
जाको ओर छोर न दीखे ,बाँटो बाँटो का शोर ||
कोई वेतन वृद्धि देता कोई टेक्स में छूट |
जनता का वे माल लुटा कर वोट रहे हैं लूट ||
अब के आयो एइसों फाग रेवडी बँट रही चारों ओर |
दुनिया जूझ रही संकट से , यहाँ भरी भर पूर |
वोटों के लालच में नेता , हुए नशे में चूर ||
अब के आयो एइसों फाग रेवडी बँट रही चारों ओर |
सेवा कर कम करदिया , बढ़ गया वेतनमान |
कहीं क़र्ज़ माफी हुयी , हुया देश कल्याण ||
अब के आयो एइसों फाग रेवडी बँट रही चारों ओर |
= Pradeep Manoria