Friday, 24 October 2008

हैरान दोहे

  • वित्त मंत्री की सीख है , धरें निवेशक धीर |
  • डूबे नित्य बाज़ार है , कौन सुनाएँ पीर ||
  • -
  • मंदी की इस रेस में , डॉलर क्यों मज़बूत |
  • बात समझ से दूर है, कैसा मंदी का भूत ||
  • -
  • स्वर्ण रजत सब खो रहे, नित्य चमक जो भाव |
  • कहाँ रुकेगा जाय कर , खोजो कछु उपाव ||
  • -
  • गर्व सफलता भेजकर, चंदा पर जो यान |
  • विश्व बॉस चिंता करे ,आगे क्यों हिन्दुस्तान ||
  • -
  • दिवाली इस बार की , ली घुंडी से हीन |
  • दिवाला इस पर्व पर , लक्षपति भये दीन ||
प्रदीप मानोरिया

22 comments:

kar lo duniya muththee me said...

very nice . happy diwali

Unknown said...

लाज़बाब बधाई
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाओं सहित

Unknown said...

प्रदीप जी त्वरित सुंदर बहुत मज़ा आता है आपके ब्लॉग पर
दिवाली शुभ हो भले हालात कुछ भी हों
सुभाष

Unknown said...

मानोरिया जी हर बार की तरह फ़िर से सुंदर ,,,,

Anonymous said...

very nice you are really having skill to say your thoughts well in poetry and will increase the effect of the thoughts

rekha garg

Anonymous said...

ताज़ा ख़बरों का सुंदर चित्रण बधाई
अमरेश बाधवानी

seema gupta said...

स्वर्ण रजत सब खो रहे, नित्य चमक जो भाव |
कहाँ रुकेगा जाय कर , खोजो कछु उपाव ||
-
गर्व सफलता भेजकर, चंदा पर जो यान |
विश्व बॉस चिंता करे ,आगे क्यों हिन्दुस्तान
" very well said, nice to reead"

Regards

Anonymous said...

wah sir, kya baat hai, aapne jo prashn uthaya hai vo vicharniya hain

संजय बेंगाणी said...

मजेदार जी.

ghughutibasuti said...

बहुत बढ़िया !
घुघूती बासूती

राज भाटिय़ा said...

मजा आ गया धन्यवाद
आपको को स्वपरिवार दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.

जितेन्द़ भगत said...

आज कोई टि‍प्‍पणी नहीं; दूँगा सि‍र्फ बधाई
साल भर के बाद रोशनी फि‍र से घर-घर आई
रोशनी फि‍र से आई घर-घर फोड़ो बम-पटाखे
चिंगारी से पर दूर ही रहना, रखना हाथ बचाके
शोर-शराबा, धुँआ-धक्‍कड़ कम-से-कम ही रखना
हलवा-पूरी यारों के संग चाहे जी-भर चखना।
दीपावली की हार्दिक शुभकामना
- जि‍तेन्‍द्र भगत
(सौजन्‍य: कट-पेस्‍ट वि‍धि‍ द्वारा प्रसारि‍त, क्षमा सहि‍त/वैसे आपका लेख पढ़ने के बाद ये पेस्‍ट कि‍या है।)

दिगम्बर नासवा said...

वित्त मंत्री की सीख है , धरें निवेशक धीर |
डूबे नित्य बाज़ार है , कौन सुनाएँ पीर ||

क्या बात है प्रदीप जी
बहुत खूब

Rajeev gupta said...

बहुत बढ़िया सर दिवाली की बधाई

शोभा said...

मंदी की इस रेस में , डॉलर क्यों मज़बूत |
बात समझ से दूर है, कैसा मंदी का भूत ||
-
स्वर्ण रजत सब खो रहे, नित्य चमक जो भाव |
कहाँ रुकेगा जाय कर , खोजो कछु उपाव ||
-
गर्व सफलता भेजकर, चंदा पर जो यान |
विश्व बॉस चिंवाह! बहुत सुंदर लिखा है. ता करे ,आगे क्यों हिन्दुस्तान

Anonymous said...

bahot badhiya, dhnyabad
दीपावली की हार्दिक शुभकामना

Dr. Ashok Kumar Mishra said...

बहुत सुंदर लिखा है | दिवाली की बधाई

Smart Indian said...

"दिवाला इस पर्व पर, लक्षपति भये दीन"
बिल्कुल सही कहा प्रदीप भाई.
दीपावली पर्व और नए संवत्सर के लिए बधाई स्वीकारें!

BrijmohanShrivastava said...

मंदी का भूत और डालर मज़बूत वाकई विचारणीय है /बहुत सुंदर रचना बधाई

Premil said...

आपकी रचनायें पढीं. अत्यंत आनंद आया. मैंने आपके साईट को फोल्लो कर लिया है. उम्मीद है आपको भी हमारी कवितायें पसंद आएँगी और आप हमारे साईट को फोल्लो करेंगे.
धन्यवाद.

Niks said...

आपकी टिप्पणियों के लिए धन्यवाद! कुछ कारणवश मुझे अपना पिछला ब्लॉग बंद करना पड़ा! कृपया अपनी टिप्पणियों के द्वारा भविष्य में भी मेरा प्रोत्साहन करते रहे!

Jayshree varma said...

सचमुच, आपकी लेखनी बेमिसाल है.......... आपकी हर रचना लाजवाब है......... सबसे मुख्य बात आपकी भाषाशैली..... इसकी जितनी तारीफ की जाये कम है..... क्योंकि इसमें सच्चाई का प्रदर्शन है....लगे रहिए.... मेरी शुभकामनाएं आपके साथ है..... जय हिंद