हिन्दी काव्य मंच
गीत गज़ल कविता का गुलदस्ता
Friday, 15 March 2013
Wednesday, 4 May 2011
Thursday, 31 March 2011
Tuesday, 29 March 2011
Friday, 18 March 2011
होली की धूम
रंग की फुहार है , गीत की बहार है /
बॉंटता जो प्यार है , होली का त्यौहार है /
धूम ही मचायेंगे , होली यूं मनायेंगे /
यारों की टोली में , गॉंव की होलीमें /
हाथों में रंग लिये , पिचकारी संग लिये /
झूमझूम गायेंगे . होली यूं मनायेंगे /
गॉंव की जो गोरियॉं , भाभी और छोरियां /
देख रंग हाथों में , घुस गई अहातों में /
दरवज्जा तुडवायेंगे , होली यूं मनायेंगे /
रंग लगा गालों में , भर अबीर बालों में /
बीती बात भूल गये, हम गले से झूल रहे /
भेद सब मिटायेंगे ,होली यूं मनायेंगे /
पंहुचे नदी के घाट पर , भंगिया को बॉंट कर /
छान कर डटाई है , मस्ती खूब छाई है /
गीत गुनगुनायेंगे ,होली यूं मनायेंगे /
कधे पर शर्ट टॉंग , धर के विचित्र स्वांग /
होंठों पर गीत फाग . ढपली पर बजे राग /
तुमको नचवायेंगे , होली यूं मनायेंगे /
बाटी और दाल है , चूरमा कमाल है /
पत्तों की थाली है , गंध भी मतवाली है /
डट के खूब खायेंगे , होली यूं मनायेंगे /
रंग की फुहार है , गीत की बहार है /
बॉंटता जो प्यार है , होली का त्यौहार है /
धूम ही मचायेंगे , होली यूं मनायेंगे /
== प्रदीप मानोरिया 09425132060
Thursday, 17 February 2011
manmohan singh : 21st century's Dhritrashtra
राष्ट्र का गौरव बडा है या कि यह दुर्भाग्य है ।
ताज पहने आज भी बैठा हुआ धृतराष्ट्र है ॥
इटेलियन संजय हुई या गांधारी कौन है ।
इसके जबाब में जनता रही क्यों मौन है ॥
कृष्ण ने रक्षा करी थी द्रोपदी की लाज की ।कौन अब रक्षा करेगा ये द्रोपदी(*) जो आज की ॥
(*) द्रोपदी= जनता,देश
प्रदीप मानोरिया
ताज पहने आज भी बैठा हुआ धृतराष्ट्र है ॥
इटेलियन संजय हुई या गांधारी कौन है ।
इसके जबाब में जनता रही क्यों मौन है ॥
कृष्ण ने रक्षा करी थी द्रोपदी की लाज की ।कौन अब रक्षा करेगा ये द्रोपदी(*) जो आज की ॥
(*) द्रोपदी= जनता,देश
प्रदीप मानोरिया
Thursday, 13 January 2011
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