Wednesday 7 January, 2009

मौसम

मौसम का ये मिज़ाज हुआ खुशगवार है |
आयेंगे वो जो पास, मेरे इंतज़ार है |
वो दूर नहीं पास मेरे जान लीजिये |
है चश्म में रूख वो हसीं मेरे आज है |
मौसम का ये मिज़ाज हुआ खुशगवार है |
जुल्फों के पेंचों खम है भला स्याह क्यूं बडे |
दिन में हुई है शाम यहॉं गुल की बहार है |
मौसम का ये मिज़ाज हुआ खुशगवार है |
दिल की करें क्या बात भला इश्क के सिवा |
तेरा ही है वज़ूद यहॉं उसका खुमार है |
मौसम का ये मिज़ाज हुआ खुशगवार है |
तन्हाइयों में याद तेरी क्यों इतना सताती |
आ जाओ अब ना देर करो दिल बेकरार है |
मौसम का ये मिज़ाज हुआ खुशगवार है |
आयेंगे वो जो पास मेरे इंतज़ार है |
प्रदीप मानोरिया 
09425132060

18 comments:

Ashutosh said...

bahut accha likha hai,aapne,aap kabhi mere blog le follower baniye,aapki kripa hogi ,mera blog hai :
http://meridrishtise.blogspot.com

Udan Tashtari said...

बहुत उम्दा...मौसम में बाहर आज बारिश भी है तो पढ़कर दूना आनन्द आया, बधाई.

Smart Indian said...

मौसम का ये मिज़ाज हुआ खुशगवार है|
आयेंगे वो जो पास, मेरे इंतज़ार है|

बहुत सुंदर, मनोरिया जी!

Unknown said...

बहुत अच्छी लगी आपकी कविता ......

दिगम्बर नासवा said...

जुल्फों के पेंचों खम है भला स्याह क्यूं बडे |
दिन में हुई है शाम यहॉं गुल की बहार है |
मौसम का ये मिज़ाज हुआ खुशगवार है |
प्
रदीप जी कुछ अलग अंदाज़ की रचना है आपके द्बारा पर बहुत खूब है.
साथ साथ मौसम की खुशगवारी........क्या बात है

BrijmohanShrivastava said...

मौसम का मिजाज़ खुश गावर हो जाए और कोई आपके पास न आए ऐसा हो भी कैसे सकता है /तन्हाई में तेरी याद क्यों सताती है ये भी कोई पूछने की बात है

Harshvardhan said...

pardeep ji aaj vaise bhe mausam shehar ka kafi sard hai aur aapki kavita behad lajawab hai . mere pass sabd nahi hai prasansha me.

Akanksha Yadav said...

......अद्भुत! भावों की सरस अभिव्यंजना. कभी हमारे 'शब्दशिखर' www.shabdshikhar.blogspot.com पर भी पधारें !!

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर कविता कही आप ने,
धन्यवाद

Alpana Verma said...

जुल्फों के पेंचों खम है भला स्याह क्यूं बडे |
दिन में हुई है शाम यहॉं गुल की बहार है |
मौसम का ये मिज़ाज हुआ खुशगवार है -


मौसम खुशगवार है!
बहुत खूब...
सुंदर ,सरल,अच्छी कविता है.

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

शब्दों का सुन्दर समन्वय.

Dileepraaj Nagpal said...

kitni tarif karun...samajh nahi paa raha hun. badhiya likha aapne. badhayi.

Ashutosh said...

bahut sundar baat kahi hai

मुकेश कुमार तिवारी said...

प्रदीप जी,

मौसम के मिजाज के अनुरुप मन में ठिठुरन बढाती कविता, किसी की याद दिलाती कविता, बेकरारी बढाती कविता.

बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्‍ति.

मुकेश कुमार तिवारी

ज्योत्स्ना पाण्डेय said...

प्रदीप जी!
सम-सामयिक विषयों पर लिखना आपकी विशेषता है.
मौसम की खुशगवारी,
उसपर भी इज़हार-ऐ-बेकरारी!..............

भाभी जी चाय और पकौडे के साथ ऐसे मौसम में आपके साथ हो, यही शुभ-कामनाएं!

Aruna Kapoor said...

बुढापे की व्यथा को कविता के माध्यम से चित्रित किया जाना... अपने आप में एक विशिष्ठता है|.. वास्तविक अनुभूति से रुबरू कराया आपने... धन्यवाद!

Ravi Prakash said...

मौसम खुशगवार है.................
बहुत सुंदर........सर

दिगम्बर नासवा said...

मौसम का ये मिज़ाज हुआ खुशगवार है|
आयेंगे वो जो पास, मेरे इंतज़ार है|

प्रदीप जी
सुंदर रचना है, बहुत खूबसूरत बन आयी है इंतज़ार