उछालकर कीचड़, कर सकते हो गंदे कपड़े मेरे पर तब भी मेरी कलम इंद्रधनुषी रंगों से रचेगी विश्व आकाश पर सतरंगी सपने नीले पीले ये सुर्ख से सुर्ख रंग, ये अबीर सब छूट जाते हैं, झट से सो रंगना ही है मुझे, तो उस रंग से रंगो जो छुटाये से बढ़े कहाँ छिपा रखी है नेह की पिचकारी और प्यार का रंग?
5 comments:
उछालकर कीचड़,
कर सकते हो गंदे कपड़े मेरे
पर तब भी मेरी कलम
इंद्रधनुषी रंगों से रचेगी
विश्व आकाश पर सतरंगी सपने
नीले पीले ये सुर्ख से सुर्ख रंग, ये अबीर
सब छूट जाते हैं, झट से
सो रंगना ही है मुझे, तो
उस रंग से रंगो
जो छुटाये से बढ़े
कहाँ छिपा रखी है
नेह की पिचकारी और प्यार का रंग?
बहुत समय बाद दर्शन हुये. होली पर शुभकामनायें.
रंगारंग उत्सव पर आपको हार्दिक शुभकामनायें !
acha sandesh........afsos ki ham ise der se padh paye
eksandeshatmak rachna,padh kar achha laga.
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