Thursday, 5 August 2010

हरियाली

गहरे और घने मेघों की सौगात धरा पर आई है
वन उपवन आँगन के गमले सब हरियाली छाई है
जहाँ अवनि पर कण माटी के बिछी पूर हरियाली है
और गगन पर रवि लोप है घटा खूब ही काली है
प्रदीप मानोरिया
चित्र साभार श्रीमति किरन नितिला राज पुरोहित

7 comments:

संगीता पुरी said...

बहुत खूब !!

Anamikaghatak said...

प्रकृति का अति सुन्दर चित्रण .............

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति

Parul kanani said...

bahut badhiya!

Aruna Kapoor said...

अति सुंदर शब्दों मे सावन का वर्णन!...बधाई!

ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηι said...

nice very nice. AUR GAGAN PAR RAVI LOPE HAI GHATAA kHOOB HI KALI HAI

ममता त्रिपाठी said...

चित्र एवं कविता दोनों सुन्दर है।