- विषय, वर्ग और आदतों को बढावा देने नए प्रकार का कलेंडर बुना
- हर एक के दिवस को मनाने कोई न कोई दिन चुना
- इस प्रकार राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ये विभिन्न दिवस मनाये जाते है
- वे कभी शिक्षक दिवस, हास्य दिवस या मातृ दिवस कहलाते है
- किंतु यह बिडम्बना है आज की
- अथवा खुमारी है समाज की
- अब स्वयं शिक्षक ही शिक्षक दिवस मनाता है
- स्वयं ही दरी जाजम और कुर्सी बिछाता है
- इन्जीनीर्यस ही इन्जीनीर्यस डे का करते हैं आयोजन
- एक मुख्य अतिथि कुछ जलपान या भोजन
- हास्य दिवस पर हंसने वाले इकठ्ठे हो जाते है
- हंसने वालों को हंसने के फायदे समझाते हैं
- हिन्दी दिवस की भी भिन्न नही बीमारी है
- इसे मनाने की कलमकार की ही जिम्मेदारी है
- वे कलमकार श्रोताविहीन कक्ष में करते हैं विचार
- परस्पर हिन्दी का दुखडा रोकर कर लेते हैं स्वल्पाहार
- गर ऐसा ही आलम रहा बरकरार
- सोता रहा समाज और ऊंघती रही सरकार
- तो फ़िर शहीद दिवस कैसे मनाया जायेगा ?
- इसे मनाने क्या कोई शहीद यहाँ वापिस आयेगा ?
- रचना प्रदीप मनोरिया
Monday, 13 October 2008
कलेंडर (Calendar)
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17 comments:
सत्य वचन!
bilkul theek likha hai aur hriday vidarak satya bhi
प्रदीप भाई बधाई है, आपने कमाल की रचना पढ़वाई है.
शानदार
sach kahoon pradeep ji bahut hi shandaar likha hai aur jab main isey padh raha tha to aisa laga ki sakshaat aap mujhe yeh suna rahe hai, ek alag sa rythm hai isme, yun laga ki main kisi kavi samelan mein aapko baitha sun raha hoon. dhanyawad
वाह प्रदीप जी /बहुत अच्छी बात कही /यही आलम हो गया है /हर दिवस मनाने का /बस दो चार बातें कहीं स्वल्पाहार किया और जैसे कोई बोझ निबटा दिया हो ,अब अगले साल देखेंगे
परस्पर हिन्दी का दुखडा रोकर कर लेते हैं स्वल्पाहार
bauht accha vayang
aap bhoot aacha likhte hai.
dhanya vad jo aapne mera blog pada
आज की परिस्थितियों का सजीव चित्रण
सटीक टिपण्णी, बहुत बहुत बधाई
आपका निमंत्रण था सो आ गये, तो लो कहते हैं कि यह काव्य ताज़ा परिवेश को सन्दर्भित करता है!
अच्छा लिखा हैआपने बधाई स्वीकार करें।
बहुत कमाल का लेखन है भाई ! हम तो सीधे नर्क से आ रहे हैं और टिपणी करने आ पहुंचे ! वैसे ऊपर नर्क द्वार से ही हमने ये आपकी अति उत्तम रचना पढ़ ली थी ! बधाई स्वीकार कीजिये !
प्रदीप जी,
कमाल की सोंच, और उतनी ही सुंदर प्रस्तुति.
बधाई स्वीकार करें.
चन्द्र मोहन गुप्त
बहुत ही रोचक ओर व्यंगतम.
धन्यवाद
बहुत ही रोचक और शानदार, धन्यबाद,
divason per achcha kataksh kiya hai aapney.
वाह प्रदीप जी समा बाँध दिया आपने तो !!!!
Pradeep Ji
Greetings to You
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Avtar Meher Baba Ki Jai
Dr.Chandrajiit Singh
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