
Sunday, 27 June 2010
Sunday, 20 June 2010
दिल गीत और सुर

- अफ़साने कुछ अनजाने से गीत पुराने लाया हूँ |
- तेरी महफ़िल में बातों से लफ़्ज़ चुराने आया हूँ ||
- लव खामोश और बन्द निगाहें स्याह अंधेरा छाया है |
- तेरी सांसो की आवाज़ें सुर मैं मिलाने आया हूँ ||
- खाली सागर फ़ैले पैमाने महफ़िल उजडी उजडी है |
- बेसुध रिंदो के आलम में दो घूँट मैं पाने आया हूँ ||
- रुत बरखा की मेघ दिखें न दिल धरती सा तपता है |
- आँसू की दो बूँद बहा कर तपन मिटाने आया हूँ ||
- दिल की चाहत दिल में रखकर वक्त बहुत अब बीत गया |
- जीवन की संध्या में अब मैं याद दिलाने आया हूँ ||
=Pradeep Manoria 9425132060
Tuesday, 15 June 2010
मौन की पौन

- आज अर्जुन दिख रहा क्यों कौरवों के वेश में ।
- क्यों दिशा से रहित वायु बह रही इस देश में ॥
- श्मसान सा भोपाल को जिनने बनाया था कभी ।
- अब भी उनको पालते अर्जुन हमारे देश में ॥
- कौन है जो डस गया और सपेरा कौन है।
- हर कोई सच जानता अब हमारे देश में ॥
- घट गया वह बुरा था सच उजागर आज है।
- मौन कठपुतला रहा फ़िर भी हमारे देश में ॥
- मौन वह है हाथ जिससे चल रही सब डोर है।
- और बेटा मौन है नायक बना जो देश में ॥
- लाशें कुचल कर कैसे भागा वो फ़िरंगी बेरहम ।
- इसका उत्तर मांगती जनता हमारे देश में ॥ =प्रदीप मानोरिया
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