- अफ़साना ज़िंदगी का कैसे तुम्हे सुनाये
- सूखा है सबका गुलशन कैसे बहारें लायें
- इस रंजोगम के बिन नहीं, दुनिया में है कोई
- खुशियों के चंद लम्हे सौगात गम भुलाए
- ज़िंदगी में गम ही सही इक पल का है फकत
- वो पल है जाने वाला , इसका मज़ा उठाएं
- उनको खुशी मिली है हकदार जो थे इसके
- उनकी खुशी से हम क्यों गम अपने को बढायें
- हो कितना भी कठिन अरे , जीवन का ये सफर
- गिर गिर के फ़िर संभलना ,आगे ही बढ़ते जाएँ
- अफ़साना ज़िंदगी का कैसे तुम्हे सुनाये
- सूखा है सबका गुलशन कैसे बहारें लायें
== प्रदीप मानोरिया
10 comments:
बहुत अच्छा लिखा है।
pradeepji, bahut achhi rachna.
उनको खुशी मिली है हकदार जो थे इसके
उनकी खुशी से हम क्यों गम अपने को बढायें
"beautiful lines, liked it"
Regards
हो कितना भी कठिन अरे , जीवन का ये सफर
गिर गिर के फ़िर संभलना ,आगे ही बढ़ते जाएँ
शिक्षाप्रद पंक्तियां, साहस की झलक है इनमें, ऊर्जा है। कुंठा से निकलता साहस का नया रास्ता। सुंदर।
एक बात और कहनी है मनोरिया जी, हम जरा इश्क के मामले में कमजोर हैं, कुछ खास लिखना नहीं जानते। इसलिए कभी-कभी आपके ब्लॉग से कुछ पंक्तियां अपनी प्रेमिका को भेज देते हैं, लेकिन अपने नाम से नहीं भेजते। इस अपराध के लिए क्षमा करें।
अच्छा लिखा है.
गणपति बब्बा मोरिया अगले बरस फ़िर से आ"
श्री गणेश पर्व की हार्दिक शुभकामनाये .....
bahut achha
bahut maja aaaaaaaa gaya
बहुत सुंदर!
DOOSRON KI ZINDAGI MEIN KHUSHIYA LAANE KI KAMNA RAKHNE WALE MANORIYA BHAI KO BADHAI, YAHI BHAWNA HAMEIN EK SACHCHA INSAAN BANATI HAI...MERI CHAUKHAT (Blog) PAR AA KAR UMMEEDON KA DEEP JALANE KE LIYE SHUKRIY.
ANWARUL HASAN
RJ-FMrainbow 100.7 Lucknow
Director- Voice Production
MAJA A GAYA PRADEEP JI
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