- सूखता जाता हुआ जल /
- कुछ तो होगा इसका भी हल /
- क्या ये प्रश्न करता है उद्वेलित /
- इसे हल करने कभी हुए प्रेरित /
- एकांगी रूप से प्रवृत्त व्यवहार में ही लीन हैं /
- मिलता जहॉं से अरे मात्र लेने में तल्लीन हैं /
- नीर के उपयोग के संग दुरूपयोग पर भी हैं डटे /
- धीरे धीरे आज देखो नीर स्त्रोत भी हैं घटे /
- क्यों नहीं अपनाते हम द्विमार्गी व्यवहार को /
- जब लेने में हैं जो तत्पर फिर देने भी तैयार हों /
- उपयोग के बाद व्यर्थ नाली में बहाना पानी को /
- इंगित करता आगामी परेशानी और नादानी को /
- जब धरा के स्त्रोत जल से नीर हम लेते रहे /
- करें मेघ जल वापिस धरा को व्यर्थ अब वह न बहे /
- मेघ जल अभिषेक करना है धरा का अब यहॉं /
- अन्यथा भावि समय में जल मिलेगा फिर कहॉं /
- संग्रहित कर नीर बरखा निकट ही अर्पण करें /
- घटते स्तर नीर का अब पुनि पुनि अरे वर्धन करें /
- खर्च जीवन में अनेकों व्यर्थ भी धन जाय है /
- व्यय करें कुछ धन भी इसमें ये धरा का न्याय है /
Friday, 16 January 2009
जल पुनर्भरण आज की आवश्यक्ता - - WATER HARVESTING
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18 comments:
वाकई में यह एक गंभीर विषय है--जल ही जीवन है-पानी की हर बूंद कीमती है---
paani ka durupyog ek criminal activity hai, har vyakti ko jal sanrakshit karna chahiye anyatha einstein (spelling galat hai shayad)mahodaya ka kahna satya saabit ho jaayega.
यह एक गंभीर एवं चिन्तन का विषय है. आपने ने इस पर कलम चलाकर एक सार्थक प्रयास किया है, साधुवाद.
बिल्कुल सही मुदा उठाया है आपने! जल ही तो जीवन है!इसकी हर एक बूंद कीमती है!
बहुत खूब !
इस गंभीर विषय पर आपका चिंतन सराहनीय है .समस्या गंभीर है और जागृति लाना कवि का धर्म .
बधाई!!!
मनोरिया जी, आपने कविता के माध्यम से काफी ज्ञान दिया, शुक्रिया!
प्रदीप जी
बहुत सुंदर ख्याल है और इतनी ही सुन्दरता के साथ आपने इसे पिरोया है काव्यांजलि में
बहुत सुंदर बात कही आप ने अपने इस लेख मै,अगर आगे जीना है तो हर बूंद को सहेज कर ओर साफ़ रखना हो गा.
धन्यवाद
प्रदीपजी इस महत्वपूर्ण विषय पर सुन्देर अभिव्यक्ति है बधाई
aap ne bahut gambhir vishay uthaya hai,sabko is par sochna chahiye.
pani ki binaa kuch nahi yaar ye sachi baat hai
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वास्तव में पानी की समस्या बहुत गंभीर रूप लेती जा रही है आपने एकदम सही मुद्दा उठाया...
पानी पर आपकी इस प्रस्तुति ने पानी पानी कर दिया
संग्रहित कर नीर बरखा निकट ही अर्पण करें /
घटते स्तर नीर का अब पुनि पुनि अरे वर्धन करें /
पानी के बिना हम जीने की कल्पना मात्र भी नही कर सकते.....इस विषय पर आपके विचार और प्रस्तुती सराहनीय है.."
Regards
सभी को पता है कि जल ही जीवन है इसके बिना जीवन की कल्पना नही की जा सकती । फिर भी लोग जल को वेवजह खचॆ करते जा रहे है । समझ में नही आता है कि जल को कैसे बचाया जाए । अच्छा लेख । शुक्रिया
रहिमन पानी रखिये विन पानी सब सून /पानी गए न ऊबरे मोती,मानस, चून /
Nirantar vikral rup dharan karti ja rahi ek samasya ki taraph dhyan aakrist karne ke liye aap badhai ke patra hain.
Jal jeevo ke liye prakriti kanmol upharo me se ek he,ise sangrakshit krna chahiye!!!
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