- फैशन की दुनिया में जबरदस्त कमाल है |
- अल्पता और लघुता से आया हुआ भूचाल है |
- पूर्व के आविष्कारों में स्कर्ट की लंबाई घटती गई |
- अब स्कर्ट ऊपर से टॉप नीचे से घट जाना है फैशन नई |
- low waist स्कर्ट या जीन्स show waist टॉप का नया फैशन है |
- उसकी मोबाइल से फोटोग्राफी लडकों का पेशन है |
- ऐसे नये फैशन से सुसज्जित कन्यायें |
- जब सायकिल रिक्शा पर बैठ कर जायें |
- पीछे चलने वाली मोटर साईकिल की गति मंद और ड्राइवर की ऑंखे फैल जाती हैं |
- इससे होती हैं सडक दुर्घटनायें और इसमें पेट्रोल की बर्बादी है |
- इस नई low waist और show waist फैशन से देश का नुकसान है |
- कपडों की मितव्वियता और पेट्रोल के अपव्यय से देश परेशान है |
Thursday 22 January, 2009
आज की फैशन
Friday 16 January, 2009
जल पुनर्भरण आज की आवश्यक्ता - - WATER HARVESTING
- सूखता जाता हुआ जल /
- कुछ तो होगा इसका भी हल /
- क्या ये प्रश्न करता है उद्वेलित /
- इसे हल करने कभी हुए प्रेरित /
- एकांगी रूप से प्रवृत्त व्यवहार में ही लीन हैं /
- मिलता जहॉं से अरे मात्र लेने में तल्लीन हैं /
- नीर के उपयोग के संग दुरूपयोग पर भी हैं डटे /
- धीरे धीरे आज देखो नीर स्त्रोत भी हैं घटे /
- क्यों नहीं अपनाते हम द्विमार्गी व्यवहार को /
- जब लेने में हैं जो तत्पर फिर देने भी तैयार हों /
- उपयोग के बाद व्यर्थ नाली में बहाना पानी को /
- इंगित करता आगामी परेशानी और नादानी को /
- जब धरा के स्त्रोत जल से नीर हम लेते रहे /
- करें मेघ जल वापिस धरा को व्यर्थ अब वह न बहे /
- मेघ जल अभिषेक करना है धरा का अब यहॉं /
- अन्यथा भावि समय में जल मिलेगा फिर कहॉं /
- संग्रहित कर नीर बरखा निकट ही अर्पण करें /
- घटते स्तर नीर का अब पुनि पुनि अरे वर्धन करें /
- खर्च जीवन में अनेकों व्यर्थ भी धन जाय है /
- व्यय करें कुछ धन भी इसमें ये धरा का न्याय है /
Saturday 10 January, 2009
बूढी आशा
आशाओं से भरी निगाहें , मन कितना मजबूर है |
तन जर्जर सामर्थ्य नहीं है , दुःख ही दुःख का पूर है ||
सर्द रात तन रहे ठिठुरता , यह दरिद्र संजोग है |
हाथ में चिंदी असमंजस है , क्या इसका उपयोग है ||
चेहरे पर झुर्री का जाला , निर्धनता का नूर है .......
आशाओं से भरी निगाहें , मन कितना मजबूर है |
तीन पहर तो बीत चुके हैं ,आई जीवन की सांझ है |
इनके लिए तो सुख की जननी , रही सदा ही बाँझ है ||
सुर सरगम मर्सिया हैं गाते , सुख खट्टे अंगूर है ........
आशाओं से भरी निगाहें , मन कितना मजबूर है |
शिशिर बसंत हेमंत शरद , ऋतू सब ही आनी जानी |
अर्ध वस्त्र और भोजन आधा, जीवन की है यही कहानी ||
फ़िर भी जीवन जीते जाते , ईर्ष्या से रह दूर है ...........
आशाओं से भरी निगाहें , मन कितना मजबूर है |
दूर ये नज़रें देख रही हैं, सुख की कुछ परछाईं हो |
भाग्य विधाता को भी शायद याद हमारी आई हो ||
दुःख भोगें और सपने देखें इसमे नही कुसूर है ....
आशाओं से भरी निगाहें , मन कितना मजबूर है |
तन जर्जर सामर्थ्य नहीं है , दुःख ही दुःख का पूर है ||
प्रदीप मानोरिया अशोकनगर (MP) संपर्क 094 251 32060
The picture by coutsey of shunya.net
Wednesday 7 January, 2009
मौसम
मौसम का ये मिज़ाज हुआ खुशगवार है |
आयेंगे वो जो पास, मेरे इंतज़ार है |
वो दूर नहीं पास मेरे जान लीजिये |
है चश्म में रूख वो हसीं मेरे आज है |
मौसम का ये मिज़ाज हुआ खुशगवार है |
जुल्फों के पेंचों खम है भला स्याह क्यूं बडे |
दिन में हुई है शाम यहॉं गुल की बहार है |
मौसम का ये मिज़ाज हुआ खुशगवार है |
दिल की करें क्या बात भला इश्क के सिवा |
तेरा ही है वज़ूद यहॉं उसका खुमार है |
मौसम का ये मिज़ाज हुआ खुशगवार है |
तन्हाइयों में याद तेरी क्यों इतना सताती |
आ जाओ अब ना देर करो दिल बेकरार है |
मौसम का ये मिज़ाज हुआ खुशगवार है |
आयेंगे वो जो पास मेरे इंतज़ार है |
प्रदीप मानोरिया
09425132060
Monday 5 January, 2009
टी वी सीरियल्स एकता स्टाइल
पारिवारिक पृष्ठ भूमि की कहानियों पर आधारित /
आजकल चल रहे टी वी के धारावाहिक /
समाज में खूब छा रहे हैं /
शायद सभी को भा रहे हैं /
भारतीय संस्कृति की संकेत मात्र साडियॉं /
ब्लाउज की आवश्यकता को नकारती टीवी की नारियॉं /
वक्रता के भाव चेहरे पर सजाये /
अपने शारीरिक सौष्ठव को दर्शायें /
कुटिलतायें और षडयंत्र /
इनकी सफलता का मंत्र /
इतना ही नहीं काफी आगे और भी देखिये /
नयनों के साथ कानों को भी सेंकिये /
सामान्य से माहौल में साधारण से संवाद /
पार्श्व में चलती हुई कानफोडू आवाज /
तेज नगाडे और तलवार के खींचे जाने के स्वर /
प्रतीत होता मानो आया युध्द का अवसर /
चाय पीते हुये या कुछ खाते हुये टीवी देखो /
कर्णफाड संगीत से खिसियाकर कप ही फैंको /
टीवी के किसी पात्र को यदि हार्ट अटैक आया है /
पार्श्व में नगाडा और झिंगझांग बजाया है /
ऐसा लगता है हार्ट अटैक नहीं आया है /
मानो यमराज सेना लेकर सीधा ही चला आया है /
आपके घर में है यदि अच्छी और बडी सी टीवी /
और साथ में है सीरियल पसंद करने वाली बीबी /
बेहतर कि कान में लगाने को रुई ले आयें /
दिल मन और चित्त में शांति पायें /
साथ ही >>> सीरियल निर्माताओं से गुजारिश है और इतना ही चाहें /
दिखाने में आप स्वतंत्र हैं कितना भी दिखायें /
किन्तु पार्श्व संगीत में थोडी कमी अवश्य लायें /
==प्रदीप मानोरिया
09425132060
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