Friday, 18 March 2011

होली की धूम



रंग की फुहार है , गीत की बहार है /

बॉंटता जो प्यार है , होली का त्यौहार है / 

धूम ही मचायेंगे , होली यूं मनायेंगे /

यारों की टोली में , गॉंव की होलीमें / 

हाथों में रंग लिये , पिचकारी संग लिये / 

झूमझूम गायेंगे . होली यूं मनायेंगे /

गॉंव की जो गोरियॉं , भाभी और छोरियां / 

देख रंग हाथों में , घुस गई अहातों में / 

दरवज्जा तुडवायेंगे , होली यूं मनायेंगे / 

रंग लगा गालों में , भर अबीर बालों में / 

बीती बात भूल गये, हम गले से झूल रहे / 

भेद सब मिटायेंगे ,होली यूं मनायेंगे / 

पंहुचे नदी के घाट पर , भंगिया को बॉंट कर /

छान कर डटाई है , मस्ती खूब छाई है / 

गीत गुनगुनायेंगे ,होली यूं मनायेंगे /

कधे पर शर्ट टॉंग , धर के विचित्र स्वांग /

होंठों पर गीत फाग . ढपली पर बजे राग /

तुमको नचवायेंगे , होली यूं मनायेंगे / 

बाटी और दाल है , चूरमा कमाल है /

पत्तों की थाली है , गंध भी मतवाली है /

डट के खूब खायेंगे , होली यूं मनायेंगे / 

रंग की फुहार है , गीत की बहार है / 

बॉंटता जो प्यार है , होली का त्यौहार है / 

धूम ही मचायेंगे , होली यूं मनायेंगे / 


== प्रदीप मानोरिया 09425132060


Thursday, 17 February 2011

manmohan singh : 21st century's Dhritrashtra





राष्ट्र का गौरव बडा है या कि यह दुर्भाग्य है ।
ताज पहने आज भी बैठा हुआ धृतराष्ट्र है ॥
इटेलियन संजय हुई या गांधारी कौन है ।
इसके जबाब में जनता रही क्यों मौन है ॥
कृष्ण ने रक्षा करी थी द्रोपदी की लाज की ।
कौन अब रक्षा करेगा ये द्रोपदी(*) जो आज की ॥
(*) द्रोपदी= जनता,देश 

प्रदीप मानोरिया