- अफ़साने कुछ अनजाने से गीत पुराने लाया हूँ |
- तेरी महफ़िल में बातों से लफ़्ज़ चुराने आया हूँ ||
- लव खामोश और बन्द निगाहें स्याह अंधेरा छाया है |
- तेरी सांसो की आवाज़ें सुर मैं मिलाने आया हूँ ||
- खाली सागर फ़ैले पैमाने महफ़िल उजडी उजडी है |
- बेसुध रिंदो के आलम में दो घूँट मैं पाने आया हूँ ||
- रुत बरखा की मेघ दिखें न दिल धरती सा तपता है |
- आँसू की दो बूँद बहा कर तपन मिटाने आया हूँ ||
- दिल की चाहत दिल में रखकर वक्त बहुत अब बीत गया |
- जीवन की संध्या में अब मैं याद दिलाने आया हूँ ||
=Pradeep Manoria 9425132060
10 comments:
बहुत सुन्दर भावो को पिरोया है आपने "तेरी सांसो की आवाजें सुर मैं मिलाने आया हूँ " गज़ब आपकी कलम बहुत भारी है
हर एक पँक्ति लाजवाब है बधाई
बहुत दिनों बाद वापसी हुई.. अन्तिम दो पंक्तियां बहुत अच्छी लगीं..
beautiful thoughts,
excellent expressions,
keep it up..
k.n.jha
waah kya baat kahi hai
aansun ki do bund .........tapan mitaane....... waah
रुत बरखा की मेघ दिखें न दिल धरती सा तपता है|
आँसू की दो बूँद बहा कर तपन मिटाने आया हूँ ||
बहुत सुन्दर मनोरिया जी काफी दिनों बाद आपकी रचना पढ़ने मिली...धन्यवाद्
वाह!! बहुत बेहतरीन!
अफ़साने कुछ अनजाने से गीत पुराने लाया हूँ|
तेरी महफ़िल में आकर खुदको भुनाने आया हूँ।
लव खामोश हैं बन्द निगाहें छाया स्याह अंधेरा
तेरी सांसो को अपनी साँसों से चुराने आया हूँ।
लाजवाब है बधाई!!
bahut sunder bhav or shabdo se saji hui umdda gazal ...badhai
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