- श्री महावीराष्टक स्त्रोत
- कविवर पं. भाग चंद जी (मूल भाषा संस्कृत)
- हिन्दी पद्यानुवाद प्रदीप मानोरिया
- (गीता छंद )
- उत्पाद व्यय अरु ध्रोव्य युत जो द्रव्य सब स्पष्टता
- युगपत झलकते आईने सम ज्ञान कैवल्य आपका
- सूर्य सम तम हरो प्रभु पथ मोक्ष में आलोक हो
- वीर प्रभो महावीर मेरे , नयन पथ गामी बनो (१)
- दो नेत्र नीरज आपके , टिमकार नहीं न लालिमा
- अन्तर व बाहर निर्विकारी ,स्पष्ट ही ये झलकता
- मुद्रा है पूर्ण ही शांत अरु अति ही विमल यह है प्रभो
- वीर प्रभो महावीर मेरे , नयन पथ गामी बनो (२)
- ज्यों जाल आभा इन्द्र नमते मुकुट मणियों से बने
- दो चरण पंकज आपके अति कान्ति युत आभा धरें
- तिन स्मरण है नीर के सम ज्वाला भव दुःख शमन हो
- वीर प्रभो महावीर मेरे , नयन पथ गामी बनो (३)
- भाव भक्ति प्रमोद युत मेंढक निकट तुम आ रहा
- गुण गण समृद्ध जो स्वर्ग निधि को मात्र क्षण में पा गया
- फ़िर क्या है अचरज भक्त सच्चे मुक्ति को न प्राप्त हों
- वीर प्रभो महावीर मेरे , नयन पथ गामी बनो (४)
- तन तप्त स्वर्ण समान आभा ज्ञान तन अन्तर धरें
- है ज्ञान पट झलकन अनेकों ज्ञेय किंतु अखंड है
- सिद्धार्थ सुत तदपि अजन्में राग रिक्त अचरज अहो
- वीर प्रभो महावीर मेरे , नयन पथ गामी बनो (५)
- वाणी प्रभु गंगा की भांति लहर नय निर्मल अहो
- जल ज्ञान है अगाध प्रभुवर लोक जन स्नान को
- है आज भी वाणी से परिचित हंस सम बुधि धन्य हों
- वीर प्रभो महावीर मेरे , नयन पथ गामी बनो (६)
- वेग अनिर्वार जिसका तीन जग में छा रहा
- निज आत्म बल से वय कुंवर में काम भट को वश किया
- सो आप शक्ति अनंत राजें स्फुरित नित्यानंद हो
- वीर प्रभो महावीर मेरे , नयन पथ गामी बनो (७)
- तुम वैद्य हो निरपेक्ष जग मोह से आरोग्य को
- नि:स्वार्थ बंधु हो विदित महिमा है मंगल लोक को
- उत्तम गुणों संयुक्त भव भयभीत साधूशरण हो
- वीर प्रभो महावीर मेरे , नयन पथ गामी बनो (८)
- (दोहा)
- महावीराष्टक स्त्रोत यह ,भागचंद कविराज
- रचा सुभक्ति उर सहित , हित जीवों के काज
- जो पढता सुनता इसे , भक्ति ह्रदय में लाय
- निश्चित ही भवि जीव वह , परम गति को पाय
Sunday, 26 October 2008
दीपावली मंगलमय हो -- प्रदीप मानोरिया
भगवान् महावीर का निर्वाण कार्तिक वदी अमावस को हुआ था जिसकी पावन स्मृति में जैन लोग दीपावली के पर्व को अति उत्साह से मनाते हैं , उन महावीर प्रभु की भक्ति में आज से २०० वर्ष पूर्व अशोकनगर जिले के इसागद के कविवार्र श्री भाग चंद जी ने इस भक्ति काव्य की रचना की थी , उसी रचना को हिन्दी पद्य में बदलने का प्रयास किया है . जो आप के समक्ष प्रस्तुत है
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14 comments:
आपको व आपके परिवार को दीपावली पर हार्दिक शुभ कामनाएं ।
घुघूती बासूती
बहुत बढ़िया/
आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
समीर लाल
http://udantashtari.blogspot.com/
बहुत बढ़िया । आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
दीपावली पर शुभकामना
बहुत अच्छा है हिन्दी पद्यानुवाद
बहुत सुंदर, प्रदीप!
दीप पर्व की हार्दिक शुभकामना आपको और आपके परिजनों को . आपका भविष्य सुख सम्रद्धि से परिपूर्ण हो.
दीप मल्लिका दीपावली - आपके परिवारजनों, मित्रों, स्नेहीजनों व शुभ चिंतकों के लिये सुख, समृद्धि, शांति व धन-वैभव दायक हो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ दीपावली एवं नव वर्ष की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
sundar, manoria ji, aapko bhi deepawali ki badhai
सुंदर लिखा है. दीपावली की शुभ कबहुतामनाएं.
स्तोत्र प्रस्तुति के लिए धन्यबाद
बहुत अच्छा है...... बधाई,
आपको, परिवार सहित दीपावली की शुभकामनायें......
आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं।आपने बहुत सुंदर गीता छंद अनुवाद लिखा है।
आपका टेलेफोन नम्बर मैंने नोट किया था -मिला नहीं -सेव नहीं कर पाया -ई मेल तलाशना आता नहीं =मोबाईल पर एस एम् एस करना आता नहीं /दीवाली की बधाई आपको देना थी -एक किताब भी भेजना थी -पोस्टल एड्रेस नहीं / दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएं स्वीकारें /कृपा बनाए रखें /
bahut hi achcha or sarthak lekh.sampark banaye rakhe ak dusre ka,
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