- पूरे देश में फसल स्वप्न की कैसी यह हरियाई है |
 - दिवस हजारों बीते देखो याद हमारी आई है ||
 - पूर्ण देश में सपनों के विक्रेता ऐसे घूम रहे |
 - गाँव गली में घूम घूम कर बूढे बच्चों को चूम रहे ||
 - कोई क़र्ज़ माफी के सपने ,सपने बिजली पानी के |
 - कन्या की शादी के सपने .सस्ते चावल धानी के ||
 - नेता अब विपणन में माहिर स्वप्न सुनहरे दिखा रहा |
 - भोला वोटर इन सपनो को निज मन में है सजा रहा ||
 - मिलने दलित अरे सांसद से , भूखा सड़क पर रहा पडा |
 - आज उसी के घर के आगे ,नेता का वाहन आय खडा ||
 - अरे गाँव को लौटा भूखा , किन्तु नहीं मिलने पाया |
 - आज उसी के घर में ,नेता ने भोजन खाया ||
 - फिर अखवार में फोटो अपना देख बेचारा भरमाया |
 - कष्ट पुराने विस्मृत सारे , नेता चरण शरण आया ||
 - ठगा गया वोटर ही सदा से , अपना अधिकार लुटाता है |
 - नेता मिथ्या स्वप्न बेचकर , अपना व्यापार चलाता है ||
 
 = प्रदीप मानोरिया  094 251 32060     
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