एक उच्च पद पर आसीन शासकीय अधिकारी /
मंह्गे मोबाइल लम्बी गाडी से लेस सूट धारी /
जीवन में हैरान परेशान तनाव से ग्रस्त /
भाग दौड और अनजाने भय से त्रस्त /
दोस्त की सलाह पर तथाकथित बाबा के पास धाये /
चरणों में कर नमोस्तु अपनी व्यथा सुनाये /
बाबा ने कहा एक काम कीजिये आप /
सुरा सुन्दरी सहित छोड दीजिये पाप /
अफ़सर ने कहा बाबा जरूर /
मुझे आपका आदेश मंजूर /
लेकिन एक चीज से बहुत घबराता हूं /
आप कहें तो आपको बताता हूं /
मैं ऐसे विभाग में हूं मेरी ऊपरी कमाई मजबूरी है /
ना भी चाहूं तो भी ये जरूरी है /
मैं इस पाप से बहुत घबराता हूं /
छोडना चाहता हूं नहीं छोड पाता हूं
मै करना चाह्ता हूं प्रायश्चित /
कोई उपाय बतायें उचित /
बाबा ने कहा उपाय बहुत सहज और आसान है /
बच्चा क्यों इतनी सी बात से परेशान है /
परेशानी छोड और बिल्कुल नहीं घबराना /
अपनी ऊपरी कमाई का चौथाई हिस्सा यहॉं भिजवाना /
तेरे सारे पाप हो जायेंगे साफ़ /
दान धर्म से हो जायेंगे माफ /
PRADEEP MANORIA
09425132060
27 comments:
बहुत कठिन किंतु सत्य ही आजकल इस मया की चमक से कोई नहीं बचा सुंदर रचना है
भ्रष्टाचार ने इस देश मैं मज़बूत पैठ बना ली है साधुओ पर भी इसका असर देख जा सकता है
आपकी रचना उत्कृष्ट है
गुरु जी आप तो गुरु जी हो
सलाम बॉस
रज्जू सेठ
बहुत अच्छे प्रदीप जी
really very truth
keep writing i love your blog
saumya jain Bhopal
kya baat hai !
वाह ! बहुत सही ! सटीक सुंदर .......पढ़कर आनंद आया..... आभार.
कहें तो यथार्थ ही रचा है आपने. बहुत सटीक अभिव्यक्ति..बधाई.
सटीक....बधाई....
अच्छी रचना! बधाई/
इसलिए कुछ अच्छे लोग भी इस दलदल में फँस जाते हैं-
मैं ऐसे विभाग में हूं मेरी ऊपरी कमाई मजबूरी है /
ना भी चाहूं तो भी ये जरूरी है /
कितने लोगों की टीस बनकर जहन में उतर गई होगी ये बात। बहुत सुंदर।
जय हो इस कलयुगी बाबा जी की, बहुत पहुचे हुये लगते है, अभी सुरा ओर सुंदरी मे भी हिस्सा मांगेगे
धन्यवाद एक सत्य लिखने के लिये
प्रदीप जी
बहूत समय के बाद आपका आना हुआ, पर उसी धमाके दार अंदाज़ मैं
सटीक और सच्ची बात, उतना ही अच्छा अंदाज़
परेशानी छोड और बिल्कुल नहीं घबराना
अपनी ऊपरी कमाई का चौथाई हिस्सा यहॉं भिजवाना
अति सुंदर! यही बाबा तो कलयुगी महारथियों के एकमात्र त्राता हैं.
भाई जी,
माफ़ी का तरीका बाताया
दान धर्म का हिस्सा बनाया
अफ़सर के पाप धुले
महात्मा जी ने प्रसाद पाया
वसुधैव कुटुम्बक्म, वसुधैव कुटुम्बक्म
अच्छी रचना के लिये बधाई
मुकेश कुमार तिवारी
भाई प्रदीप जी,
]जो बाबा निम्न बातें कहता है ........
"बाबा ने कहा उपाय बहुत सहज और आसान है /
बच्चा क्यों इतनी सी बात से परेशान है /
परेशानी छोड और बिल्कुल नहीं घबराना /
अपनी ऊपरी कमाई का चौथाई हिस्सा यहॉं भिजवाना /
तेरे सारे पाप हो जायेंगे साफ़ /
दान धर्म से हो जायेंगे माफ / "
उसे आप धार्मिक बाबा कह कर पहुंचे हुवे धार्मिक बाबाओं का अपमान न करें. ऐसे भ्रस्टाचारी और दिखावे वाले लोगों ने हे तो हर सेवा क्षेत्र को बदनाम किया है.
यदि अधिकारी में कूबत है तो भ्रस्टाचार का साथ छोड़ कर जीवन जी कर अपनी काबिलियत का अहसास कराये.
चन्द्र मोहन गुप्त
ब्रेक के बाद एक और पावरफुल इनिंग. बधाई.
आपने व्यंग्यधर्मिता को खूब निभाया....... बधाई...
िजंदगी के यथाथॆ को प्रभावशाली ढंग से अिभव्यक्त िकया गया है । अच्छा िलखा है आपने ।
http://www.ashokvichar.blogspot.com
बच्चा क्यों इतनी सी बात से परेशान है /
परेशानी छोड और बिल्कुल नहीं घबराना /
अपनी ऊपरी कमाई का चौथाई हिस्सा यहॉं भिजवाना /
तेरे सारे पाप हो जायेंगे साफ़ /
दान धर्म से हो जायेंगे माफ /
" ha ha ha bhut sach kha aapne, aajkul kee baba or sishye ke pol khol dee aapne.... bhut accha adaaj.."
Regards
बहूत धमाकेदार वापसी की है आपने.
आप की कविताये हमेशा से ही सच बयान करती है और ये उन्ही में से एक है
दान धर्म से पाप छोड़ने की बात तुमने बहुत अच्छी बताई
मगर ये बात मेरी समझ में नही आई
सुरा सुन्दरी की बात छोड़ने की बात बाबा ने क्यों बताई
ये चीजें अपनी कुटिया पर क्यों नहीं बुलबाई
kiyaa baat hai sir bouth he aacha post ji
Shyari Is Here Visit Jauru Karo Ji
http://www.discobhangra.com/shayari/sad-shayri/
Etc...........
आपकी रचना में अमूमन सत्यता है........... आजकल भ्रष्टाचार बढता ही जा रहा है और जहा तक हमारे देश की बात है तो यहां भी पूजनीय पद पर रहे यह ढोंगी महात्माओं से भी भ्रष्टाचार अछूता नहीं रहा..... साधुवाद।
करार व्यंग्य लिए हुए है आप की कविता --सहजता से कर गयी प्रहार ..!
वाह क्या बात कही है - एक ढोंगी बाबा पापियों के पाप धोने का उपाय बता रहा है पर शायद यह भूल गया है कि पापियों के पाप धोते धोते तो गंगा भी मैली हो गई तो बाबा क्या चीज है / यदि दान धर्म से सारे पाप माफ हो जाते तो गीता में श्री कृष्ण कर्मों का पाठ क्यों पढाते / सुंदर रचना है साधुवाद /
bahoot khub,bhrastachar ke anek rang padhkar accha laga
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