- पानी की कमी जो सर्वत्र ही छाई है ।
- स्वंयसेवी संस्थायें चिंता से घबराई हैं ॥
- एक संस्था ने पानी की बचत पर सेमिनार कराया ।
- भांति भांति के लोगों को सुनने सुनाने बुलाया ॥
- बहुत लोग माइक पाकर खुशी से फ़ूले ।
- सुनाये जल बचत के अपने फ़ार्मूले ॥
- एक बोले
- बार बार गिलास धोने में पानी व्यर्थ बहता है ।
- पानी पीने पूरे घर का गिलास एक रहता है ।
- दूसरे बोले
- हमने पानी बचाने का मस्त आइडिया अपनाया है ।
- हम तो बोतल से जल पीते हैं गिलासों को ही हटाया है ।
- तीसरे बोले
- इतने से पानी बचाने से क्या होगा ।
- बचत के लिये इतना तो करना होगा ।
- कि हम तो कुछ इस तरह पानी बचाते हैं ।
- खाट पर बैठ कर हम लोग नहाते हैं ।
- खाट के नीचे जो पानी आता है ।
- वो घर को धोने के काम आता है ।
- मोहन लाल व्यर्थ की बातों से पक गये ।
- जोश में आके कुछ ऐसा बहक गये ।
- बोले
- हम तो पानी की कमी में भी मस्त जीते हैं ।
- आजकल शराब को हम नीट ही पीते हैं ।
- एक डाक्टर ने सेहत के मुद्दे पर सवाल उठाया ।
- बिना पानी के शराब पीने पर ऐतराज़ जताया ।
- मोहनलाल ने तुरन्त खारिज़ किया ऐतराज़ ।
- बोले सुनिये तो सही डाक्टर जनाब ।
- बिना पानी के घूँट कब अन्दर जाता है ।
- बोतल देख कर मुँह में पानी आ जाता है ।
Tuesday, 18 May 2010
पानी रे पानी
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3 comments:
hahaha mazedaar
ये तो बन्दे ने डाक्टर को चित कर दिया...
अरे जनाब, इतने दिनों कहाँ रहे. अब नियमित हो जाओ. इन्तजार रहता है भई.
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