Wednesday 10 September, 2008

ज़िंदगी- एक आइना

  • रंजो गम के आईने सी, हो गई है ज़िंदगी
  • दर्द के अहसास की, तस्वीर है ये ज़िंदगी
  • बेरुखी तेरी कहे कि, भूल जाएँ अब तुझे
  • तेरी यादों का अरे, दरिया रही ये ज़िंदगी
  • रुख हसीं की मुस्कराहट, थे उजाले जो कभी
  • दीद उस रुख को तरसते, स्याह है अब ज़िंदगी
  • इम्तिहाँ ये ज़िंदगी का, हो भले कितना कठिन
  • दिल से हूँ मजबूर मैं, कैसे कटेगी ज़िन्दगी
  • राह में मिलकर भी वो, नज़रें घुमा कर चल दिए
  • बा-वफ़ा वो हों सही, पर बेवफा है ज़िंदगी
  • ले के दिल वापिस दिया, टूटा खिलोना रह गया
  • खेल ये आसान सा, मुश्किल हुई ये ज़िंदगी
  • रंजो गम के आईने सी, हो गई है ज़िंदगी
  • दर्द के अहसास की, तस्वीर है ये ज़िंदगी
  • = रचना - प्रदीप मानोरिया - संपर्क ०९४२५१३२०६०

12 comments:

Anonymous said...

wow, very special, i like it.

Anonymous said...

very cool.

शोभा said...

# ले के दिल वापिस दिया, टूटा खिलोना रह गया
# खेल ये आसान सा, मुश्किल हुई ये ज़िंदगी
# रंजो गम के आईने सी, हो गई है ज़िंदगी
# दर्द के अहसास की, तस्वीर है ये ज़िंदगी
बहुत सुंदर लिखा है. बधाई

seema gupta said...

बेरुखी तेरी कहे कि, भूल जाएँ अब तुझे
तेरी यादों का अरे, दरिया रही ये ज़िंदगी
" wah, very touching poetry, liked it"
Regards

Smart Indian said...

"मुश्किल हुई ये ज़िंदगी"
बधाई प्रदीप. अरे मुश्किलों को आसान करना आप जैसे श्रेष्ठ कवियों के लिए क्या मुश्किल है?

महेन्द्र मिश्र said...

bahut badhiya . badhai
kabhi samay mile nirantar par jarur dastak de.

Udan Tashtari said...

बेहतरीन..

amit said...

राह में मिलकर भी वो, नज़रें घुमा कर चल दिए
बा-वफ़ा वो हों सही, पर बेवफा है ज़िंदगी
यथार्थ चित्रण खूबसूरत पंक्तियाँ आपका जवाव नहीं प्रदीप जी

ममता त्रिपाठी said...

अच्छा लिखा आपने । सच में ऎसा ही है । एतदर्थ साधुवाद!
-ममता त्रिपाठी

tarun parashar said...

namaskar bhaisahab aapki rachana padi to jindgi ke kuch beete pal yad aa gaye. vastvikata ke sath jindgi ka iena pasand aya bahut aacha or uttam hai aapka kavya srijan aage bhi aap nirantarta ke sath siijan karte rahenge is aasha ke sath aapko hardik shibhkamnaye

કેયૂર કોટક said...

pradeepji, u r really good work for literature today we need save the hindi and other india's regional literature

Keshav Dayal said...

arthpoorna vichaaron ka chayan aur shabdon ka prayog sarahniya hai. Achchhi kavita ke liye dhanyawwad sweekar karein.