Saturday, 13 September 2008

रिश्ते

  • दिल में छिपी जो बात ,वो ज़ाहिर न कीजिये
  • राज बे-परदा न हो , रुसबा न कीजिये
  • रिश्ता हो अपना कोई भी, हमराज ही रहो
  • रिश्तों की बात है यही , न बदनाम कीजिये
  • चाहे रहो रकीब पर, रिश्ता तो है सही ,
  • इस दुश्मनी को भी "रिश्ता" नाम दीजिये
  • पाकीज़गी खुसूसियत रिश्तों में ये रहे ,
  • ता-उम्र ज़िंदगी में, निभाया ही कीजिये
  • रूह से बनते हैं ये , सांस में मौजूद हैं ,
  • कहना ज़रूरी हो तो , रिश्ता उसे कह दीजिये
  • हैं मुख्तलिफ से नाम मगर काम दो ही हैं ,
  • रिश्तों में या नफरत करो , या प्यार कीजिये
  • मिट जाए ये नफरत सदा सारे जहान से ,
  • हो प्यार बस चारों तरफ़ बस प्यार कीजिये
  • ==प्रदीप मानोरिया
  • रकीब = दुश्मन , पाकीज़गी =पवित्रता, खुसूसियत = विशेषता , मुख्तलिफ = विभिन्न

8 comments:

Rakesh Kaushik said...

i think this is more than enough to enjoy n feel the "Relations"

this is marvless, n very touchie

thank for this lovely treat.

Rakesh Kaushik

शोभा said...

वाह! बहुत खूब लिखा है. बधाई.सस्नेह.

दिलीप कवठेकर said...

आपके पोस्ट पर पहली बार आया तो दो बातों नें मुख्यतः आकर्षित किया.

एक : कविता की शैली मुझे बडी पसंद आयी. मुद्दे वार, या pointwise सिलसिले वार लेखन.या गद्य कहें अथवा पद्य.

दो: आपने साथ जो चित्र लगायें है, वे भी विषय्वस्तु से जुडे है, और निराले है.

दिलीप कवठेकर said...

आपके पोस्ट पर पहली बार आया तो दो बातों नें मुख्यतः आकर्षित किया.

एक : कविता की शैली मुझे बडी पसंद आयी. मुद्दे वार, या pointwise सिलसिले वार लेखन.या गद्य कहें अथवा पद्य.

दो: आपने साथ जो चित्र लगायें है, वे भी विषयवस्तु से जुडे है, और निराले है.

सचिन मिश्रा said...

Bahut accha likha hai.

Renu Sharma said...

prdeep ji !! rishte riste bhi hain , jara bachke .

RAJ SINH said...

kya baat hai...........badee sundar rachnayen .machchar se lekar..........sabse(hamse bhee) jamke ab to......... pyar keejiye

TheAuthor said...

super!!! after reading your creations i just feel myself nowhere in the world of poetry...keep up the good work man..

cheers..