- दिल में छिपी जो बात ,वो ज़ाहिर न कीजिये
- राज बे-परदा न हो , रुसबा न कीजिये
- रिश्ता हो अपना कोई भी, हमराज ही रहो
- रिश्तों की बात है यही , न बदनाम कीजिये
- चाहे रहो रकीब पर, रिश्ता तो है सही ,
- इस दुश्मनी को भी "रिश्ता" नाम दीजिये
- पाकीज़गी खुसूसियत रिश्तों में ये रहे ,
- ता-उम्र ज़िंदगी में, निभाया ही कीजिये
- रूह से बनते हैं ये , सांस में मौजूद हैं ,
- कहना ज़रूरी हो तो , रिश्ता उसे कह दीजिये
- हैं मुख्तलिफ से नाम मगर काम दो ही हैं ,
- रिश्तों में या नफरत करो , या प्यार कीजिये
- मिट जाए ये नफरत सदा सारे जहान से ,
- हो प्यार बस चारों तरफ़ बस प्यार कीजिये
- ==प्रदीप मानोरिया
- रकीब = दुश्मन , पाकीज़गी =पवित्रता, खुसूसियत = विशेषता , मुख्तलिफ = विभिन्न
Saturday, 13 September 2008
रिश्ते
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8 comments:
i think this is more than enough to enjoy n feel the "Relations"
this is marvless, n very touchie
thank for this lovely treat.
Rakesh Kaushik
वाह! बहुत खूब लिखा है. बधाई.सस्नेह.
आपके पोस्ट पर पहली बार आया तो दो बातों नें मुख्यतः आकर्षित किया.
एक : कविता की शैली मुझे बडी पसंद आयी. मुद्दे वार, या pointwise सिलसिले वार लेखन.या गद्य कहें अथवा पद्य.
दो: आपने साथ जो चित्र लगायें है, वे भी विषय्वस्तु से जुडे है, और निराले है.
आपके पोस्ट पर पहली बार आया तो दो बातों नें मुख्यतः आकर्षित किया.
एक : कविता की शैली मुझे बडी पसंद आयी. मुद्दे वार, या pointwise सिलसिले वार लेखन.या गद्य कहें अथवा पद्य.
दो: आपने साथ जो चित्र लगायें है, वे भी विषयवस्तु से जुडे है, और निराले है.
Bahut accha likha hai.
prdeep ji !! rishte riste bhi hain , jara bachke .
kya baat hai...........badee sundar rachnayen .machchar se lekar..........sabse(hamse bhee) jamke ab to......... pyar keejiye
super!!! after reading your creations i just feel myself nowhere in the world of poetry...keep up the good work man..
cheers..
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