दीपो की कतार से ,एकता औ प्यार से 
उर के उल्लास से ,जीवन के प्रकाश से 
खुशियाँ फैलाई हैं दीवाली आई है ....................
राम राज्य शान की , मुक्ति वर्धमान की 
न्याय और नीति की ,अहिंसा की रीति की 
याद  ये दिलाई है दीवाली आई है ..................
इस प्रकाश पर्व पर , मन का सब तिमिर हर 
हिंसा मन के रावण सब , विजय उन् पर पाकर अब 
दीवाली मनाई है दीवाली आई है ................
 शुभ दीपावली ..
(रचना = प्रदीप मानोरिया)