- पार्टी जो कांग्रेस है मैडम आलकमान |
- अबकी से तो कर दिया , जारी ये फरमान ||
- नेताओं ने मिल किया, पार्टी बंटाढार |
- अत: टिकिट बांटे सभी योग्यता के अनुसार ||
- किंतु मध्यप्रदेश में नेता सात प्रधान |
- स्वयं बैठ मिल कर लिया कोटे का निर्माण ||
- उपकृत निज चमचे रहें अत: धरा ये स्वांग |
- मैडम के फरमान को दिया खूंटी पर टांग ||
- डीएस जे एस एस पी धर अपने यह कोड |
- कोटा से बांटे टिकिट यही गुणा और जोड़ ||
- अर्जी टिकिटअर्थी बनी धर ऐसा आधार |
- चमचे किसके हो कहो किस प्रति वफ़ा दार ||
- चाहे क्षेत्र में हो नहीं किंचित भी आधार |
- चमचागिरी का कोड बता पाओ टिकिट तुम यार ||
- पार्टी का कुछ भी बने, लेने जाए तेल |
- कोटा पेटा भर चलो राजनीती का खेल ||
- रचना प्रदीप मानोरिया
Tuesday, 7 October 2008
कांग्रेसी दोहे
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11 comments:
चमचागिरी का कोड बता पाओ टिकिट तुम यार ||
man gaye
ab to code bhi batana padhega
bahut achha vyang
regards
pradeep ji
kuch humare darwaje bhi aaiye
regards
ek chamcha
Bahut achchi vyangyatmak rachna. Badhai.
बिल्कुल सही।बहुत बढिया!!
पार्टी का कुछ भी बने, लेने जाए तेल |
कोटा पेटा भर चलो राजनीती का खेल ||
अति सुंदर रचना ! बधाई मनोरिया जी !
sahi likha hai aapney. bhrashtachaar sey desh ko bahut nuksaan ho raha hai.
उपकृत निज चमचे रहें अत: धरा ये स्वांग |
मैडम के फरमान को दिया खूंटी पर टांग ||
डीएस जे एस एस पी धर अपने यह कोड |
कोटा से बांटे टिकिट यही गुणा और जोड़ ||
pradeep ji bahut hi satik vyang likha hai aapne. bahut hi umda, maza aa gaya
चमचागिरी का कोड बता पाओ टिकिट तुम यार ||
पार्टी का कुछ भी बने, लेने जाए तेल |
कोटा पेटा भर चलो राजनीती का खेल ||
'wah kmal kee bindas sachaee bkhan kee hai aapne'
regards
chamchon par ek puran bhi likhen
वाह! वाह! बहुत बढ़िया प्रदीप जी.
आपका राज्य तो 'टिकट बाँट मौसम' से ग्रस्त लगता है.
वैसे एक बात कहना चाहूँगा;
निज चमचा उन्नत अहे सब उन्नत को मूल
पर चमचा आगे बढ़े, लगे ह्रदय में शूल
लेने जाए तेल का प्रयोग कितने सरल ढंग से करके इस कहाबत को क्या प्रोपर स्थान पर फिट किया है मान गए /अपने यहाँ के लोगों द्वारा मेडम का आदेश न मानने की बात भी क्या मजेदार ढंग से की है /शब्दों का चयन तो कोई आपसे सीखे /आपने मुझे आदेशित किया मेरे ब्लॉग पर आयें -और तुमने पुकारा और हम चले आए रे -कागज़ और पेन साथ लाये रे ==आपकी कविताओं में कोई न कोई बात ऐसी मिल ही जाती है की नोट करना ही पड़ता है /दिल की डायरी इतनी पुरानी पड़ गई है की क्या कहें =पहले तो नोट कर लिया करते थे और जब भी जरूरत हुई गर्दन झुका कर देख लिया करते थे अब तो भाई कागज़ पर ही नोट करना पढता है
अर्जी टिकिटअर्थी बनी धर ऐसा आधार |
चमचे किसके हो कहो किस प्रति वफ़ा दार ||
वाह! बहुत बढ़िया प्रदीप जी. मूल्यवान विचार
बहुत बढिया!!
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