे आगया है मनोरिया जी समां बाँध देंगे और वही हुआ ,बहुत मजेदार रचना

Anonymous said...

vaise aur bhi achcha hota agar yah joota saddam ko bhi maara jaata jisne lakhon kurdon ko mara tha. lekin kavita hamesha ki tarah sundar.

Alpana Verma said...

पिटना भी जैदी का ईमान हो गया |
दुनिया में जूता भी महान हो गया .

बहुत खूब!.बहुत दिनों बाद आप ने नयी रचना लिखी.

इस विषय पर पढ़ पढ़ कर बोरियत सी होने लगी थी लेकिन आप की कविता में इसी विषय को सरल और रोचक तरीके से प्रस्तुत किया गया है जिस से उबाऊ नहीं.आप की कवितायें सामयिक होती हैं और रोचक भी .पाठक को अंत तक बांधे रखती हैं. यह आप की खासीयत है.

Jayshree varma said...

जूता हो गया बुश के कारण महान..... लग जाता बुश को तो बढ जाता उसका सन्मान..... अति सुंदर रचना है

डॉ .अनुराग said...

जूता जी जिन्दाबाद ! :)

दिगम्बर नासवा said...

सुंदर जूता पूरण
जय हो जूता काण्ड की

समयचक्र said...

सुंदर जूता सुंदर रचना है.

joota ke bare me ye bhi dekhane ka kasht kare.

http://prhaar1.blogspot.com/2008/12/blog-post_17.html#links

Unknown said...

kya bat hai bahut sundar rachna!or sundar joota bhi hai!kya pradip ji kaha chale gaye hai aajkal dikhai nahi dete hai!

Anonymous said...

Waah.Lajawab.

Aapko tipanni bhejne me kaphi kathinai hoti hai.Kya aap format badal nahin sakte?

मधुकर राजपूत said...

मनोरिया जी, काफी दिन से आपके ब्लॉग पर सरसरी नजर दौड़ाकर निकल लेते हूं, कंबख्त वक्त रुकने नहीं देता। आपकी रचना पढ़ी, आनंदमयी कर दिया आपने। कुछ लाइनों में सब कह दिया हरके भाव को उजागर कर दिया। अति सुंदर। जूता है आम आदमी की मिसाइल, लगे तो लगे लेकिन चूके तो भी लगे, और जख्म रहे जिंदगी भर।

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर कविता लिखी आप ने .
धन्यवाद
इस जुते वाले को सलाम

seema gupta said...

इक नए इतिहास का निर्माण हो गया |
दुनिया में जूता भी महान हो गया ||
" सोलह आने सच कहा"

Regards

अंकुर गुप्ता said...

EXCELLENT!

L.Goswami said...

बहुत सुंदर कविता !!

Dr.Bhawna Kunwar said...

बहुत अच्छी लगी आपकी ये रचना...

Anil Singh said...

टेक पत्रिका के लिए आपने जो सुखद शब्द कहे उनके लिए आपका धन्यवाद । आपका ब्लाग टेक पत्रिका के ब्लागरोल में है ।
धन्यवाद

Aruna Kapoor said...

सर! जुता वृतांत पढ़ कर बहुत मजा आया!... जूतों का और नेताओं का सदियो पुराना गठ-बंधन है!... धन्यवाद!

Prakash Badal said...

आपकी रचना ने प्रभावित किया,
बहुत ही बढिया कविता।

Vinashaay sharma said...

aaj ke sandarbh main joota prkaran accha likha hai.