मौसम का ये मिज़ाज हुआ खुशगवार है |
आयेंगे वो जो पास, मेरे इंतज़ार है |
वो दूर नहीं पास मेरे जान लीजिये |
है चश्म में रूख वो हसीं मेरे आज है |
मौसम का ये मिज़ाज हुआ खुशगवार है |
जुल्फों के पेंचों खम है भला स्याह क्यूं बडे |
दिन में हुई है शाम यहॉं गुल की बहार है |
मौसम का ये मिज़ाज हुआ खुशगवार है |
दिल की करें क्या बात भला इश्क के सिवा |
तेरा ही है वज़ूद यहॉं उसका खुमार है |
मौसम का ये मिज़ाज हुआ खुशगवार है |
तन्हाइयों में याद तेरी क्यों इतना सताती |
आ जाओ अब ना देर करो दिल बेकरार है |
मौसम का ये मिज़ाज हुआ खुशगवार है |
आयेंगे वो जो पास मेरे इंतज़ार है |
प्रदीप मानोरिया
09425132060
18 comments:
bahut accha likha hai,aapne,aap kabhi mere blog le follower baniye,aapki kripa hogi ,mera blog hai :
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बहुत उम्दा...मौसम में बाहर आज बारिश भी है तो पढ़कर दूना आनन्द आया, बधाई.
मौसम का ये मिज़ाज हुआ खुशगवार है|
आयेंगे वो जो पास, मेरे इंतज़ार है|
बहुत सुंदर, मनोरिया जी!
बहुत अच्छी लगी आपकी कविता ......
जुल्फों के पेंचों खम है भला स्याह क्यूं बडे |
दिन में हुई है शाम यहॉं गुल की बहार है |
मौसम का ये मिज़ाज हुआ खुशगवार है |
प्
रदीप जी कुछ अलग अंदाज़ की रचना है आपके द्बारा पर बहुत खूब है.
साथ साथ मौसम की खुशगवारी........क्या बात है
मौसम का मिजाज़ खुश गावर हो जाए और कोई आपके पास न आए ऐसा हो भी कैसे सकता है /तन्हाई में तेरी याद क्यों सताती है ये भी कोई पूछने की बात है
pardeep ji aaj vaise bhe mausam shehar ka kafi sard hai aur aapki kavita behad lajawab hai . mere pass sabd nahi hai prasansha me.
......अद्भुत! भावों की सरस अभिव्यंजना. कभी हमारे 'शब्दशिखर' www.shabdshikhar.blogspot.com पर भी पधारें !!
बहुत सुंदर कविता कही आप ने,
धन्यवाद
जुल्फों के पेंचों खम है भला स्याह क्यूं बडे |
दिन में हुई है शाम यहॉं गुल की बहार है |
मौसम का ये मिज़ाज हुआ खुशगवार है -
मौसम खुशगवार है!
बहुत खूब...
सुंदर ,सरल,अच्छी कविता है.
शब्दों का सुन्दर समन्वय.
kitni tarif karun...samajh nahi paa raha hun. badhiya likha aapne. badhayi.
bahut sundar baat kahi hai
प्रदीप जी,
मौसम के मिजाज के अनुरुप मन में ठिठुरन बढाती कविता, किसी की याद दिलाती कविता, बेकरारी बढाती कविता.
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति.
मुकेश कुमार तिवारी
प्रदीप जी!
सम-सामयिक विषयों पर लिखना आपकी विशेषता है.
मौसम की खुशगवारी,
उसपर भी इज़हार-ऐ-बेकरारी!..............
भाभी जी चाय और पकौडे के साथ ऐसे मौसम में आपके साथ हो, यही शुभ-कामनाएं!
बुढापे की व्यथा को कविता के माध्यम से चित्रित किया जाना... अपने आप में एक विशिष्ठता है|.. वास्तविक अनुभूति से रुबरू कराया आपने... धन्यवाद!
मौसम खुशगवार है.................
बहुत सुंदर........सर
मौसम का ये मिज़ाज हुआ खुशगवार है|
आयेंगे वो जो पास, मेरे इंतज़ार है|
प्रदीप जी
सुंदर रचना है, बहुत खूबसूरत बन आयी है इंतज़ार
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