zindgee
अफ़साना ज़िंदगी का हम कैसे तुम्हे सुनाये
सूखा है सबका गुलशन कैसे बहारें लायें
इस रंजोगम के बिन नहीं, दुनिया में है कोई
खुशियों के चंद लम्हे सौगात गम भुलाए
ज़िंदगी में गम ही सही इक पल का है फकत
वो पल है जाने वाला , इसका मज़ा उठाएं
उनको खुशी मिली है हकदार जो थे इसके
उनकी खुशी से हम क्यों गम अपने को बढायें
हो कितना भी कठिन अरे , जीवन का ये सफर
गिर गिर के फ़िर संभालना ,आगे ही बढ़ते जाएँ
अफ़साना ज़िंदगी का हम कैसे तुम्हे सुनाये
सूखा है सबका गुलशन कैसे बहारें लायें
== प्रदीप मानोरिया
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ज़िंदगी में गम ही सही इक पल का है फकत वो पल है जाने वाला , इसका मज़ा उठाएं उनको खुशी मिली है हकदार जो थे इसके उनकी खुशी से हम क्यों गम अपने को बढायें
अच्छा
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