Friday, 19 September 2008

मोबाइल और मचछर

  • मोबाइल और उसके उपयोगकर्तआओं की संख्या का आंकडा नये आयाम जोड रहा है /
  • मच्छरों के उत्पादन की गति को भी पीछे छोड रहा है /
  • मोबाइल और मच्छरों में भी समानता है /
  • शायद ये आप में से कोई जानता है /
  • मोबाइल जेब में घनघनाता है /
  • मच्छर कान पर भनभनाता है /
  • मोबाइल जेब से आकर कान को चाट जाता है /
  • मच्छर भिनभिनाकर कहीं भी काट जाता है /
  • मोबाइल अनेक आकारों प्रकारों में आते हैं /
  • मच्छर भी छोटे बडे सब तरह के पाये जाते हैं /
  • मलेरिया डेंगू चिकनगुनिया जैसे रोग मच्छर फैलाता है /
  • मोबाइल स्वंय रोग है और एसेमसेरिया फैलाता है /
  • एसेमसेरिया भी एक संक्रामक रोग है /
  • इसके शिकार मोबाइल कम्यूनिटी के लोग हैं /
  • कोई भी चुटकुला शायरी या न्यूज हो संक्रमण की तरह तैजी से प्रसार पाती है /
  • देखते ही देखते दुनिया भर में प्रचार बन जाती है /
  • अब तो ये एसएमएस सारी सीमायें मर्यादायें तोडचुके हैं /
  • व्यवसायिकता की चादर को चारों ओर से ओढ़ चुके हैं /
  • देश में घटती हुई अच्छी बुरी घटनाओं से अपने को जोड चुके हैं /
  • कुछ बानगी दिखाते हैं आपको भी समझाते हैं /
  • पाँच अंकोवाले नम्बर पर एसएमएस करने में आपको एक ही मिनिट लगता है /
  • किन्तु ऐसे एक एसएमएस से आपका तीन से छह रूपये कटता है /
  • ऐसे एसएमएस बटोरने की ट्रिक भी क्या कमाल है /
  • देश में घटे कोई भी घटना इनको कमाना माल है /
  • कोई भी है खुशहाल अथवा कोई भी परेशान है /
  • संवेदना से शून्य व्यवसायिकता ही इनका ईमान है /
  • लोकल ट्रेन में बमब्लास्ट से किसी का बेटा या पत्नि लापता या घायल है /
  • एसएमएस मंगवाने के लिये ये तो ऐसी ही घटना के कायल हैं /
  • प्रिंस गढ़्ढे में गिरा हुआ है घबराया है /
  • इन्होंने तो इससे ही माल कमाया है /
  • दिल्ली में भले आग लगी है /
  • इनकी तो चांदी ही कटी है /
  • आपसे राय पूछ पूछ कर जेब तो आपकी ही कटी है /
  • कौन बनेगा करौडपति का ये जबरदस्त खेल /
  • अरबपति बना है शाहरूख स्टार या ऐअरटेल /
  • आपको सावधान करना हमारी जिम्मेदारी है /
  • एसएमसेरिया के संक्रमण से बचना ही समझदारी है /
==प्रदीप मानोरिया 
 (चित्र गूगल छवि  खोज से  साभार प्राप्त)

20 comments:

महेन्द्र मिश्र said...

सही है मोबाइल और मच्छर दोनों भुनर भुनर करते है . एक कीट है एक मानव . बहुत पोस्ट . लिखते रहिये.

Udan Tashtari said...

:) बहुत बढ़िया!!

Dr. Ashok Kumar Mishra said...

pradeepji
machar aur mobile main samanta, ek naya drishtikon hai. bahut achcha likha hai.

MANVINDER BHIMBER said...

Arre apne to kamaal kar diya...keep it up

Anonymous said...

kaafi gehrai se aaklan karte hai aap cheezon ka..
kaafi accha likha hai.

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

bhai ek baar ko ab bina machar ke kaam chal jaiga .par bina mobil ke nahi. gulam ho gaye sab mobil ke .

seema gupta said...

"ha ha ha enjoyed reading it what a comparision of mobile and mosqueto in a different style"

Regards

Shastri JC Philip said...

सबसे पहले तो माँ चिट्ठे पर पधारने के लिये आभार रेखांकित कर दूँ.

आपका यह बिन्दु-अधारित व्यंग बहुत पसंद आया!!



-- शास्त्री जे सी फिलिप

-- बूंद बूंद से घट भरे. आज आपकी एक छोटी सी टिप्पणी, एक छोटा सा प्रोत्साहन, कल हिन्दीजगत को एक बडा सागर बना सकता है. आईये, आज कम से कम दस चिट्ठों पर टिप्पणी देकर उनको प्रोत्साहित करें!!

फ़िरदौस ख़ान said...

शानदार पोस्ट है... यहां आकर अच्छा लगा...जिंदगी बख़ैर रही तो फिर आना होगा...

Anonymous said...

mobile or machhar me samanta......post padkar maza aaya....bahut badiya

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

अच्छा साम्य ढूँढ निकाला है आपने। प्रयास जारी रखें। शुभकामनाएं।

Anonymous said...

bus maza aa gaya...........

Unknown said...

आपने मोबाइल और मछर बहुत ही शानदार प्रस्तुति दी है आप की रचनाएँ जीवन के अत्यन्त अनछुए पहलुओं को उजागर करती हैं साधुवाद

BrijmohanShrivastava said...

वाह भाई मानोरिया जी , मज़ा तो नहीं कहूँगा पर आनंद आगया आपका ""मोबाईल और मच्छर " तथा चुनावी मौसम " पढ़ कर हमें क्या पता था कि आप ही वो प्रदीप हैं जिनके वारे में सुना करता था वो तो मेरा सौभाग्य है कि आपने मेरी तुकबंदी पढ़ली और लिखा के ""मेरे ब्लॉग पर पधारें " पहले तो मैंने सोचा ""पधारू "" और पधार भी गया ,लेकिन जब मैंने आपकी दो रचनाएं पढी तो मुझे लगा कि आपने गलत लिखा आपको लिखना चाहिए था कि "" हाज़िर होइए "" सत्य मानिये मैं हाज़िर ही हुआ हूँ और बहुत भाग्यशाली हूँ जो अब मुझे अच्छा पढने को मिल जाया करेगा

Satish Saxena said...

अच्छा प्रयास है ! लिखते रहें !

dreamzzz unlimited.... said...

waah waah.. mobile phones ke gulaam hum log kuch der ke liye hi sahi.. smsaria se bachne ka prayas zaroor karenge aapki kavita se prerna lekar!!

Abhivyakti said...

badhiya prayaas hai !

Anonymous said...

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