Tuesday, 18 May 2010

पानी रे पानी

  • पानी की कमी जो सर्वत्र ही छाई है ।
  • स्वंयसेवी संस्थायें चिंता से घबराई हैं ॥
  • एक संस्था ने पानी की बचत पर सेमिनार कराया ।
  • भांति भांति के लोगों को सुनने सुनाने बुलाया ॥
  • बहुत लोग माइक पाकर खुशी से फ़ूले ।
  • सुनाये जल बचत के अपने फ़ार्मूले ॥
  • एक बोले
  • बार बार गिलास धोने में पानी व्यर्थ बहता है ।
  • पानी पीने पूरे घर का गिलास एक रहता है ।
  • दूसरे बोले
  • हमने पानी बचाने का मस्त आइडिया अपनाया है ।
  • हम तो बोतल से जल पीते हैं गिलासों को ही हटाया है ।
  • तीसरे बोले
  • इतने से पानी बचाने से क्या होगा ।
  • बचत के लिये इतना तो करना होगा ।
  • कि हम तो कुछ इस तरह पानी बचाते हैं ।
  • खाट पर बैठ कर हम लोग नहाते हैं ।
  • खाट के नीचे जो पानी आता है ।
  • वो घर को धोने के काम आता है ।
  • मोहन लाल व्यर्थ की बातों से पक गये ।
  • जोश में आके कुछ ऐसा बहक गये ।
  • बोले
  • हम तो पानी की कमी में भी मस्त जीते हैं ।
  • आजकल शराब को हम नीट ही पीते हैं ।
  • एक डाक्टर ने सेहत के मुद्दे पर सवाल उठाया ।
  • बिना पानी के शराब पीने पर ऐतराज़ जताया ।
  • मोहनलाल ने तुरन्त खारिज़ किया ऐतराज़ ।
  • बोले सुनिये तो सही डाक्टर जनाब ।
  • बिना पानी के घूँट कब अन्दर जाता है ।
  • बोतल देख कर मुँह में पानी आ जाता है ।
प्रदीप मानोरिया

3 comments:

दिलीप said...

hahaha mazedaar

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

ये तो बन्दे ने डाक्टर को चित कर दिया...

Udan Tashtari said...

अरे जनाब, इतने दिनों कहाँ रहे. अब नियमित हो जाओ. इन्तजार रहता है भई.