Tuesday 7 April, 2009

जरनैल का जूता

ज से जूता, ज से जैदी, ज से ही जरनैल है | 
वैश्विक यह संस्कृति हमारी कितना सुन्दर मेल है ||
कलम नवीसी कलम सिपाही दोनों ही पत्रकार हैं |
छोड़ कलम को आज बनाया जूते को हथियार है ||
अंतर ह्रदय ज्वालामुखी कैसा, कैसा ऐसा क्रोध है | 
स्याही सूखीआज कलम की या विरोध नव शोध है ||
सत्याग्रह से  बात चली जूते तक यह आई है |
नव विकास की नव धारा यह अर्पित लाख दुहाई है ||  
रचना प्रदीप मनोरिया ०९४२५१३२०६०

15 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढिया लिखा है।बधाई।

समयचक्र said...

बहुत बढिया लिखा .बधाई

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

jUta bahut important ho gaya hai, aapne "jA" ki mahima ka achchha varnan kiya.

Unknown said...

aapke vichar me dam hai.

isliyen aapki is post ko ratlam, Jhabua(M.P.), dahood(Gujarat) se Prakashit Danik Prasaran me prakashit karane ja rahan hoon.

kripaya, aap apan postal addres send karen, taki aapko ek prati pahoonchayi ja saken.

pan_vya@yahoo.co.in

दिगम्बर नासवा said...

प्रदीप जी
क्या काव्य आत्मक भाषा में जूत पुराण लिखा है

सत्याग्रह से बात चली जूते तक यह आई है |
नव विकास की नव धारा यह अर्पित लाख दुहाई है

मजा आ गया

Harshvardhan said...

pradeep ji maan gaye aapko bahut sundar kavita

hempandey said...

साधुवाद.

Smart Indian said...

जिधर देखो जूता ही चल रहा है.

Mumukshh Ki Rachanain said...

वाह भाई, वाह !!
देर आये पर संग जूते के आये.

"ज से जूता, ज से जैदी, ज से ही जरनैल है |
वैश्विक यह संस्कृति हमारी कितना सुन्दर मेल है ||
कलम नवीसी कलम सिपाही दोनों ही पत्रकार हैं |
छोड़ कलम को आज बनाया जूते को हथियार है ||"

शर्मनाक हादसे पर सुन्दर काव्यात्मक प्रस्तुति.
इसी लिए तो जूते का भाव बढ़ गया है २०० के जूते २००० में बिकने लग गए हैं. और क्रोध में आकर उछल-उछल कर चलने भी लग गए हैं

पार्टिया तो लाखों रूपए देने पर भी चुनावी टिकट दे नहीं दे प् रही है, यंहा तो २००० का जूते से ही बिन मागें लोकसभा के टिकट का आफर आ गया..............वाह रे जूते महाराज आपकी जाय हो !!!!!!!!!!!!!!!!!!

चन्द्र मोहन गुप्त

Alpana Verma said...

वाह वाह! क्या बात है प्रदीप जी !
'अंतर ह्रदय ज्वालामुखी कैसा, कैसा ऐसा क्रोध है |
स्याही सूखीआज कलम की या विरोध नव शोध है ||

बहुत खूब लिखा है!
बहुत ही बढ़िया है यह रचना इस ताज़ा खबर पर.
सामयिक विषयों पर आप की कलम बहुत खूब लिखती है.

हरकीरत ' हीर' said...

"ज से जूता, ज से जैदी, ज से ही जरनैल है |
वैश्विक यह संस्कृति हमारी कितना सुन्दर मेल है ||
कलम नवीसी कलम सिपाही दोनों ही पत्रकार हैं |
छोड़ कलम को आज बनाया जूते को हथियार है ||"

सामयिक विषय पर बहुत अच्छा व्यंग ....!!

sandhyagupta said...

सत्याग्रह से बात चली जूते तक यह आई है |
नव विकास की नव धारा यह अर्पित लाख दुहाई है ||

Bilkul sachchi baat kahi hai.

Jayshree varma said...

Wah ji Wah! Juoto par kavita ban sakati hai aisa hamane kabhi socha bhi na tha lekin satyagrah ki ladai yaha tak pahuch gai.... INIDA hamesha naye naye vishyo se pure duniya me chamkta raha hai lekin JUOTO ke karan hamare desh ka naam aa raha hai usse dhukh bhi ho raha hai.... bahut badhiya rachna..... aise hi likhte rahana..... Best of LUCK!
Jay Hind

RAJ SINH said...

NAV VIKAS KEE NAV DHARA 'JOOTA SANDESH',,,,,,,,,,,,,,,,,,??

BADHYEE HO !

akshaya gawarikar said...

ha!ha! j se jaidi j se jarnail!! bahot achhe!!