Saturday, 27 September 2008

सरकारी दोहे

  • "28 हजार से अधिक कुपोषित: हरदा जिले में 59 हजार 566 बच्चों का वजन लिया गया। इसमें 28 हजार 532 सामान्य कुपोषित एवं 332 गंभीर कुपोषित पाए गए। (नईदुनिया)
  • मध्य प्रदेश में चल रही, शिव जी की सरकार
  • गेंहू बिकता तीन में , चावल रुपया चार
  • गली गली की भींत पर , लिखके किया प्रचार
  • किंतु जनता आज भी , भूखी और लाचार
  • लाखों रुपए खा रहा , महिला बाल विभाग।
  • कहीं कुपोषण सामने, कहीं भूख की आग।। 
  • बना योजना लाभ की , जारी करते रोज। 
  • लाभ कहीं पहुँचे नहीं, कारण इसका खोज।।
  • शिव जी की सरकार में , बड़े बड़े हैं हुजूर
  • किंतु सब साबित हुए , जैसे पेड़ खजूर
  • ==प्रदीप मानोरिया
  • (Some corrections made by suggetion of respected shyamal suman jee)

17 comments:

MANVINDER BHIMBER said...

bahut achcha likha hai...style bhi sunder hai

अभिषेक मिश्र said...

Pradeep ji,
kafi achi lagi kavita aapki. anya kavitayen vishestah 'TV Serial aur nari' pasand aayee.

Manuj Mehta said...

pradeep ji
bahut hi sateek kataksh aaj ke samay par. bahut hi kam shabdon mein bahut hi gehri baat keh di aapne.

seema gupta said...

NO doubt, bilkul shee likha hai, biklul shee..

Regards

makrand said...

बना योजना लाभ की , जारी करते रोज
लाभ नहीं क्यूं पहुंचता , इसका कारण खोज

need to be applaud
baut sunder

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

pahli baar aapka blog dekha, bahut achcha laga, ummeed hai ki hamesha aise hi padhne ko milega

श्यामल सुमन said...

प्रदीप जी,

अच्छी कोशिश। शुभकामना। एक सरकारी दोहा मेरी तरफ से-

गया रेल में बैठकर शौचालय के पास।
जन साधारण के लिए यही व्यवस्था खास।।

आपकी रचना पर मेरा मन कुछ सलाह देने को उत्सुक है। मानना न मानना आपके वश में।

रुपए करोड़ों पी रहा , महिला बाल विभाग
बच्चे मरते भूख से , कु-पोषण की आग

बना योजना लाभ की , जारी करते रोज
लाभ नहीं क्यूं पहुंचता , इसका कारण खोज

आपकी उक्त पंक्तियों को यदि इस प्रकार लिखा जाय तो (निर्णय आपका) -

लाखों रुपए खा रहा , महिला बाल विभाग।
कहीं कुपोषण सामने, कहीं भूख की आग।।

बना योजना लाभ की , जारी करते रोज।
लाभ कहीं पहुँचे नहीं, कारण इसका खोज।।

आपके भाव को बिना आघात पहुँचाये सिर्फ आपके ही शब्दों को बदलकर एक कोशिश है मेरी। पसंद आए तो सुधार लीजिएगा।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com

Dr. Ashok Kumar Mishra said...

pradeepji,
bachchey agar kuposhan ka shikar hongey to majboot nai peedi kaisey tair hogi.

BrijmohanShrivastava said...

महोदय ,जय श्रीकृष्ण =मेरे लेख ""ज्यों की त्यों धर दीनी ""की आलोचना ,क्रटीसाइज्, उसके तथ्यों की काट करके तर्क सहित अपनी बिद्वाता पूर्ण राय ,तर्क सहित प्रदान करने की कृपा करें

dahleez said...

अापकी सरकारी किवता वाकई सरकार की कलई खोलती है। काश िक अाधा सरकारी पैसा भी गरीबों तक पहुंच पाता।

Sumit Pratap Singh said...

wah ustaad...

Vivek Kumar "विवेक" said...

sahi kah rahe hai aap...........
maya sarkar ki...

vishal said...

maan gaye guru, aapki lekhni ko.

vishal

Hemant Pandey said...

Behtarin prastuti hai............................

तीसरा कदम said...

maine aaj apko paheli bar pada.apne to sarkar ko bilkul tho diya.
behad khoobsoorat kataksh.
asha hai apke kadam yu hi udhenge...

Divya Narmada said...

श्यामल से उज्जवल हुआ,
सलिल सुमन के साथ.
शब्द साधना को नमन,
हो प्रभु उन्नत माथ.

sanjivsalil.blogspot.com
divyanarmada.blogspot.com

Divya Narmada said...

अ-सरकार सरकार की,
खूब खोलिए पोल.
असरकार सरकार हित,
कभी बजाएं ढोल.

खामी ही खामी नहीं,
खूबी भी हैं चंद.
श्यामल उज्जवल पक्ष पर,
'सलिल' संग लिख छंद.