(१)
- छोड़ दी क्रिकेट
- घड़ी कर दिए विकेट
- सफलता भी चूमी
- देखी हार की भूमि
- शर्ट लहराई
- झंडे सी फहराई
- चली जब तक चली
- सौरभ गांगुली
- अब निवृति भली
- (२)
- क़र्ज़ से परेशान
- सूखे से हैरान
- आत्म हन्ता किसान
- मेरा भारत महान
- टूटता शेयर बाज़ार
- भारी मंदी की मार
- न रोज़गार न काम
- आत्म हन्ता राजाराम
- बच्चों की भूख
- लाकर बन्दूक
- मार ली गोली
- बुश की जय बोली
- रचना प्रदीप मानोरिया
23 comments:
वाह सर मज़ा आ गया आप तो त्वरित टिप्पणी देते हैं
ताज़ा घटना ताज़ी कविता बहुत सुंदर
very nice
very less words very right thaughts
आपकी कविता में बहाव के साथ संदेश भी होता है बधाई निरंतरता के लिए मुझे आज ही मालूम हुआ की बिना जी मेल की आई डी के भी तिपाप्नी डी जा सकती है
सुन्दर है प्रदीप जी।
वाह वाह!!
बहुत खूब!! :)
विजय दशमी पर्व की बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं.
वाह बहुत बढ़िया क्षणिकाएं लिखीं हैं. बधाई
बच्चों की भूख
लाकर बन्दूक
मार ली गोली
बुश की जय बोली
bahut acche
regards
Bahut achche manoriya ji, likhte rahen yun hi/blog ki duniya me dikhte rahen yu hi.
Atmhanta hai/ har koi yahan/ apne vyaktitv ka/ apne krititv ka/ hatyara-atmhanta. achchha likhte hain aap aur lagatar likhte hai, likhte rahen.
# टूटता शेयर बाज़ार
# भारी मंदी की मार
# न रोज़गार न काम
# आत्म हन्ता राजाराम
...बढ़िया क्षणिकाएं लिखीं हैं. बधाई
kayaa baat hai
bahut achcha kataksh kiya hai aapney. vyangya ka yehi tevr barkarar rakhein.
चली जब तक चली
सौरभ गांगुली
अब निवृति भली
Sahi kaha aapne. Achi lagi kavita aapki.
sir naya lika
aiye darbar
regards
शर्ट लहराई
झंडे सी फहराई
चली जब तक चली
सौरभ गांगुली
अब निवृति भली
"ha ha ha ye bhee khub rhee'
regards
khoobsoorat ananddayini rachna
badhiya hai nice blog
वाह वाह!!
बहुत खूब!! :)
पहले कविता लिखी या पहले तस्वीर खींची
priy pradip.......seen your poems, bahut sunder likh rahen hain badhai
bahut khoob!! kam shabdon men badi baat ............
maan gaye .....
shubhkamnaayen
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