Tuesday, 15 June 2010

मौन की पौन

  • आज अर्जुन दिख रहा क्यों कौरवों के वेश में ।
  • क्यों दिशा से रहित वायु बह रही इस देश में ॥
  • श्मसान सा भोपाल को जिनने बनाया था कभी ।
  • अब भी उनको पालते अर्जुन हमारे देश में ॥
  • कौन है जो डस गया और सपेरा कौन है।
  • हर कोई सच जानता अब हमारे देश में ॥
  • घट गया वह बुरा था सच उजागर आज है।
  • मौन कठपुतला रहा फ़िर भी हमारे देश में ॥
  • मौन वह है हाथ जिससे चल रही सब डोर है।
  • और बेटा मौन है नायक बना जो देश में ॥
  • लाशें कुचल कर कैसे भागा वो फ़िरंगी बेरहम ।
  • इसका उत्तर मांगती जनता हमारे देश में ॥ =प्रदीप मानोरिया

7 comments:

दिलीप said...

waah sirji jordaar rachna....isko alag alag line me har pankti likh de to aur prabhaavi ho jaayegi...

Udan Tashtari said...

रचना के माध्यम से बहुत सही प्रश्न उठाया है आपने. बधाई...आजकल कम दिख रहे हैं आप?

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

इंडलि और मारिया के निवेदनों पर गौर फरमायें...
समीर जी के प्रश्न का उत्तर दें...
अगर पूरे देश की जनता यह प्रश्न पूछती तो शायद कुछ होने की सम्भावना थी. जो पूछते हैं उनके वोट से सरकारें न तो बनती हैं और न हिलती हैं...

निर्मला कपिला said...

बिलकुल सही जवाब मांगती है जनता जोर दार शब्दों मे सही बात कही बधाई

hem pandey said...

'लाशें कुचल कर कैसे भागा वो फ़िरंगी बेरहम ।
इसका उत्तर मांगती जनता हमारे देश में'

- जिन्हें उत्तर देना चाहिए वे इतने बेशर्म हैं कि उत्तर में खीसें निपोर देंगे. डर है कि आज का यह हो हल्ला भी कुछ दिनों बाद भुला दिया जाएगा.

Smart Indian said...

सही बात!

vaishali said...

very true, but i think for the current situation of country, only the ppl of country are responsible.