Wednesday, 17 September 2008

चुनावी मौसम

  • फिजां में सुर्खी लहू में गर्मी मौसम चुनावी फिर आ गया है
  • ऊंचे इरादे फिर झूठे वादे मौसम चुनावी फिर आ गया है
  • चालें सियासी शतरजी बाजी नेता सभी को मनाने लगा है
  • बातें सुहानी फिर वो कहानी मौसम चुनावी फिर आ गया है
  • करते चिरौरी सीधी हैं त्यौरी चरणों में लोटा लगाने लगा है
  • टिकिट की दौडें अब हाथ जोडें मौसम चुनावी फिर आ गया है
  • माया जो जोडी खोली तिजौरी हस्त युगलसे लुटा रहा है
  • अचिंत्य खर्चा प्रचारी पर्चा मौसम चुनावी फिर आ गया है
  • जो छापाखाने पडे पुराने मौका मिला तो भुनाने लगा है
  • चुनावी चर्चा चुनावी पर्चा मौसम चुनावी फिर आ गया है
  • सत्ता में बैठे माया को ऐंठे सपने सुहाने सजाने लगा है
  • सत्ता की गाय हो क्षीरदाय मौसम चुनावी फिर आ गया है
  • टिकिट न पाते जो रूठ जाते भितरघात लगाने लगा है
  • यहां का खाते वहां का गाते मौसम चुनावी फिर आ गया है
  • मंच बनाया जलसा सजाया हथियारी परमिट बांट रहा है
  • कहें अहिंसा प्रबंध हिंसा मौसम चुनावी फिर आ गया है
  • बूथों का केप्चर नया है कल्चर वोटर बिना ही जिता रहा है
  • बदमाश गुण्डे बंदूक डण्डे मौसम चुनावी फिर आ गया है
  • रचना प्रदीप मानोरिया

15 comments:

Unknown said...

very good chutki kaati hai
yeh rajniti ka katu satya hai

Dr. Ashok Kumar Mishra said...

maujooda chunavi vyavastha per aapney achcha kataksh kiya hai.

Anonymous said...

यहां का खाते वहां का गाते मौसम चुनावी फिर आ गया है



16 aane sach likha hai......
likhte rahen.....

Suneel R. Karmele said...

बेहतरीन व्‍यंगदार रचना, चुनावी समर में अपने आपको सत्‍ता के क़रीब पहुँचाने के लि‍ए सभी प्रकार से हथकण्‍डे अपनाना और खुद को अमीर और आम जनता को मूर्ख बनाना राजनेताओं का शग़ल है। .....

आपको मेरे ब्‍लॉग के बारे में जानकारी कैसे मि‍ली। टि‍प्‍पणी देने के लि‍ए धन्‍यवाद।

रंजना said...

वाह ...एकदम सही कहा आपने.सटीक सुंदर व्यंग्य काव्य है.

श्रद्धा जैन said...

vayang mein gazal
wah kya baat hai bhaut achha laga padhkar
naya radeef naya kafiya
bhaut achha

Renu Sharma said...

prdeep ji , chunav dastak de rahain hain or aap chutki le rahin hain . bahut khoob likha hai .

shelley said...

bahut khub. aap v is mausam ka lutf uthayen

Arsh said...

bahut hi umdaa kavita hai manoria jee, hamare blog pe padharne ke liye bahut bahut dhanyawaad, likhte rahiye aur humain achhi rachnaon se anandit karte rahiye :)

Anonymous said...

Pradeep saab, mazaa aa gayaa

pritima vats said...

हिन्दी काव्य मंच पर आना सुखद रहा। बहुत मनोरंजक और बेधने वाला व्यंग्य है।

Anonymous said...

अच्छा लिखा है, खासतौर पर .... "बदमाश-गुण्डे,बंदूक-डण्डे मौसम चुनावी ...." ।

RAJ SINH said...

chutaki katee bhee lee bhee.sahee hai !

Shastri JC Philip said...

"कहें अहिंसा प्रबंध हिंसा मौसम चुनावी फिर आ गया है "

जबर्दस्त व्यंग है आपका. लिखते रहें!!


-- शास्त्री

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makrand said...

bahut sunder ,kya baat hey
regards