- पानी की कमी जो सर्वत्र ही छाई है ।
 - स्वंयसेवी संस्थायें चिंता से घबराई हैं ॥
 - एक संस्था ने पानी की बचत पर सेमिनार कराया ।
 - भांति भांति के लोगों को सुनने सुनाने बुलाया ॥
 - बहुत लोग माइक पाकर खुशी से फ़ूले ।
 - सुनाये जल बचत के अपने  फ़ार्मूले ॥
 - एक बोले
 - बार बार गिलास धोने में पानी व्यर्थ बहता है ।
 - पानी पीने पूरे घर का गिलास एक रहता है ।
 - दूसरे बोले
 - हमने पानी बचाने का मस्त आइडिया अपनाया है ।
 - हम तो बोतल से जल पीते हैं गिलासों को ही हटाया है ।
 - तीसरे बोले
 - इतने से पानी बचाने से क्या होगा ।
 - बचत के लिये इतना तो करना होगा ।
 - कि हम तो कुछ इस तरह पानी बचाते हैं ।
 - खाट पर बैठ कर हम लोग नहाते हैं ।
 - खाट के नीचे जो पानी आता है ।
 - वो घर को धोने के काम आता है ।
 - मोहन लाल व्यर्थ की बातों से पक गये ।
 - जोश में आके कुछ ऐसा बहक गये ।
 - बोले
 - हम तो पानी की कमी में भी मस्त जीते हैं ।
 - आजकल शराब को हम नीट ही पीते हैं ।
 - एक डाक्टर ने सेहत के मुद्दे पर सवाल उठाया ।
 - बिना पानी के शराब पीने पर ऐतराज़ जताया ।
 - मोहनलाल ने तुरन्त खारिज़ किया ऐतराज़ ।
 - बोले सुनिये तो सही डाक्टर जनाब ।
 - बिना पानी के घूँट कब अन्दर जाता है ।
 - बोतल देख कर मुँह में पानी आ जाता है ।
 
प्रदीप मानोरिया
 
 
 
            
        
          
        
          
        
- ज़िन्दगी में जब कोई अवसाद आता है ।
 
- माँ तेरी ममता का आँचल याद आता है ॥
 
- वक्त है बीता बहुत तेरे बिन रह्ते हुये ।
 
- किन्तु सर पे माँ तेरा ही हाथ आता है ॥
 
- रहगुज़र में धूप भारी पर नहीं कुम्हला सका ।
 
- साया ममता का सदा ही साथ आता है ।। 
 
- भूल हो जाये कोई फ़िर बोध हो अपराध का । 
 
- डाँटना समझाना तेरा माँ याद आता है ॥
 
 - मेरे बच्चे खेलते जब उनकी माँ की गोद में ।
 
 - माँ मुझे बचपन मेरा  भी याद आता है ॥
 
प्रदीप मानोरिया
०९४२५१३२०६०