Monday, 29 September 2008

मुख्यमंत्री जी की आशीर्वाद यात्रा (MP) -मेरी नज़र से

  • शुरू हुयी जबसे तथाकथित आशीर्वाद यात्रा
  • अचानक बढ़ गयी शहर में नेताओं की मात्रा
  • सर पर विधानसभा चुनाव लटक रहे हैं
  • हर तरह के नेता टिकिट के लिए भटक रहे हैं
  • योजनाओं का पुलिंदा मुख्यमंत्री जी के पास तैयार है
  • बस में घूम रहे हैं क्योंकि पुलिंदा ढोने को कार तो बेकार है
  • रोज हो रही हैं नई नई योजनाओं की घोषणा
  • रोज हो रही हैं बच्चों की मौत कारण है कुपोषणा
  • हर शहर का पेंटर व्यस्त हो गया है अनायास
  • क्योंकि रोज हो रहे है अनगिनत शिलान्यास
  • एक एक पेंटर मार्बल के पटिये खोद रहे हैं
  • ख़ुद नहीं पाये तो मुख्यमंत्री जी ऐसे ही ठोक रहे हैं
  • यह आशीर्वाद यात्रा नहीं मार्केटिंग का टूर है
  • इनका ग्राहक वोटर आज भी लाचार और मजबूर है
  • रचना प्रदीप मानोरिया

17 comments:

makrand said...

यह आशीर्वाद यात्रा नहीं मार्केटिंग का टूर है
इनका ग्राहक वोटर आज भी लाचार और मजबूर है
baut sunder
kuch humara nazaria bhi padiye

MANVINDER BHIMBER said...

arre.....fir se.....umda raha

Anonymous said...

मैं स्वयं कवि तो हूं नहीं । तार्किक विज्ञान का अध्येता जो रहा हूं । फिर भी व्यंग कविताओं का आस्वादन कर लेता हूं । जीवन के कटु सत्य का दर्शन कराती हैं, जो अन्यथा रोज देख-सुन रहा हूं । कुल मिलाकर प्रयास अच्छा पर बेशर्मों पर क्या कभी असर पड़ेगा ?
मैं एक-दो दिन में अपने एक ब्लौग पर समाचार-आधारित चिट्‌ठा लिखूंगा, आप उस पर भी कुछ व्यंग कसें ।
- योगेन्द्र
http://hinditathaakuchhaur.wordpress.com/
http://vichaarsankalan.wordpress.com/
http://jindageebasyaheehai.wordpress.com/

शोभा said...

काफी अच्छा तरीका है. सुंदर प्रस्तुति.

shelley said...

kafi sundar prastuti hai, kahi aap v to is yaatra me shamil nahi the.

Udan Tashtari said...

सही है-बेहतरीन लिखा!!

BrijmohanShrivastava said...

आपके आदेश का पालन कैसे न करता =एक एक लाइन दो दो बार पढी ,घोषणा और कुपोषण = आप तो भाई कमाल है =मेरा मतलब आप तो प्रदीप हैं मगर लेखनी कमाल की है ,वैसे लेखनी भी आपकी ही है ,कमाल की नहीं /मेरा मतलब है आप कमाल करते हैं वैसे सुना है की आपकी यहाँ आने से मुख्य मंत्री कतराते हैं ,आपके यहाँ के एक प्रशिद्ध ज्योतिषी का तो यही कहना है उनका एक आर्टिकल भी पढा जिसमें उन्होंने शुरू से अब तक की एतिहासिक बातें बताई है की कोई क्यों नहीं आता है /खैर ये मेरा क्षेत्र भी नहीं है /मेरा क्षेत्र नहीं है से मतलब अपन तो साहित्य के क्षेत्र की चर्चा कर रहे थे /आपकी कुछ पुस्तकें प्रकाशित हुई होंगी ,जानकारी मिल जाती तो बडी कृपा होती

राज भाटिय़ा said...

बौत सटीक लिखा हे .
धन्यवद

विजय गौड़ said...

aapka aamantran dil ko chu gaya. lo aa gaya aur aata rahunga.

Shastri JC Philip said...

बहुत ही सरल तरीके से आपने बहुत सशक्त एक कृति की रचना की है. आपकी सरलता के कारण आपकी सशक्त रचनायें बहुत लोगों को प्रभावित करेंगी.

लिखते रहें!!

-- शास्त्री

-- हिन्दीजगत में एक वैचारिक क्राति की जरूरत है. महज 10 साल में हिन्दी चिट्ठे यह कार्य कर सकते हैं. अत: नियमित रूप से लिखते रहें, एवं टिपिया कर साथियों को प्रोत्साहित करते रहें. (सारथी: http://www.Sarathi.info)

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत सुन्दर रचना है।यह पंक्तियां खास पंसद आई-

# शुरू हुयी जबसे तथाकथित आशीर्वाद यात्रा
# अचानक बढ़ गयी शहर में नेताओं की मात्रा
# सर पर विधानसभा चुनाव लटक रहे हैं
# हर तरह के नेता टिकिट के लिए भटक रहे हैं

बहुत ही सटीक लिखा है।

Unknown said...

बहुत ही अच्छा लिखा है
ऐसे ही लिखते रहे और हमें भेजते रहें हमारा ज्ञान भी बढ़ता रहेगा

तीसरा कदम said...

यह आशीर्वाद यात्रा नहीं मार्केटिंग का टूर है
इनका ग्राहक वोटर आज भी लाचार और मजबूर है

bahut khoob kaha apne

इरशाद अली said...

क्या तैवर है कमाल का तन्ज़ किया है आगै और भी खुब लिखै बधाई स्वीकार करै.

इरशाद अली said...

क्या तैवर है कमाल का तन्ज़ किया है आगै और भी खुब लिखै बधाई स्वीकार करै.

इरशाद अली said...

क्या तैवर है कमाल का तन्ज़ किया है आगै और भी खुब लिखै बधाई स्वीकार करै.

shama said...

Aapke blogki "yatra" kar aayee...tippanee yahan pe de rahee hun...aapka wyang teerki tarah thikanepe lagta hai...kaash jinhen ye khaas padhna chahiye we bhee ise padhen....
Asalme budheewaadee log keval drawing room me baith ke charcha karte hain...voting ke samay week end manane chale jaate hain....kise vote den kehte hain!!Kise lachar kahen?
Shama